क्या अक्षय कुमार रूरिटानिया के निवासी हैं? / जयप्रकाश चौकसे

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क्या अक्षय कुमार रूरिटानिया के निवासी हैं?
प्रकाशन तिथि : 13 मई 2019


कोई आश्चर्य नहीं कि इस झूठे-सच्चे और सच्चे-झूठे कालखंड में अक्षय कुमार के कनाडा के नागरिक होने की बात और मतदान नहीं करने का प्रकरण तूल पकड़ रहा है। राजेश खन्ना ने मनमोहन देसाई की 'झूठा सच्चा' फिल्म में अभिनय किया था। राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की पुत्री ट्विंकल, अक्षय कुमार से ब्याही हैं और एक अखबार में उनके विटी कॉलम प्रकाशित होते हैं। इस विवाद को वे अपने कॉलम में पूरे संदर्भ के साथ प्रस्तुत करके अक्षय कुमार की 'सावित्री' बन सकती हैं।

कनाडा में सिख समुदाय बहुसंख्यक का दर्जा रखता है। यह संभव है कि कोई सिख कनाडा का प्रधानमंत्री चुना जाए। क्या कभी किसी अमेरिकन ने सोचा था कि एक दिन उनका प्रेसिडेंट अश्वेत अमेरिकन होगा। बराक ओबामा ने आर्थिक मंदी के दौर में अपने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के खूब जतन किए। इसी तथ्य से प्रेरित होकर 'बुरे फंसे ओबामा' फिल्म बनी थी, जो 'चलती का नाम गाड़ी', 'पड़ोसन' और 'अंगूर' की हास्य व्यंग्य शैली की हरिशंकर परसाई नुमा फिल्म थी। अक्षय कुमार ने अपना जीवन हॉन्गकॉन्ग के एक रेस्तरां के किचन में काम करते हुए प्रारंभ किया था। मामला अमिताभ बच्चन और तब्बू अभिनीत 'चीनी कम' की तरह ही रहा। अक्षय कुमार ने सितारा हैसियत बड़े परिश्रम और अनुशासन से प्राप्त की है। उन्होंने फिल्म निर्माण में किफायत व समय की पाबंदी को महत्व दिया। वे निर्माता को फिल्म की शूटिंग पूरी करने के लिए 35 दिन का समय देते हैं। सुबह 8:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक काम करते हैं। अगर निर्माता 35 दिन में उनका काम पूरा नहीं करता तो हर अतिरिक्त दिन के लिए उसे और धन देना पड़ता है। इस तरह वे प्रतिवर्ष चार या पांच फिल्में अभिनीत करने लगे। उनकी वार्षिक आय उन सितारों से अधिक है, जो दो वर्ष में एक फिल्म में अभिनय के लिए करोड़ों का अतिशयोक्तिपूर्ण मेहनताना मांगते हैं। अक्षय कुमार इमारतों में पूंजी निवेश करते हैं। वे अपनी आय का लेखा-जोखा दुरुस्त रखते हैं। आयकर भी समय पर जमा करते हैं।

एक परम्परा है कि किसी व्यक्ति के कार्यों के कारणों से किसी नगर की चाबी सम्मान स्वरूप दी जाती है। कोई शहर तिजोरी नहीं होता कि उसकी चाबी किसी को दी जाए। आठवीं कक्षा में फेल होने वाला युवा नामी सितारा बन जाता है तो उसे डॉक्टरेट दी जाती है, जिसका यह अर्थ नहीं है कि उसने कोई शोध किया है। क्या अक्षय कुमार को इसी तरह कनाडा की नागरिकता दी गई है? यह भी संभव है कि कोई अचल संपत्ति खरीदने के लिए नागरिकता की औपचारिकता मात्र निभाई गई हो?

देश में संकीर्णता व हिंसा की लहर चल रही है, इसलिए कुछ लोगों के मन में विदेश में बसने का विचार आता है परंतु सचमुच वह देश छोड़ना नहीं चाहते। अपने ही देश में कुछ लोग परदेसियों की तरह लतियाए जाते हैं। किसी व्यक्ति से मनमुटाव हो जाने पर अक्षय कुमार इस बात की गांठ नहीं बांधते। वे भली-भांति जानते हैं कि कोई मित्रता या शत्रुता स्थायी नहीं होती। हर शुक्रवार रिश्तों के नए समीकरण बनते हैं। वे मानते हैं कि अभिनेता का शरीर उसकी दुकान है, जिसे साफ-सुथरा और चुस्त-दुरुस्त रखना आवश्यक है। वे दावतों में शिरकत नहीं करते और कभी दावत देते भी नहीं। वे रात 9:00 बजे सो जाते हैं और प्रातः 4:00 बजे लंबी सैर पर जाते हैं, जिसके बाद अपने निजी जिम में कसरत करते हैं। बॉक्स ऑफिस के परे भी सिनेमा होता है, जिसके वजूद से वे इनकार करते हैं। उन्हें महान होने या कालजयी फिल्में अभिनय करने की महत्वाकांक्षा नहीं है। पटकथा पढ़ने से अधिक रुचि उन्हें अपनी बैलेंस शीट में है। उनके पास इतने फ्लैट हैं कि फुटपाथ पर सोने वालों को वे रैन बसेरा दे सकते हैं परंतु सामाजिक सोद्देश्यता उन्हें स्पर्श भी नहीं करती।

अरसे पहले आयन रैंड और नैथेनियल ब्रैंडन ने एक लेख लिखा था- 'वर्च्यू ऑफ सेल्फिशनेस'। अक्षय कुमार ने उसे पढ़ा नहीं है परंतु उसका शुमार उन्होंने अपनी जीवनशैली में कर लिया है। अपने परिवार के दायरे के बाहर की दुनिया से उन्हें कुछ लेना-देना नहीं है। वे सिमटकर फैलना चाहते हैं। वे अपने अवचेतन के रूरिटैनिया के निवासी हैं। ज्ञातव्य है कि रूरिटैनिया गल्प साहित्य का काल्पनिक देश है, इसलिए कनाडा या भारत की नागरिकता उनके लिए महत्व नहीं रखती। इस समय उन्हें यकीन हो गया होगा कि ऊपर वाले की लाठी पड़ने पर आवाज नहीं होती परंतु दर्द होता है।