जगदीश्‍वर चतुर्वेदी / परिचय

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 जगदीश्‍वर चतुर्वेदी की रचनाएँ     

मथुरा में जन्‍म। आरंभ से ही संस्‍कृत माध्‍यम से शि‍क्षा,प्रथमा से लेकर आचार्य (सि‍द्धान्‍त ज्‍योति‍ष) तक संपूर्णानन्‍द संस्‍कृत वि‍श्‍ववि‍द्यालय,वाराणसी से शि‍क्षा ग्रहण, बाद में जवाहर लाल नेहरू वि‍श्‍ववि‍द्यालय,नई दि‍ल्‍ली से हि‍न्‍दी में एम.ए.एम.फि‍ल् ,पी.एच.डी.,सन् 1984-85 में जवाहरलाल नेहरू वि‍श्‍ववि‍द्यालय छात्रसंघ अध्‍यक्ष,सन् 1989 में हि‍न्‍दी वि‍भाग कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय में लेक्‍चरर पद पर नि‍युक्‍ति‍। सन् 2001 से यहीं पर प्रोफेसर पद पर कार्यरत। तकरीबन 30 से ज्‍यादा कि‍ताबें प्रकाशि‍त।साहि‍त्‍यालोचना और मीडि‍या का वि‍शेष अध्‍ययन।

प्रकाशित पुस्तकें

1. दूरदर्शन और सामाजिक विकास,1991,डब्ल्यू न्यूमैन एंड कंपनी,कोलकाता.

2. मार्क्‍सवाद और आधुनिक हिन्दी कविता,1994,राधा पब्लिकेशंस,दिल्ली

3. आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकतावाद,1994,सहलेखन,संस्कृति प्रकाशन ,कोलकाता

4. जनमाध्यम और मासकल्चर, 1996,सारांश प्रकाशन दिल्ली.

5. हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की भूमिका,1997,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर रा.लि. दिल्ली

6. स्त्रीवादी साहित्य विमर्श ,2000,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि.दिल्ली

7. सूचना समाज ,2000, अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीग्यूटर प्रा.लि. दिल्ली.

8. जनमाध्यम प्रौद्योगिकी और विचारधारा, 2000,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि.दिल्ली

9. माध्यम साम्राज्यवाद ,2002,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि. दिल्ली

10. जनमाध्यम सैध्दान्तिकी, 2002,सहलेखन, अनामिका पब्लिशर्स एड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि. दिल्ली

11. टेलीविजन,संस्कृति और राजनीति, 2004,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि. दिल्ली

12. उत्तर आधुनिकतावाद ,2004,स्वराज प्रकाशन, दिल्ली.

13. साम्प्रदायिकता,आतंकवाद और जनमाध्यम,,2005,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि.दिल्ली

14. युध्द,ग्लोबल संस्कृति और मीडिया ,2005,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि.दिल्ली

15. हाइपर टेक्स्ट,वर्चुअल रियलिटी और इंटरनेट ,2006,अनामिका पब्लिकेशंस एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि.

16. कामुकता,पोर्नोग्राफी और स्त्रीवाद, 2007,(सहलेखन) आनंद प्रकाशन, कोलकाता.

17. भूमंडलीकरण और ग्लोबल मीडिया,2008,(सहलेखन),अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि.दिल्ली

18. नंदीग्राम मीडिया और भूमंडलीकरण ,2008, अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि.दिल्ली

19. मीडिया प्राच्यवाद और वर्चुअल यथार्थ, 2008(सहलेखन),अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि. दिल्ली

20. वैकल्पिक मीडिया लोकतंत्र और नॉम चोम्स्की ,2008,(सहलेखन),अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि. दिल्ली

21. ग्लोबल चीन, तिब्बत दमन और मीडिया, 2009, अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि. दिल्ली .

22. ओबामा और मीडि‍या , 2009अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि. दिल्ली .

