गोलियों से भी अधिक घातक होती हैं गालियां / जयप्रकाश चौकसे

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गोलियों से भी अधिक घातक होती हैं गालियां
प्रकाशन तिथि : 11 फरवरी 2021

अगर मानव शरीर को हम किचन में काम करने वाला प्रेशर कुकर मान लें तो सेफ्टी वॉल्व द्वारा निकलने वाली अतिरिक्त वाष्प को अपशब्द कहना होगा। हताशा और नैरश्य भी कभी-कभी अपशब्द द्वारा अभिव्यक्त किए जाते हैं। गोलियां दागने के बदले गालियां दी जाती हैं। कहीं-कहीं मित्रों के बीच गालियां देने का मुकाबला होता है। अधिकांश अपशब्द महिलाओं से संबंधित हैं। समाज द्वारा महिलाओं के प्रति अन्याय किए जाने के कारण ही अपशब्दों का केंद्र महिलाओं को बनाया गया है। अपशब्दों की संख्या सीमित है और इसी कारण उन्हें दोहराया जाता है। सदियों में किसी मौलिक अपशब्द का आविष्कार नहीं किया गया है परंतु अपशब्दों को नए मुखोटे दिए जाते हैं। जन्म देने वाली कोख को गालियों का उद्गम बनाना क्रूरता व अज्ञान की सीमा है।

आणविक विस्फोट से होने वाले नुकसान को बताने के लिए एक फिल्म बनी थी ‘द डे आफ्टर’। इस फिल्म में यह कहा गया कि आणविक विकिरण का कोई प्रभाव कॉकरोच पर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसमें रक्त के बदले मवाद होता है। कॉकरोच परजीवी होता है। वह मैले पर पनपता है। समाज और फिल्म उद्योग में परजीवी हमेशा होते हैं। सितारे के इर्द-गिर्द परजीवी आ जाते हैं। सितारा भी अकेलापन सहन नहीं कर पाता। उसे भीड़ से घिरा होना पसंद है। उसकी असुरक्षा का भय भी उसे एकांकीपन से डराता है। राजेश खन्ना तो अपने हनीमून पर भी आधा दर्जन चमचे साथ लेकर गए थे। अमिताभ बच्चन अपने आसपास चाटुकारों को नहीं आने देतेे। वे एकांकीपन से भयभीत नहीं हैं। नज़दीकी दोस्तों के बीच गालियों द्वारा एक-दूसरे का अभिवादन किया जाता है। एक भरम यह है कि महिलाएं अपशब्दों का प्रयोग नहीं करतीं। नरगिस की मां जद्दनबाई गालियों की अदायगी ऐसे करती थीं मानों गजल गा रही हों। महिलाओं में सबसे अधिक प्रयुक्त शब्द खस्मा नू खानी है। पुरुषों को नपुंसक कहलाना सबसे बड़ी गाली लगती है।

दिल की भड़ास गालियों द्वारा अभिव्यक्त की जाती है। असहाय महसूस होने पर गालियां दी जाती हंै। कुछ फिल्मों में अपशब्द प्रयुक्त सीन पर सेंसर नाराज़ होता है तो फ़िल्मकार रीशूट करने के बदले ध्वनि पट्‌ट को खामोश कर देते थे परंतु कलाकार के चेहरे से ही स्पष्ट हो जाता था कि वह क्या कह रहा है। मनुष्य का अपमान करने के लिए उसे कुत्ता या गधा कहा जाता है जो दरअसल जानवर का अपमान है। कुत्ता वफ़ादार होता है। धीमे पैर बिना आवाज़ किए आने वाली मृत्यु के आगमन का पूर्वानुमान कुत्तों को सबसे पहले हो जाता है और वे क्रंदन करने लगते हैं। प्राय: मूर्ख व्यक्ति को गधा कहा जाता है। कभी-कभी निकम्मे व्यक्ति को अपमानित करने के लिए कहा जाता है ‘धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का’। ज्ञातव्य है कि खच्चर की पीठ पर सामान लादा जाता है और वह दुर्गम पहाड़ी पर चढ़ जाता है।

सरहदी संकट के समय खच्चर बड़े काम आते हैं। महान लेखक किशन चंद्र के उपन्यास का नाम है, ‘एक गधे की आत्मकथा’ हताशा के क्षणों में शिखर पर विराजे लोग भी अपशब्द का प्रयोग करते हैं। हम प्राय: देखते हैं कि क्रिकेट के मैदान पर कैच छूटते ही गेंदबाज़ कुछ बुदुबुदाता है। यह एक तरह से अपशब्द कहना है। बल्लेबाज के निकट खड़े क्षेत्ररक्षक उसे अपशब्द कहते हैं ताकि बल्लेबाज का ध्यान भंग किया जा सके। इस तरह आउट किए जाने का श्रेय गेंदबाज़ को नहीं वरन अपशब्द कहने वाले क्षेत्र रक्षक को दिया जाना चाहिए। स्कोर बुक में लिखा जाना चाहिए कि खिलाड़ी अपशब्द द्वारा आउट किया गया है। रोज़मर्रा के जीवन में अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है परंतु उच्च सदनों में शिखर व्यक्तियों द्वारा अपशब्द नहीं बोलने जाने चाहिए। हताश व्यक्ति और क्या कर सकता है। कभी-कभी आसमान से तारा टूटता सा नजर आता है इसे अंतरिक्ष द्वारा कहा गया अपशब्द मानना चाहिए।