क्या प्रियंका चोपड़ा अभागी हैं ?/ जयप्रकाश चौकसे

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क्या प्रियंका चोपड़ा अभागी हैं ?
प्रकाशन तिथि : 29 अगस्त 2013


हर उद्योग और सृजन के आसपास संकरी गलियों में अनुपजाऊ गतिविधियां संचालित होती हैं, यहां तक कि संसद के गलियारों में भी राजनीतिक अफवाहें गूंजती रहती हैं। दरअसल, अंधविश्वास और कुरीतियों का जन्म भी अनुपजाऊ प्रवृत्ति से ही होता है। कोई धर्म क्यों अपने गिर्द अंधविश्वास पनपने देगा, परंतु अनुपजाऊ एवं नकारात्मक शक्तियां हमेशा सृजन शक्तियों से अधिक सक्रिय रहती हैं। खेत में फसल के लिए परिश्रम करना होता है, परंतु जंगली घास यों ही उग जाती है। फिल्म उद्योग में अफवाहों के गलियारों में तरह-तरह की बातें होती हैं और कुछ अंधविश्वासों का जन्म होता है। मसलन, ताजी बेहूदगी यह है कि शाहरुख खान ने प्रियंका चोपड़ा से दूरी बनाई और उनकी 'चेन्नई एक्सप्रेस' सफल हो गई, जबकि प्रियंका चोपड़ा के साथ अंतरंगता के दौर में लगी फिल्मों ने अपेक्षा से कम व्यवसाय किया तथा 'माय नेम इज खान' एवं 'रा-वन' की कड़ी आलोचना भी हुई। कुछ लोग उनके सरोगेट विधि से जन्मे पुत्र को इस सफलता का श्रेय दे रहे हैं। हर बच्चे का जन्म शुभ है और एक विराट संभावना है।

इसी तरह एक अन्य अंधविश्वास की भी फुसफुसाहटें गूंज रही हैं कि जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु की लंबी चलने वाली प्रेम-कथा के टूटने के बाद ही जॉन अब्राहम ने सफल 'विकी डोनर' और सार्थक 'मद्रास कैफे' फिल्मों का निर्माण किया और उनकी अभिनीत 'शूट आउट एट वडाला' भी सफल रही। सच्चाई तो यह है कि प्रियंका चोपड़ा और बिपाशा बसु कुशल अभिनेत्रियां हैं तथा अनेक सफल फिल्मों में काम कर चुकी हैं। प्रियंका ऋतिक के साथ दो हिट फिल्में कर चुकी हैं और तीसरी 'कृश-3' दिवाली पर प्रदर्शित होने जा रही है। प्रियंका चोपड़ा और शाहरुख खान की 'डॉन-2' भी सफल रही है।अंधविश्वास और कुरीतियों के व्यवसाय को संचालित करने वाले लोग इस कदर संगठित और शक्तिशाली हैं कि पुणे में डॉ. नरेंद्र की स्मृति में किए गए काम में बाधा डालने के प्रयास हुए हैं। इतना ही नहीं, एक सनातनी संगठन के शिखर व्यक्ति ने यहां तक कहा कि लंबी बीमारी से उनकी मृत्यु होती तो वे ज्यादा कष्ट भोगते, तीन गोलियों से तो एक क्षण में प्राण निकल गए। दरअसल, तर्क और बुद्धिमानी की सीमा है, अनुत्तरदायी लोगों के लिए कोई सीमा नहीं होती। यह कोई नहीं जान पाता कि कैसे तर्कहीन बातें स्थापित हो जाती हैं, मसलन प्रेम में अभागा व्यक्ति, जुए और सट्टे में भाग्यवान होता है। प्रेम में भाग्यवान या अभागा होना बेमतलब बातें हैं। प्रेम का स्पर्श ही स्वर्ग के द्वार खोल देता है या यह कहें कि हृदय में स्वर्ग बसा हो तो प्रेम प्रवेश करता है। संवेदनहीन व्यक्ति के हृदय में ही फिजूल बातों का उदय होता है। जब निदा फाजली को 'शायद', 'हरजाई' और 'वापसी' में अवसर मिले, तब पूंजी निवेशक दर्शन ने अफवाह फैलाई कि निदा फाजली के लिखे गीतों वाली फिल्में नहीं चलतीं और कमोबेश ऐसी ही बातें नीरज के बारे में भी कही गईं, परंतु निदा और नीरज दोनों ही विलक्षण हैं और उन तुकबंदों से बेहतर हैं, जिन्होंने छैयां, बैयां, सैयां के सैकड़ों गाने लिख डाले। उत्तम गेहूं, चावल और दालों को उपजाने वाली जमीन के क्षेत्रफल से बीहड़ का क्षेत्रफल ही अधिक है, गोया कि अनुपजाऊपन का क्षेत्र असीमित है।

मनुष्य तर्क और प्रतिभा की रोशनी से चौंधिया जाता है, इसलिए अंधकार, अज्ञान और अंधविश्वास उसे प्रिय लगते हैं।