23. 2009 लोकसभा चुनाव और नव्‍य उदार प्रौपेगैण्‍डा, 2009 ,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर,प्रा.लि. दिल्ली .

सम्पादित पुस्तकें

1. बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद,1991,डब्ल्यू न्यूमैन एंड कंपनी,कोलकाता. 2. प्रेमचंद और मार्क्‍सवादी आलोचना, सहसंपादन,1994,संस्कृति प्रकाशन,कोलकाता. 3. स्त्री अस्मिता,साहित्य और विचारधारा,सहसंपादन, 2004,आनंद प्रकाशन ,कोलकाता. 4. स्त्री काव्यधारा, सहसंपादन,2006,अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा.लि. दिल्ली. 5. स्वाधीनता-संग्राम,हिन्दी प्रेस और स्त्री का वैकल्पिक क्षेत्र,सहसंपादन, 2006, अनामिका प्रा.लि. दिल्ली

अन्‍य पुस्‍तकों में संकलि‍त आलेख और शोध पत्र

1. क्षेत्रीय चैनलों की स्वायत्तता , सुधीश पचौरी (सं.) 'दूरदर्शन स्‍वायत्‍तता और स्‍वतंत्रता', सचि‍न प्रकाशन, दि‍ल्‍ली,1990,पृ.126- 132 2.राहुल सांकृत्‍यायन की इति‍हासदृष्‍टि‍ : समाज के इति‍हास के संदर्भ में, श्रीनि‍वास शर्मा ( सं) राहुल सांकृत्‍यायन: व्‍यक्‍ति‍ और वाड.मय,छपते छपते प्रकाशन, कोलकाता, 1994 3. कामुकता की संस्‍कृति‍ , राजकि‍शोर,(सं), अश्‍लीलता का हमला, वाणी प्रकाशन,नईदि‍ल्‍ली, 1998, पृ.26- 49 4. आजादी पूर्व की हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता में स्‍त्री वि‍मर्श , श्रीनि‍वास शर्मा (सं.) ,राष्‍ट्रीय मुक्‍ति‍ संग्राम और हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता, छपते छपते प्रकाशन, कोलकाता,1999,पृ.230- 259. 5. संचार क्रांति‍ और साहि‍त्‍य, शंभुनाथ,अमरनाथ शर्मा (सं.) 'आधुनि‍क साहि‍त्‍य मूल्‍यांकन के नए परि‍प्रेक्ष्‍य', एकेडमि‍क स्‍टॉफ कॉलेज, कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय, कोलकाता, 2001 , पृ.104- 112 . 6. मीडि‍या समीक्षा का परि‍प्रेक्ष्‍य, शंभुनाथ,अमरनाथ शर्मा (सं.) 'आधुनि‍क साहि‍त्‍य मूल्‍यांकन के नए परि‍प्रेक्ष्‍य', एकेडमि‍क स्‍टॉफ कॉलेज, कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय,कोलकाता,2001, पृ. 113- 118. 7.मध्‍यकालीन समाज,संस्‍कृति‍ और वि‍चारधारा, सुधा सिंह (सं.) मध्‍यकालीन साहि‍त्‍य वि‍मर्श, आनंद प्रकाशन, कोलकाता, 2004,पृ.199- 206 8. जायसी और पेमाख्‍यान परंपरा, सुधा सिंह (सं.)मध्‍यकालीन साहि‍त्‍य वि‍मर्श, आनंद प्रकाशन, कोलकाता, 2004,पृ.232- 238 9. भक्‍ति‍ आंदोलन और स्‍त्रीकाव्‍य, सुधा सिंह (सं.)मध्‍यकालीन साहि‍त्‍य वि‍मर्श, आनंद प्रकाशन, कोलकाता, 2004,पृ.286- 331 10. स्‍त्री साहि‍त्‍य की समस्‍याएं, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004, पृ. 127- 148 . 11. पि‍तृसत्‍तात्‍मकता और साहि‍त्‍य, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004,257- 267 12. रामवि‍लास शर्मा,यशपाल,राहुल सांकृत्‍यायन ,नागार्जुन स्‍त्रीवादी परि‍प्रेक्ष्‍य में, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता, साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004,पृ. 298-338 . 13. स्‍त्री वि‍मर्श के नए आयाम, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता, साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन,2004,पृ.379- 389 . 14. कामुकता और जनमाध्‍यम, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता, साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004,पृ.402-420

