गांधारी ने आँखों पर पट्टी क्यों बाँधी ? / जयप्रकाश चौकसे

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गांधारी ने आँखों पर पट्टी क्यों बाँधी ?
प्रकाशन तिथि :11 जनवरी 2016


राकेश रोशन की अगली फिल्म का नायक दृष्टिहीन है और अपनी प्रेमिका के दुष्कर्मी कातिलों को मारने का प्रण करता है। वह अपनी दृष्टिहीनता के बावजूद ध्वनि व कदमों की संख्या से अपना रास्ता खोजता है। जब वह सभी कातिलों को मार देता है तो पुलिस अफसर कहता है कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और अब उसका उद्देश्य पूरा हो चुका है, अत: तुम्हें विश्राम करना चाहिए। नायक कहता है कि अभी सिर्फ एक काम बाकी है कि तुम्हें मारूं, तुमने कातिलों का साथ दिया था। पूरा क्लाइमैक्स इस द्वंद्व पर आधारित है और दृष्टिहीन नायक विजयी होता है। यह सिर्फ कथा का मूल विचार है। इसमें अनेक पात्र हैं और कई प्रकार की रोमांचक स्थितियां हैं। दृष्टिहीन नायक पर मैंने आरके नैयर की 'कत्ल' लिखी थी, जिसमें संजीव कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, सारिका इत्यादि ने अभिनय किया था। इसके क्लाइमैक्स में नायक अपनी उस बेवफा पत्नी को मारने जाता है, जिसे उसने सड़क से उठाकर रंगमंच की लोकप्रिय नायिका बना दिया था और उसे बचाने के प्रयास में ही वह दृष्टिहीन हुआ था। बंद एकांत कमरे में नायक के हाथ में रिवाल्वर है और बेवफा नायिका जानती है कि उसने ध्वनि पर निशाना लगाने का अभ्यास किया है। अत: वह बिना किसी ध्वनि के धीरे-धीरे दरवाजे की ओर जाती है और द्वार के निकट पहुंचने पर उसे लगता है कि वह बच जाएंगी। वह इत्मिनान की सांस लेती है और सांस की सूक्ष्म ध्वनि पर नायक उसे गोली मार देता है। वह जाते समय कहता है कि तुम्हें अभिनय और गायन सिखाते समय मैंने सांस नियंत्रण की शिक्षा देने का प्रयास किया था पर तुमने कुछ सीखा नहीं। दरवाजे पर तुमने लंबी सांस ली और सांस की डोर कट गई।

दरअसल, दृष्टिहीन द्वारा ध्वनि पर निशाना साधने का काम गुरु द्रोण ने अपने शिष्यों को सिखाया था। इतिहास में वर्णन है कि चंद बरदाई का दोहा सुनकर पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी के बैठने का संकेत दिया था और गोरी मारा गया था। ज्ञातव्य है कि पृथ्वीराज चौहान ग्यारह बार गोरी को हरा चुके थे और बारहवें युद्ध में हारकर कैदी बनाएं जाने के बाद गोरी ने उनसे दृष्टि छीन ली थी। इस प्रकरण के अंत में कवि चंद बरदाई भी मार दिए गए थे। दृष्टिहीन पात्रों पर देश-विदेश में फिल्में बनी हैं। ऑड्रे हैपबर्न अभिनीत 'वेट अनटिल डार्क' अत्यंत सफल फिल्म थी, जिसमें दृष्टिहीन नायिका अांख वाले उस अपराधी को मार देती है, जो चोरी करने घर में घुसा था।

बाइबिल में भी दृष्टिहीन बना दिया गया बंदी योद्धा सैमसन दुश्मनों का नाश करता है और इस पर 'सैमसन एंड डिलाइला' नामक अंग्रेजी फिल्म से प्रेरित प्रेमनाथ ने हिंदुस्तानी फिल्म 'औरत' बनाई थी। उसमें रोचक दृश्य यह था कि सैमसन की दैवी शक्ति उसके बालों में निहित थी और खलनायक उसे बंदी बनाकर गंजा कर देता है परंतु वह भूल जाता है कि क्लाइमैक्स तक उसके बाल फिर आ गए है। एक अंग्रेजी भाषा का उपन्यास है 'आइलैस इन गज़ा' जिसमें एक सीनेटर, उसकी पत्नी और कमसिन पुत्री के कार एक्सीडेंट में सीनेटर मर जाता है और कमसिन बेटी की एक आंख को नुकसान पहुंचता है। नायिका टैक्सी ड्रायवर से उसे उस अस्पताल ले जाने के लिए कहती है, जहां उसका वह भूतपूर्व प्रेमी नैत्ररोग विशेषज्ञ है, जिसने पढ़ाई के दिनों में उसका प्रेम निवेदन ठुकरा दिया था। सीनेटर पत्नी उस डॉक्टर को गुमराह करके अपनी बेटी की फूटी आंख निकालने से रोकती है, क्योंकि वह जानती है कि सिम्पेथेटिक ऑफ्थेलिया में अगर जल्दी खराब आंख निकाली नहीं गई तो स्वस्थ अांख भी काम करना बंद कर देती है । बेटी की दोनों आंखों के जाते ही वह डॉक्टर पर 5 अरब डॉलर का मुकदमा दायर करती है ताकि वर्षों पूर्व उसके विवाह प्रस्ताव को नकारने का बदला लिया जा सके।

अदालत में केस चलता है। डॉक्टर की इंशोरेंस कंपनी डॉक्टर को बचाने की चेष्टा करती है और इसी प्रक्रिया में अमेरिका के डॉक्टरों की 'कॉन्स्परेसी ऑफ साइलेंस' उजागर होती है, जिसके अलिखित समझौते में यह तय होता है कि एक डॉक्टर दूसरे के खिलाफ गवाही नहीं देगा। मुकदमे के दौरान यह प्रश्न पैदा होता है कि सीनेटर की पत्नी नज़दीकी अस्पताल में नहीं जाकर दूरी पर बसे उस अस्पताल में क्यों जाती है, जहां उसके विवाहप्रस्ताव को नकारने वाल डॉक्टर काम करता है? यह भी उजागर होता है कि मृत सीनेटर पर बहुत बड़ा कर्ज था और उसकी पत्नी के लिए इस मुकदमे से पाई रकम आवश्यक थी। एक सवाल यह भी है कि गांधारी ने दृष्टिहीन धृतराष्ट्र से विवाह पूर्व खुद की आंखों पर पट्‌टी क्यों बांधी? जब माता-पिता दोनों दृष्टिहीन हो तो संतान के गुमराह होते समय उन्हें रोक ही नहीं पाते। प्राय: शासक वर्ग दृष्टिहीन ही होता है।