क्या फ़ायदा / गोवर्धन यादव

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"सुनीता, तुम कितना पढ़ी-लिखी हो" ? मकान मालकिन ने घर में बर्तन साफ़ करने वाली बाई से पूछा"मैंने तो स्कूल का मुंह तक नहीं देखा मेमसाहब" "अरे, कुछ पढ़-लिया होता तो तुझे घरों में जुठे बर्तन तो नहीं मांजना पड़ता"

"अपुन बिना पढ़े-लिखे ही ठीक है मेम साहब, बिना पढे-लिखे अपुन दस-पन्द्रह हज़ार रुपया कमा लेते हैं और क्या चाहिए, घर-गिरस्ती आराम से चल जाती है"

"यदि तुम चाहो तो अब भी पढ़ सकती हो, मैं पढ़ा दिया करुंगी,"

" पढ़-लिख कर क्या फ़ायदा मेमसाहब, अब अपने ही तरुण कुमार को देख लो, कितना पैसा ख़र्च करके आपने उसे पढ़ाया-लिखाया, एम, ए, / एम, एड कराया, बेचारे दस हज़ार रुपया में केवल संविदा शिक्षक बन पाए! उससे तो अपुन ठीक, बिना पढे-लिखे दस-पंद्रह हज़ार कमा लेते हैं, जब पैसा ही कमाना हो तो इतना पढ़ने-लिखने की क्या ज़रूरत, यदि मैं पढ-लिख भी जाउंगी तो मुझे कौनसी नौकरी मिल जाएगी?

मेम साहब की सूरत देखने लायक थी जवाब सुनकर।