चुनिंदा प्रकाशित आलेख एवं शोधपत्र

1. भारतीय समाज में जाति और वर्ण, समकालीन सृजन,कोलकाता, जुलाई-दिसम्बर 1989,पृ 88-108. 2. प्रतिष्ठानी भारतीय पत्रकारिता ,समकालीन सृजन,कोलकाता, जनवरी-दिसम्बर 1990, पृ.157-167. 3. क्षेत्रीय चैनलों की स्वायत्तता , सुधीश पचौरी (सं.) 'दूरदर्शन स्‍वायत्‍तता और स्‍वतंत्रता', सचि‍न प्रकाशन, दि‍ल्‍ली,1990,पृ.126- 132. 4. नागार्जुन की काव्‍य रचना यात्रा , अकादमि‍क प्रवेशांक,पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी,कोलकाता, 1991,पृ.56- 72. 5. केबल टेलीवि‍जन : राष्‍ट्रीय बहस जरूरी है, प्रति‍पक्ष, नई दि‍ल्‍ली, अक्‍टूबर 1999,पृ.126-132 6. दूरदर्शन के वि‍कास का भारतीय परि‍प्रेक्ष्‍य , सामयि‍क परि‍दृश्‍य ,कोलकाता, अप्रैल- जून1991, पृ .85- 111 . 7. केबल टेलीवि‍जन और समाज, उदभावना, नई दि‍ल्‍ली, अंक 27, जनवरी- मार्च 1992, पृ. 45- 58 . 8. टेलीवि‍जन माध्‍यम का चरि‍त्र : कुछ पहलू ,धूमकेतु 1,पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी, कोलकाता, जनवरी- मार्च 1992, पृ.94-103 9.टेलीवि‍जन और वि‍चारधारा ,वातायन,बीकानेर, अक्‍टूबर- दि‍सम्‍बर 1992,पृ.17- 25. 10. समाजवादी समाजों के प्रभाव का सैद्धान्‍ति‍क आधार, साम्‍य पुस्‍ति‍का- 9, 1993, पृ. 66- 79 . 11. संप्रेषण कलाओं के इति‍हास का परि‍प्रेक्ष्‍य , जनसंकल्‍प,कोलकाता, 1992, पृ.27- 46. 12. वर्तमान संदर्भ में जनसंचार माध्‍यमों की भूमि‍का, जनश्रुति‍ - 2,पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी,कोलकाता, पृ.5- 31. 13 .कथालोचन की परंपरा में नि‍राला का कथा साहि‍त्‍य, जनश्रुति‍- 4, पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी, कोलकाता, 72-104 . 14. वि‍ज्ञापन और वि‍चारधारा 1, उदभावना, अंक 33-34, दि‍ल्‍ली, पृ.31-40 . 15. वि‍ज्ञापन और वि‍चारधारा 2, उदभावना, अंक35-36, दि‍ल्‍ली,पृ.91- 104 . 16. राष्‍ट्रीय जागरणकालीन हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता का मार्क्‍सीय परि‍प्रेक्ष्‍य, धूमकेतु 2, पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी,कोलकाता, 1992-93, पृ.9- 38. 17. बी.बी.सी. का असली चेहरा, नई आजादी उदघोष,इलाहाबाद, जुलाई-अगस्‍त,1993, पृ.10-12 . 18. टेलीवि‍जन यथार्थवाद , साहि‍त्‍य, जनवादी लेखक संघ,पश्‍चि‍म बंगाल,कोलकाता, जनवरी-मार्च 1993, पृ.45-54 . 19. टेलीवि‍जन संस्‍कृति‍ और पाठ , कालबोध, कोलकाता, जुलाई1994, पृ.1-12 . 20. पाठ के मूल्‍यांकन की मार्क्‍सवादी पद्धति‍,पश्‍यन्‍ती,अक्‍टूबर-दि‍सम्‍बर 1994, पृ.129-136

