क्या तुलसीदास बीयोपिक बनेगा? / जयप्रकाश चौकसे

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क्या तुलसीदास बीयोपिक बनेगा?
प्रकाशन तिथि : 09 अगस्त 2020


फिल्मकार महेश कौल और महान साहित्यकार अमृतलाल नागर मित्र थे। महेश कौल ने अमृतलाल नागर को मुंबई अमंत्रित किया और दोनों तुलसीदास के जीवन चरित पर फिल्म आकल्पन का काम करने लगे। जब दोनों ने तुलसीदास के जीवन और सृजन के हर पक्ष पर विचार कर लिया तब अमृतलाल नागर ने पूरी पटकथा लिखने के लिए लखनऊ जाना उचित समझा। अमृतलाल नागर अपना कार्य निष्ठा से कर रहे थे कि उन्हें महेश कौल की मृत्यु का दुखद समाचार मिला। अमृतलाल नागर को अपने मित्र के जाने का दुख था और उनके लिए फिल्म का बन नहीं पाना उतना अर्थ नहीं रखता था। अमृतलाल नागर ने ‘मानस का हंस’ नामक उपन्यास लिखा। इसका आधार वह सामग्री थी जो उन्होंने महेश कौल के अनुरोध पर क्रमवार रची थी। ‘मानस के हंस’ की भूमिका में अमृतलाल नागर ने महेश कौल के ‘तुलसीदास जीवन चरित’ बनाने की तीव्र इच्छा का विवरण दिया है। मानस के हंस को बहुत पसंद किया गया। अगर हमारा प्रकाशन तंत्र अमेरिका की तरह होता तो मानस के हंस को बेस्ट सेलर किताब माना जाता। मानस का हंस कई वर्ष तक शिखर पर विराजे होती।

उपन्यास पढ़ने का समय अनुभव होता है कि पटकथा पढ़ रहे हैं। प्रारंभ होता है रत्नावली के मृत्यु शैया पर पड़े होने के विवरण से। रत्नावली की आंख द्वार पर लगी है। उसे अपने पति तुलसीदास के आने की प्रतीक्षा है। ज्ञातव्य है कि तुलसीदास को ज्योतिष का गहरा ज्ञान था और रत्नावली भी इस विषय में पारंगत थी। विवाह के पूर्व तुलसीदास की कुंडली देखकर रत्नावली यह तो जान गई थी कि यह व्यक्ति अपनी पत्नी से सीमातीत प्रेम करेगा, परंतु लंबे समय तक यह पत्नी से दूर भी रहेगा। कन्या रत्नावली ने लंबे समय के विरह की जानकारी होते हुए भी विवाह इसलिए किया कि तुलसीदास की महानता में वे शामिल होंगी। तुलसीदास की प्रसिद्धि के सूर्य के ताप से रत्नावली के जीवन में उजास होगा? तुलसीदास अमर हैं, इसलिए रत्नावली भी स्मरण की जाती रही हैं।

गुणवंतलाल शाह मनमोहन देसाई, जे. ओमप्रकाश, मोहन कुमार और मनोज कुमार की फिल्मों में पूंजी निवेश करते थे। चार्टर्ड अकाउंटेंट गुणवंतलाल शाह सितारों के आयकर सलाहकार भी थे। खाकसार ने गुणवंतलाल शाह को अमृतलाल नागर के ‘मानस’ की जानकारी दी। उन्होंने तुलसीदास बायोपिक बनाने का विचार किया। तुलसीदास के जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आए, उन पर कुछ स्त्रियां मोहित थीं, जिनमें एक नाचने वाली भी थी। गुणवंतलाल शाह को लगा कि तुलसीदास का पात्र दिलीप कुमार अभिनीत करें तो भूमिका के साथ न्याय होगा और एक सर्वकालिक महान फिल्म बन सकेगी। गुणवंतलाल शाह ने खाकसार का परिचय दिलीप कुमार से कराया। यह तय किया गया कि खाकसार प्रतिदिन दिलीप कुमार को उपन्यास के अंश पढ़कर सुनाएगा। साथ ही दिलीप कुमार को ‘मानस’ की एक प्रति भी दी गई। इस तरह यह पढ़ना-सुनना कई दिनों तक चला। दिलीप कुमार मानस से इतने प्रभावित रहे कि उन्होंने यह भी तय किया कि वे शूटिंग के लिए विग बनवाने लंदन जाएंगे। इसी बीच गुणवंतलाल शाह का निधन मात्र 41 वर्ष की आयु में हो गया। ज्ञातव्य है कि मध्यम आय वर्ग में जन्मे गुणवंतलाल शाह गुजरात बोर्ड की हाई स्कूल परीक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त करके स्कॉलरशिप प्राप्त कर सके और मुंबई में हरिदास चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म में इंटर्न रह चुके थे। उनकी मृत्यु के बाद दिलीप कुमार ने ‘तुलसी बायोपिक’ में काम करने से इनकार कर दिया। उन्हें लगा कि हर शॉट देते समय उन्हें मित्र गुणवंतलाल शाह की याद आएगी।

बहरहाल, क्या वर्तमान समय में कोई फिल्मकार तुलसी बायोपिक बनाएगा? क्या हमारे यहां ऐसा कलाकार है जो तुलसीदास की भूमिका अभिनीत कर सके? यह भय हो सकता है कि तुलसीदास अभिनीत करने के बाद अन्य भूमिका में कलाकार स्वीकार नहीं किया जाएगा?