घृणा / राहुल शिवाय

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरामजादी, कोई काम सही से नहीं होता तुमसे। बाबूजी ने भी क्या मेरे गले बांध दिया है। "यह कहते हुये रामलाल ने अपनी पत्नी को दो थप्पड जड दिये।" तडाक। तडाक। "

तमाचे और गालियों की इस तेज अवाज को सुनकर १२ साल के कमल का ध्यान विडियो गेम से हट गया और वह अपने कमरे की खिडकी से नीचे झांकने लगा।

उसकी मॉ अपने ऑखों को पोछ रही थी, सिसक रही थी। और उसके पिता रामलाल कह रहे थे "पता है यह शो-पीस कितने का है। तीन हजार का है। कभी तुम्हारे बाप ने तीन सौ का भी सामान खरीद के दिया है। जब से शादी हुई है, जीना हराम हो गया है। मैं कहता था गांव की अनपढ लडकी से मुझे शादी नहीं करनी, लेकिन मेरी एक न सुनी गई. खुद तो बाबूजी उपर चले गये और इस बेबकूफ को मेरे साथ बांध गये।"

कमल को यह सब सुनकर बडा गु्स्सा आ रहा था। पर वह डर के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था। इस घटना ने उसके कोमल मन को बूरी तरफ प्रभावित किया था। जिस पिता के विडियो गेम खरीद के देने पर, आज वह उसे विश्व का सबसे अच्छा पिता कह चुका था, उनके इस स्वभाव के कारन उन्ही से पलभर में उसे घृणा होने लगी थी।