21. राहुल सांकृत्‍यायन की इति‍हासदृष्‍टि‍ : समाज के इति‍हास के संदर्भ में, श्रीनि‍वास शर्मा ( सं) राहुल सांकृत्‍यायन: व्‍यक्‍ति‍ और वाड.मय,छपते छपते प्रकाशन, कोलकाता, 1994. 22. आतंकवाद और प्रेस, उदभावना, नई दि‍ल्‍ली, जुलाई-सि‍तम्‍बर 1995, पृ.89-93. 23. उत्‍तर आधुनि‍कतावाद का परि‍प्रेक्ष्‍य, उत्‍तरार्द्ध,मई 1995,पृ.55-57 . 24. नागार्जुन की कवि‍ता और स्‍त्रीवाद,स्‍वाधीनता ,शारदीय अंक,1997,कोलकाता, पृ.142- 146. 25 . स्‍त्री साहि‍त्‍य का इति‍हास : संदर्भ हि‍न्‍दी, स्‍वाधीनता, शारदीय अंक,1998,कोलकाता,

26. स्‍त्रीवादी साहि‍त्‍य समीक्षा के मानदण्‍ड: संदर्भ एलि‍न शोवाल्‍टर, वागर्थ,अंक 38,मई

27. कामुकता की संस्‍कृति‍ , राजकि‍शोर,(सं), अश्‍लीलता का हमला, वाणी प्रकाशन,नई

28. आधुनि‍क गालि‍ब और आधुनि‍कता , स्‍वाधीनता, साप्‍ताहि‍क, कोलकाता, 6जून 1998 से 27 जून 1998 तक . 29. आज का भारत और प्रेमचंद,स्‍वाधीनता, साप्‍ताहि‍क, 25 जुलाई 1998.पृ.4-5 30. सूचना समाज और संस्‍कृति‍ :1, धूमकेतु 5, पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी,कोलकाता,

31. सूचना समाज और संस्‍कृति‍: 2, धूमकेतु 6, पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी,कोलकाता,

32. ब्रेख्‍त: द्वंद्वात्‍मक रंगमंच और कवि‍ता की सैद्धान्‍ति‍की, वागर्थ,कोलकाता,1999,पृ.19-26 . 33. नई तकनीक नई दुनि‍या और नए संघर्ष, समकालीन सृजन,कोलकाता, अंक 19, 1999,

34. आजादी पूर्व की हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता में स्‍त्री वि‍मर्श , श्रीनि‍वास शर्मा (सं.) ,राष्‍ट्रीय मुक्‍ति‍ संग्राम और हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता, छपते, छपते प्रकाशन, कोलकाता,1999,

35. हि‍न्‍दी में दलि‍त वि‍मर्श ,वागर्थ,कोलकाता, सि‍तम्‍बर 1999,पृ.81- 90 . 36. पि‍तृसत्‍तात्‍मकता, स्‍त्रीवाद और संस्‍कृत साहि‍त्‍य,स्‍वाधीनता, शारदीय अंक, 1999,

37. बुर्जुआ हीरो की क्षयगाथा का चि‍तेरा : नागार्जुन ,पश्‍चि‍म बंगाल, पश्‍चि‍म बंगाल

   सरकार सूचना और संस्‍कृति‍ वि‍भाग,कोलकाता, पृ. 85- 89. 

