कैट वॉक / गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर'

Gadya Kosh से
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सूरत की सूरत उस समय और भी हसीं हो गई जब पचासी वर्ष की नवयुवती ने रैम्प़ पर कैट वॉक किया। वैसे भी रियल लाइफ वाली फिल्में भले ही मुम्ब ई में बनती हों पर उनके रियलटी शो के कलाकार (जुबली) युवा कल के गौरव पथ के रियलटी शो के कलाकार रहे हैं। उस समय या तो पैदल या फिर बजाज के खटारा स्कूयटरों पर अपनी-अपनी माशूकाओं को लादे जब वे तापी के पुल या गौरव पथ पर लैन्ड करते होंगे तो उस समय का नज़ारा देखते ही बनता होगा। इनकी पूर्व पीढ़ी के बटोही थोड़ा-बहुत मुँह जरूर बिचकाते होंगे पर उतना तो बिल्कुखल नहीं जितना की खाप पंचायतों के खूसट मुखिया आज भी बिचकाते हुए मिलते हैं।

हमारा दोस्तप ‘गिरगिट‘ खाँटी पुरबिया है। एक दिन मेरे साथ लेक व्यूह में विचरण करते हुए उसे फतवा जारी करने का मन हो आया। उसने कहा, ‘यार गुणशेखर! यदि ये लोग मेरे गाँव की बगिया में यह हरकत करते मिलते तो मैं इनकी मुंडी काटकर संगम में बहा आता, फिर भले जिनगी भर चक्कीर पीसता।‘ मैंने गिरगिट को समझाया- ‘आज ही 49 वर्षीय कुमारी तस्लीमा नसरीन ने नारियों के एक नितांत नए मौलिक अधिकार की घोषणा करते हुए कहा है कि नारी को इस दुनिया में 72 पुरुषों के साथ संबंध बनाने का अधिकार है, क्योंकि उसके अनुसार जन्नीत में मर्दों को 72 हूरें मिलेंगी जबकि औरतों को एक भी पट्‌ठा मुहैया नहीं करवाया जाएगा। इसीलिए उसने धरती पर जन्न त के सभी सुखों को भोगने का ऐलान कर दिया है और 72 में से 30-40 को भोग भी लिया है, मेरे दोस्त ! ये स्वंतंत्र भारत के युवा हैं, गुलाम भारत के नहीं। हाँ, तुम्हा रा भी दिल मचल रहा हो तो कल से भौजाई को भी आराम से टहलाने लाओ।‘ उसन कहा, ‘लाहौल विलाकुव्वोत! वह कभी न आएगी इस नरक में।‘ मैंने उसकी पीठ पर धौल जमाते हुए कहा, ‘प्याकरे! मन में तो तुम्हाीरे भी लड्‌डू फूट रहे हैं पर कोस इस पीढ़ी को रहे हो।‘ गिरगिट थोड़ा शरमाया फिर बात बदलकर चलता बना।

हां तो विषयांतर हो गया था। कहाँ तो बात चल रही थी रैम्पी के डायमंडी कैट वॉक की और मैं बहककर पहुँच गया था गौरव पथ। चलिए फिर से उन नई नवेली जोड़ियों की चटपटी कथा कहते हैं जिन्हों ने दिवाली के ठीक पहले गाँधी स्मृिति भवन को अपनी चमक से जगमगा दिया है। सुना है इन जोड़ियों ने जमकर मस्तीग की है। सूरत के वरिष्ठ नागरिकों की इन जोड़ियों में शायद ही किसी ने पैंसठ-सत्तमर से कम वसंत देखे हों।

फूलों के बाणों का संधान करते इन कामदेवों में एक पचासी वर्षीय नागरिका ने रैम्पठ पर ऐसा कैट वॉक किया कि दर्शकों ने दाँतों तले उँगली दबा ली। कैट वॉक में सबसे पहले महिलाओं और पुरूषों ने एकल वॉक फिर दम्प त्तिबयों ने युगल वॉक किया। अन्तओ में सभी ने जमकर डान्से भी किया।

मेरी राय में ये सबके सब उन्ह त्तपर वर्षीय अमिताभ के ‘बुड्‌ढा होगा तेरा बाप‘ से प्रेरित होकर अचानक जवान हुए युवा हैं। अच्छाम भी है कि बच्चों और बूढ़ों की निठल्लीो जमात को ढोता भारत अब तो कुछ न कुछ नया करके दिखाएगा ही।

विकास दर उत्पा दन-क्षमता पर निर्भर करती है और यह क्षमता युवाओं में ही होती है। ऐसे में सूरत जैसे उद्यमी शहर में फैली जवानी की इस दूधिया रोशनी से निश्चयय ही देश जगमगा उठेगा।