क्रमशः प्रगति / शरद जोशी

Gadya Kosh से
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खरगोश का एक जोड़ा था, जिनके पाँच बच्चे थे।

एक दिन भेड़िया जीप में बैठकर आया और बोला - "असामाजिक तत्वों तुम्हें पता नहीं सरकार ने तीन बच्चों का लक्ष्य रखा है" और दो बच्चे कम करके चला गया।

कुछ दिनों बाद भेड़िया फिर आया और बोला कि "सरकार ने लक्ष्य बदल दिया" और एक बच्चे को और कम कर चला गया। खरगोश के जोड़े ने सोचा, जो हुआ सो हुआ, अब हम शांति से रहेंगे। मगर तभी जंगल में इमर्जेंसी लग गई।

कुछ दिन बाद भेड़िये ने खरगोश के जोड़े को थाने पर बुलाया और कहा कि सुना है, तुम लोग असंतुष्ट हो सरकारी निर्णयों से और गुप्त रूप से कोई षड्यंत्र कर रहे हो? खरगोश ने साफ इनकार करते हुए सफाई देनी चाही, पर तभी भेड़िये ने बताया कि इमर्जेंसी के नियमों के तहत सफाई सुनी नहीं जाएगी।

उस रोज थाने में जोड़ा कम हो गया।

दो बच्चे बचे। मूर्ख थे। माँ-बाप को तलाशने खुद थाने पहुँच गए। भेड़िया उनका इंतजार कर रहा था। यदि थाने नहीं जाते तो वे इमर्जेंसी के बावजूद कुछ दिन और जीवित रह सकते थे।