38 . माध्‍यम साम्राज्‍यवाद,स्‍वाधीनता,साप्‍ताहि‍क,कोलकाता, 24 अप्रैल1999,1 मई 1999, 8 मई 1999, 29मई 1999,5 जून 1999, 12 जून 1999, 19 जून 1999,

39. कम्‍युनि‍स्‍ट घोषणापत्र और साहि‍त्‍य, स्‍वाधीनता, साप्‍ताहि‍क, कोलकाता, 23 जनवरी,1999, 6 फरवरी 1999, 13 फरवरी 1999, 20 फरवरी 1999, 27 फरवरी 1999, 6 मार्च 1999, 13 मार्च 1999,13 मार्च 1999, 20 मार्च 1999, 40. कल्‍याणकारी अर्थशास्‍त्र की अवधारणा, वागर्थ, मई 1999,पृ.110-112 41. कबीर और समकालीन साहि‍त्‍यि‍क परि‍दृश्‍य: मार्क्‍सवादी मूल्‍यांकन,पश्‍चि‍म बंगाल, कोलकाता, कबीर वि‍शेषांक, 1सि‍तम्‍बर- 1 अक्‍टूबर 1999,पृ. 31-52 42. मीडि‍या साम्राज्‍यवाद ,समकालीन सृजन,कोलकाता, 2000,पृ.49- 65 . 43. सुमि‍त्रानंदन पंत : समग्र जीवन का स्‍वरसि‍द्ध कवि‍, एक और अन्‍तरीप, वर्ष 9, अंक1,

44. समग्र जीवन का स्‍वरसि‍द्ध कवि‍ पंत,रचना, अंक 26,सि‍तम्‍बर-अक्‍टूबर 2000,मध्‍यप्रदेश शासन उच्‍चशि‍क्षा वि‍भाग एवं मध्‍यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी का संवेत उपक्रम, भोपाल,पृ. 31- 33 45. उत्‍तर आधुनि‍कता हम और अन्‍य का प्रश्‍न, स्‍वाधीनता ,शारदीय अंक,2000,

46. भूमंडलीय संस्‍कृति‍ और माध्‍यम भाषा, छपते छपते ,दीपावली वि‍शेषांक,2000,

47. भूमंडलीकरण और इंटरनेट तकनीकी,सहमत मुक्‍तनाद,मार्च-अप्रैल 2000,पृ.22-28,41 48 . संचार क्रांति‍ और समाज, छपते छपते ,दीपावली वि‍शेषांक ,कोलकाता,2001 . 49. चुनौति‍यां माध्‍यम साम्राज्‍यवाद की,जनसत्‍ता,वार्षि‍क अंक 2001,पृ.13-16 50 . आतंकवाद और माध्‍यम साम्राज्‍यवाद, स्‍वाधीनता,साप्‍ताहि‍क ,कोलकाता, शारदीय

.

51. संचार क्रांति‍ और साहि‍त्‍य, शंभुनाथ,अमरनाथ शर्मा (सं.) 'आधुनि‍क साहि‍त्‍य मूल्‍यांकन के नए परि‍प्रेक्ष्‍य', एकेडमि‍क स्‍टॉफ कॉलेज,कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय,कोलकाता,2001 , पृ.104- 112 . 52. मीडि‍या समीक्षा का परि‍प्रेक्ष्‍य, शंभुनाथ,अमरनाथ शर्मा (सं.) 'आधुनि‍क साहि‍त्‍य मूल्‍यांकन के नए परि‍प्रेक्ष्‍य', एकेडमि‍क स्‍टॉफ कॉलेज, कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय,कोलकाता,2001, पृ. 113- 118. 53. राहुल का स्‍त्रीवादी मूल्‍यांकन, धूमकेतु 8-9, 2001, पृ.292-301 54. धार्मि‍क आतंकवाद का चरि‍त्र,आवरणकथा,जनसत्‍ता,सबरंग,25 नबम्‍बर 2001,पृ.5- 10. 55. साम्‍प्रदायि‍कता की माध्‍यम रणनीति‍ का परि‍प्रेक्ष्‍य, सामयि‍क परि‍दृश्‍य,अंक 4-5 , कोलकाता,पृ.158- 162 . 56. माध्‍यम साम्राज्‍यवाद का वैकल्‍पि‍क परि‍प्रेक्ष्‍य, पहल,जबलपुर,जनवरी-फरवरी 2002,पृ.174- 193

