छोटी-सी कहानी / अशोक भाटिया

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक भरा-पूरा पुरुष था। वह दिल की तरह बहना चाहता था।

एक भरी-पूरी खूबसूरत स्त्री थी। वह दिमाग थी। वह पुरुष की तलाश में थी।

दोनों को एक-दूसरे का संसर्ग मिला।

पुरुष का दिल जब खूब बह लिया, तो उसे स्त्री के दिमाग का पता चला।

स्त्री का दिमाग जब पुरुष से खूब खेल चुका तो पुरुष के दिल का उस पर असर होने लगा।

पुरुष को स्त्री का जाल चुभने लगा तो उसका दिमाग जागा।

स्त्री को पुरुष का दिल खींचने लगा तो उसका दिल जागा।

पुरुष दिमाग हो गया।

स्त्री दिल हो गई।

पुरुष स्त्री से दूर जाने लगा।

अब स्त्री का दिल बहना चाहता था...

-0-