गद्य कोश पहेली 24 अक्तूबर 2013

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पहचानिये इस प्रसिद्ध कथा को?

.............कासिम दस खच्चर ले कर उस जंगल की ओर चल पड़ा। उसे जल्दी ही वह जगह मिल गई और उसने खुल जा समसम कहा तो द्वार भी खुल गया।

कासिम खच्चरों को बाहर छोड़ कर गुफा के अंदर गया। उसके अंदर जाते ही दरवाजा बंद हो गया। कासिम ने इतनी दौलत देखी तो आनंद से नाचने लगा। वह हर चीज को अच्छी तरह परख कर देखता रहा। इस चक्कर में उसे न सिर्फ बहुत देर हो गई अपितु वह खुल जा समसम का मंत्र भी भूल गया। आखिर में वह सबसे कीमती सिक्कों और रत्नों के दस भारी बोझ बना कर दरवाजे के पास लाया किंतु चूँकि वह ठीक शब्द भूल गया था इसलिए कभी कहता खुल जा गेहूँ। कभी कहता खुल जा जौ और द्वार बंद का बंद रहता। अब उसकी जान सूखने लगी कि वह इस गुफा में भूखा प्यासा मर जाएगा। संयोग की बात थी कि लुटेरे भी कहीं से लूटपाट करके उसी दोपहर को आ गए। उन्होंने गुफा के बाहर दस खच्चर बँधे देखे तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि इन खच्चरों को यहाँ कौन लाया है। आसपास देखा तो कोई दिखाई नहीं दिया।

अंत में उन्होंने खच्चरों की चिंता छोड़ कर अपनी लाई हुई संपत्ति को गुफा में रखने की सोची। सरदार ने कहा, खुल जा समसम, और यह कहते ही दरवाजा खुल गया। कासिम यह तो समझ ही गया था कि लुटेरे आ गए हैं। वह दरवाजा खुलते ही जान बचाने के लिए बाहर भागा लेकिन डाकुओं ने उसे वहीं दबोच लिया। वे उसे घसीट कर गुफा के अंदर ले गए और उसे मार कर उसके शरीर के चार टुकड़े कर दिए। वे लोग देर तक इस बात पर बहस करते रहे कि इस आदमी को इस गुफा का भेद कैसे मालूम हुआ। और किसने इसे गुप्त द्वार खोलने की तरकीब बताई।

देर तक बहस करने के बाद भी वे किसी नतीजे पर न पहुँचे। उन्होंने तय किया कि लाश को गुफा के अंदर ही सड़ने दिया जाए क्योंकि बाहर फेंकने से यह खतरा था कि औरों की निगाह पड़ेगी। उन्होंने दरवाजे के पास ही इधर-उधर लाश के टुकड़े फेंक दिए और लूट का माल रख कर जल्दी से बाहर आ गए। जल्दी और कासिम के द्वारा की हुई गड़बड़ से उन्हें यह न मालूम हुआ था कि अशर्फियाँ कम हो गई हैं। वे बाहर आ कर कासिम के खच्चर भी हाँक ले गए और आश्वस्त हो गए कि अब इनका भेद कोई नहीं जानता।

इधर रात होने पर भी जब कासिम घर वापस नहीं लौटा तो उसकी स्त्री ........

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  1. ........यह कथा आख्यान आर्यों के प्रसिद्ध प्राचीन दंतकथाओं में से एक है .
  2. यह उदात्त और अमर प्रेम की आदि कथा है .
  3. यह कथा महाभारत में भी (महाभारत, वनपर्व , अध्याय 53 से 78 तक) वर्णित है .
  4. यह इतनी सुन्दर,सरस और मनोहर है कि कई विद्वान् इसे महर्षि वेद व्यास रचित मानते हैं .
  5. इस कथा पर राजा रवि वर्मा के साथ ही अनेक चित्रकारों ने अपने चित्र/तैलचित्र बनाये हैं .
  6. यह अमर कथा अपनी नाट्य प्रस्तुतियों से कितनी बार ही मंचों को सुशोभित कर गयी है .
  7. 1945 में इस कथा पर फिल्म बनी थी ....
  8. मुज़फ्फर अली ने इस कथा पर टीवी सीरिअल भी निर्देशित किया था ........