गुमशुदा होर्डिंग कला का श्राद्ध गीत / जयप्रकाश चौकसे

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गुमशुदा होर्डिंग कला का श्राद्ध गीत
प्रकाशन तिथि : 03 दिसम्बर 2018

फिल्म उद्योग से वे लोग भी जुड़े हैं, जो कभी स्टूडियो नहीं जाते और न ही शूटिंग के बाद संपादन व डबिंग इत्यादि कार्य में हिस्सा लेते हैं। शूटिंग के समय हर शॉट के बाद स्थिर चित्रकार मूवी कैमरे के स्थान से ही एक छाया चित्र लेता है, जिनका एक एलबम बनाया जाता है। फिल्म की प्रचार सामग्री बनाने वाले एलबम के स्थिर चित्रों के आधार पर बड़े होर्डिंग बनाते हैं, जो सिनेमा घर के बाहर और शहर के प्रमुख रास्तों पर लगाए जाते हैं। राजस्थान के टोंक में जन्मे बृजमोहन गुप्ता ने होर्डिंग बनाने का काम आधी सदी तक किया। उन्होंने अनगिनत फिल्मों के होर्डिंग बनाने के साथ ही पोट्रेट पेंटिंग भी की हैं। उनकी एक पेंटिंग लंदन के संग्रहालय में भी लगी है। ज्ञातव्य है कि विश्व विख्यात चित्रकार एमएफ हुसैन ने भी अपना कॅरिअर मुंबई में फिल्म होर्डिंग बनाने से ही शुरू किया था। स्वयं हुसैन ने वर्षों बाद रणवीर कपूर को यह बताया था कि वे 'आवारा' के प्रीमियर पर भीड़ के बीच खड़े होकर राज कपूर के ऑटोग्राफ लेने के लिए बेताब हुए जा रहे थे और राज कपूर ने उन्हें ऑटोग्राफ देते समय कहा कि एक दिन ऐसा आएगा जब राज कपूर स्वयं हुसैन का ऑटोग्राफ लेंगे। राज कपूर उन्हें चित्रकला करते पहले देख चुके थे। यह बात उस समय की है जब राज कपूर की मृत्यु के बाद उनके पुत्र 'हिना' बनाने की तैयारी कर रहे थे। इतना ही नहीं हुसैन ने 'हिना' की कथा सुनने के बाद लगभग दो दर्जन पेंटिंग्स बनाईं जिनके स्थिर चित्र रणधीर कपूर के दफ्तर में आज भी लगे हैं।

लंबे समय तक भुसावल शहर में फिल्म वितरकों के दफ्तर थे। रेलवे जंक्शन होने के कारण भुसावल को चुना गया था, क्योंकि उस दौर में 40 किलो के फिल्म प्रिंट्स रेल द्वारा ही सब जगह भेजे जाते थे। भुसावल से ही प्रिंट सेंट्रल सर्किट के सिनेमाघरों तक वितरकों के माध्यम से पहुंचते थे। ज्ञातव्य है कि जेपी सिंघल नामक व्यक्ति प्रचार सामग्री के डिजाइन पेंट करता था और दिवाकर की प्रिंटिंग प्रेस में उन्हें छापा जाता था। जेपी सिंघल ने जनजातियों की कन्याओं के चित्र बनाकर बहुत नाम कमाया था। गरीबी के कारण जनजातियों की कन्याएं बमुश्किल अपना आधा तन ढक पाती थीं और लम्पट मनुष्य की लार टपक जाती थी। एक बार में मुलगावकर के बनाए चित्रों से कैलेंडर बनते थे। मुलगावकर की विशेषता यह थी कि उनके पेंट किए गए पुरुष पात्र कन्याओं से अधिक कमनीय होते थे। पौराणिक पात्रों की छवियां आवाम के अवचेतन में मुलगावकर की कैलेंडर कला के कारण जम गई थीं। गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित आख्यान में भी इस तरह के चित्रों का समावेश किया गया। उनकी मासिक पत्रिका 'कल्याण' ने भी अधकचरे किशोर मस्तिष्क में गलत अर्थ चस्पा कर दिए। आज के लोकप्रिय नेताओं के अवचेतन में भी गीता प्रेस गोरखपुर की प्रकाशित रचनाएं जमी हुई हैं और अतीत को वर्तमान में मनमाने ढंग से प्रचारित करके नेता चुनाव जीत रहे हैं। सामूहिक अवचेतन भी इंसानों के रेशों से बुना हुआ है।

कुछ फिल्मों की बुकलेट्स में भी चित्रकला का प्रयोग हुआ है। 'मदर इंडिया' की बुकलेट में पेंटिंग्स हैं। इसी तरह 'सत्यम शिवम सुंदरम' की बुकलेट में प्रकाशित स्थिर चित्र पेंटिंग्स की तरह ही लगते हैं। पाकीजा की बुकलेट भी प्रभावित करती है। पहले सिनेमा घर के सामने गीतों की बुकलेट बेची जाती थी। गीत के मुखड़े याद रहते हैं परंतु अंतरों का आनंद लेने के लिए बुकलेट की आवश्यकता होती है। आजकल शिवदत्त शुक्ला कंप्यूटर से चित्र बना रहे हैं। वर्तमान में सारी प्रचार सामग्री डिजिटल हो गई है। इस तरह टेक्नोलॉजी ने कला का एक क्षेत्र फिर हड़प लिया है। अतिक्रमण जारी है। डिजिटल प्रचार सामग्री कुछ इस तरह का प्रभाव देती है मानो व्यक्ति बादलों से गुजरे और ठंडक से मन भीगा न हो और न ही बादलों में छुपी बिजली के ताप को महसूस किया हो। सारा जीवन ही अभिनय में बीता जा रहा है। इसी तरह स्वांग जारी है। हम भले ही जी नहीं पा रहे हों परंतु मृत्यु तो हमारी ही होगी। इससे याद आता है कि आईएस जौहर नामक कलाकार ने डेविड लीन की 'लॉरेंस ऑफ अरेबिया' में चरित्र भूमिका का निर्वाह किया। फिल्म की सफलता के बाद आयोजित एक समारोह में उद्‌घोषक ने आईएस जौहर को भारत का चार्ली चैप्लिन बताया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आईएस जौहर ने उपरोक्त अतिरेक का माखौल इस तरह उड़ाया कि वे हमशक्ल जुड़वां जन्मे थे। वे परीक्षा में अव्वल आते और उनका आलसी भाई हमशक्ल होने का लाभ उठाकर प्रमाण-पत्र ले आता, वे क्रिकेट में शतक मारते और जुड़वा 'मैन ऑफ द मैच' का नाम ले जाता था। उनकी प्रेमिका से उनके जुड़वा ने विवाह कर लिया। इन सब अन्याय का बदला आईएस जौहर ने यूं लिया कि एक दिन वे मर गए और लोग उनके जुड़वा का दाह संस्कार करके आ गए। यह आईएस जौहर का 'विट' है जिसे 'हास्य' समझना गलत होगा। दरअसल 'हास्य' और 'विट' भी हमशक्ल जुड़वा ही हैं।