कैटरीना की किफायत और कैफियत / जयप्रकाश चौकसे

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कैटरीना की किफायत और कैफियत
प्रकाशन तिथि :27 सितम्बर 2016


कैटरीना कैफ को 'स्मिता पाटिल पुरस्कार' दिए जाने पर कड़ी आलोचना हो रही है और यह तक कहा जा रहा है कि अब फूहड़ फिल्में बनाने वाले फिल्मकार साजिद खान की फिल्म को ऑस्कर मिल सकता है। यह तय है कि सारी आलोचनाएं कैटरीना कैफ तक पहुंच रही हैं, क्योंकि उनकी बिज़नेस मैनेजर रेशमा शेट्‌टी बहुत सजग हैं। उनकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है है जाना नहीं जा सकता परंतु वे दु:खी अवश्य हो गई होंगी। यह भी स्पष्ट नहीं है कि स्मिता पाटिल पुरस्कार अभिनय प्रतिभा के लिए दिया गया है या बॉक्स ऑफिस सफलता को मद्‌देनजर रखकर दिया गया है। यह पुरस्कार व्यक्तिगत साहस के लिए भी दिया जा सकता है। एक दशक पूर्व कैटरीना कैफ भारत आई थीं। उस समय वे हिंदुस्तानी भाषा नहीं बोल पाती थीं और फिल्म में प्रस्तुत किए जाने वाले नृत्य की भी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। राम गोपाल वर्मा की 'सरकार' में उन्हें अत्यंत संक्षिप्त भूमिका मिली थी और अमिताभ बच्चन अभिनीत 'बूम' में उनकी झलक मात्र देखने को मिली। उस समय यह कल्पना किसी ने नहीं की थी कि वे शाहरुख, सलमान और आमिर के साथ कभी नायिका ली जाएंगी परंतु यह 'चमत्कार' घटित हुआ है। इस चमत्कार के पीछे छिपी है उनकी मेहनत और विपरीत परिस्थितियों से जूझने की संकल्प शक्ति। सलमान खान की प्रेरणा और सहायता से उन्होंने हिंदुस्तानी जबान सीखी, फिल्म में नृत्य करने के लिए कठोर परिश्रम किया। इस तरह उन्होंने अपने आपको बदला। वे काम पाने के िलए स्टूडियो दर स्टूडियो भटकी हैं। आदित्य चोपड़ा की 'धूम तीन' के लिए उन्होंने महीनों तक जमकर परिश्रम किया। कैटरीना कैफ को प्रकाश झा की 'राजनीति' में रणबीर कपूर के साथ काम का अवसर मिला। प्रदर्शन पूर्व यह प्रचारित हुआ कि फिल्म सोनिया गांधी के जीवन से प्रेरित है और फिल्मकार ने अपने नायक से भी मुंबई की लोकल ट्रेन में अवाम के साथ यात्रा कराई, क्योंकि कुछ समय पूर्व ही राहुल गांधी इस तरह की यात्रा कर चुके थे। प्रचार के एक पड़ाव में इसे महाभारत से प्रेरित भी बताया गया परंतु इस सत्य को छिपाया गया कि यह अंग्रेजी की 'गाडफादर' से प्रेरित है। प्रचार टीम ने संभवत: इसका लाभ लिया कि 'गाडफादर' को पूंजीवादी देश की महाभारत माना जाता है। बहरहाल, इस फिल्म में कैटरीना के अभिनय की प्रशंसा हुई और नायक के साथ अंतरंगता भी बनी। रणबीर कपूर ने अपने दादा राज कपूर से प्रतिभा ली है परंतु उनका आदतन आशिकाना मिजाज उनके ताऊ 'याहू' शम्मी कपूर से मिलता हुआ लगता है। अत: यह प्रेम प्रसंग शीघ्र ही समाप्त भी हो गया।

कैटरीना के पिता काश्मीरी कैफ थे परंतु मां अंग्रेज थीं और सात बहनों तथा एक भाई के बड़े परिवार से वे भारत रोजी-रोटी कमाने आई थीं। वे यथार्थ से कभी भागती नहीं हैं। उन्होंने अपने परिश्रम से कमाई राशि का एक हिस्सा हमेशा बचत खाते में डाला है और सफल सितारा बनते ही उन्होंने अपने परिवार के लिए इंग्लैंड में मकान खरीदा है और इसके एक हिस्से को किराए पर भी चढ़ाया जा सकता है। इस तरह अपने परिवार को घर के साथ स्थायी आय का साधन भी जुटा दिया है। वे एक विभाजित दंपती की संतान हैं। उनके पिता पत्नी को तलाक देकर तथा तन्हा छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में बस गए हैं। इस तरह की संतानों में अपनी उम्र से अधिक अक्ल आ जाती है। कैटरीना का किफायत का नज़रिया उसे 'ए वुमन ऑफ सब्स्टेंन्स' बनाता है। कुछ लोग ताउम्र नादान बने रहते हैं, कुछ में वक्त के पहले अक्ल आ जाती है। 'अदम' का शेर है, 'अक्ल हर काम को जुल्म बना देती है, बेसबब सोचना बेसूद पशीमां होना।' इस संदर्भ पर गौर करें कि एक बड़े परिवार का आर्थिक आधार होना तथा प्रेम-प्रसंग का समाप्त होने जैसी बातों को भी उसने गरिमा के साथ निभाया है। आज ठोस आर्थिक आधार प्राप्त करने के बाद वे बांद्रा में स्वयं के लिए बंगला खोज रही हैं। परिवार की पुत्री होते हुए भी उन्होंने पुत्र की तरह दायित्व निभाया है। अत: स्मिता पाटिल स्मृति पुरस्कार संभवत: उनके इन गुणों के आधार पर दिया गया है।

एक निर्माता ने उन्हें नारी केंद्रित भूमिका देने का प्रस्ताव रखा अौर उन्होंने कहा कि इस तरह की भूमिका मिलना सौभाग्य है परंतु व्यावहारिक बात यह है कि इस महंगे में बनने वाली नारी केंद्रित फिल्म में कोई हीरो काम नहीं करेगा। अ: इसे प्रदर्शित करना कठिन होगा। स्पष्ट है कि उन खूबसूरत कंधों के ऊपर एक सजग सोचने-समझने वाला दिमाग भी है। किफायत और कैफियत की नज़र से कैटरीना कैफ को देखें।