गंगा आए कहां से, कल-कल बहती जाए कहां रे / जयप्रकाश चौकसे

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गंगा आए कहां से, कल-कल बहती जाए कहां रे
प्रकाशन तिथि : 13 फरवरी 2021

प्रियंका चोपड़ा ने सलमान खान की ‘भारत’ में काम करना स्वीकार किया और अग्रिम धन भी लिया। उसी समय प्रियंका को ‘स्काई इज पिंक’ का प्रस्ताव मिला जिसके लिए उन्हें नाम मात्र का मेहनताना मिल रहा था। प्रियंका ने सलमान से लिया पैसा लौटा दिया और ‘स्काई इज पिंक’ की। यह गैर-व्यवसाई निर्णय था। इसमें अनैतिकता का अपराध बोध भी था। साथ ही सलमान से पुरानी मित्रता टूटी। कभी-कभी मनुष्य खुद को नुकसान पहुंचाता है। जीवन में हम कई बार स्वयं को दोराहे पर खड़ा पाते हैं। जीवन भर निर्णय लेने होते हैं।

कुछ दिन पूर्व ही क्रिकेटर कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरा बीच में ही छोड़ दिया। कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ बच्चे के जन्म के समय रहना चाहते थे। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ। महाभारत में युद्ध भी अपने अपनों के बीच ही हुआ था। सभी को निर्णय लेने पड़ा कि किस ओर शामिल हों। श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम को लगा कि यह युद्ध तो असत्य बनाम असत्य ही है। अत: वे हिमालय की ओर चले गए। अडूर गोपालकृष्णन की एक फिल्म में एक ब्राह्मण को निर्णय लेना था कि उनके बाल सखा ब्राह्मण का अंतिम संस्कार किस तरह का हो क्योंकि वह सारी उम्र एक अछूत के साथ रहा। उस कन्या के सौंदर्य को उन्होंने देखा और समझा कि उनके मित्र ने निर्मल आनंद की ख़ातिर निर्णय लिया था। स्वयं उन्होंने ब्राह्मण रीति-रिवाज से अपने मित्र का दाह संस्कार किया। जीवन में निर्मल आनंद प्राप्त करना सही या गलत होने से अधिक महत्वपूर्ण रहता है। तथाकथित नैतिकता या अनैतिकता से भी परे जाने का मामला है। जीवन में दूसरों को कष्ट दिए बिना निर्मल आनंद में आकंठ लीन होना, आनंद लेना और देना ही महत्वपूर्ण रह जाता है।

प्रियंका चोपड़ा ने अपने कॅरिअर के प्रारंभ में ही ‘ऐतराज’ नामक फिल्म में नकारात्मक भूमिका अभिनीत की थी। एक छवि में कैद होने पर कलाकार को निरंतर काम मिलता रहता है परंतु लीक छोड़कर चलने से नुकसान होने का डर बना रहता है। अपनी प्रतिभा का विकास निरंतर उसे मांझते रहने और प्रयोग करने में ही निहित है। प्रयोग करते रहने से ही नई दवा की खोज होती है। मैडम क्यूरी निरंतर काम करती रहीं, इसलिए उन्हें 2 बार नोबेल पुरस्कार दिया गया। व्यवस्थाएं केवल रोड ब्लॉक बनाती है परंतु अवाम निरंतर यात्रा करता रहता है।

एक बार में तीन चौथाई बहुमत प्राप्त करने के बाद संकीर्णता की जिद थी कि जिनका जन्म विदेश में हुआ है, वे प्रधानमंत्री नहीं बन सकतीं। इसीलिए सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को पद पर बैठाया और उन्होंने बड़ी कुशलता से अपना काम किया। अगर इसी तरह की जिद पाकिस्तान में होती तो पहले दशकों में तो उनके सारे सदरों का जन्म हिंदुस्तान में हुआ था। राज कपूर और दिलीप कुमार का जन्म पेशावर में हुआ परंतु वे भारत में काम करते रहे। कमला हैरिस के पूर्वज भारत में जन्मे थे परंतु इस बात को अमेरिकन मतदाताओं ने नज़रअंदाज़ किया। सभी देशों के मूल नागरिक जनजातियां रही हैं। आर्यों ने भारत में पहले आक्रमण किया परंतु वे स्वीकार किए गए। बाद में ऐसा ही करने वालों को संकीर्णता की फूंकनी में जगह नहीं दिए जाने को लोकप्रिय बना दिया गया है। अमीर खुसरो का जन्म भारत में नहीं हुआ था परंतु उनकी रचनानएं नितांत भारतीय मानी गई हैं।

सभी लोगों का जन्म तो गंगा किनारे नहीं हुआ है परंतु घरों में गंगाजल रखा जाता है और अंतिम समय में दो बूंद गंगाजल दिए जाने से निर्वाण हो जाता है। कुछ अंग्रेजों का जन्म भारत में हुआ था और वे ताउम्र भारत में ही रहे। रस्किन बॉन्ड ऐसे ही लेखक हैं, जिनकी रचनाओं से प्रेरित फिल्में बनी हैं। शशि कपूर की पत्नी जेनिफ़र केंडल का जन्म इंग्लैंड में हुआ था। उनकी इच्छा के अनुरूप उनका दाह संस्कार किया गया और उस दौरान श्लोक पढ़े गए।