57. क्रांति‍कारी यशपाल, स्‍वाधीनता, शारदीय वि‍शेषांक,2002,पृ.121-132 58. अंधवि‍श्‍वासों के मकड़जाल में आम आदमी, आवरणकथा ,जनसत्‍ता, दैनि‍क,सबरंग,6 जनवरी 2002,पृ. 6- 12 59. बच्‍चों का मनोरंजन, जनसत्‍ता,सबरंग ,13 जनवरी 2002,पृ.25-26 60. संकट में शि‍क्षा व्‍यवस्‍था, सबरंग, जनसत्‍ता, 24 मार्च 2002, पृ 20- 25 61. उपग्रह चैनलों की लूट का वि‍कल्‍प, जनसत्‍ता,सबरंग,3मार्च 2002,पृ.14-15 62. साहि‍त्‍यि‍क पत्रकारि‍ता का संकट, जनसत्‍ता,सबरंग, 10फरवरी 2002,पृ.14-15, 63. साहि‍त्‍य में मीडि‍या, उपरोक्‍त,3 फरवरी 2002,पृ. 14-15, 64. मार्क्‍सवादी यशपाल, वर्तमान साहि‍त्‍य,यशपाल वि‍शेषांक, अक्‍टूबर-दि‍सम्‍बर,2003, पृ.301- 307 65. भूमंडलीय वर्चस्‍व और हर्बर्ट शि‍लर, वागर्थ, अंक, 101, दि‍सम्‍बर 2003,पृ.51- 68 66. मध्‍यकालीन समाज,संस्‍कृति‍ और वि‍चारधारा, सुधा सिंह (सं.) मध्‍यकालीन साहि‍त्‍य वि‍मर्श, आनंद प्रकाशन, कोलकाता, 2004,पृ.199- 206 67. जायसी और पेमाख्‍यान परंपरा, सुधा सिंह (सं.)मध्‍यकालीन साहि‍त्‍य वि‍मर्श, आनंद प्रकाशन, कोलकाता, 2004,पृ.232- 238 68. भक्‍ति‍ आंदोलन और स्‍त्रीकाव्‍य, सुधा सिंह (सं.)मध्‍यकालीन साहि‍त्‍य वि‍मर्श, आनंद प्रकाशन, कोलकाता, 2004,पृ.286- 331 69. स्‍त्री साहि‍त्‍य की समस्‍याएं, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004, पृ. 127- 148 . 70. पि‍तृसत्‍तात्‍मकता और साहि‍त्‍य, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004,257- 267 71. रामवि‍लास शर्मा,यशपाल,राहुल सांकृत्‍यायन ,नागार्जुन स्‍त्रीवादी परि‍पेक्ष्‍य में, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता, साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा,आनंद प्रकाशन,

2004, पृ. 298-338 . 72. स्‍त्री वि‍मर्श के नए आयाम, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता, साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन,2004,पृ.379- 389 . 73. कामुकता और जनमाध्‍यम, जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह (सं.) स्‍त्री अस्‍मि‍ता, साहि‍त्‍य और वि‍चारधारा, आनंद प्रकाशन, 2004,पृ.402-420 . 74. इंटरनेट की चुनौति‍यां,वर्तमान साहि‍त्‍य,अक्‍टूबर 2004,पृ.47-54 75. ज्‍याक देरि‍दा का न होना ,वर्तमान साहि‍त्‍य,अलीगढ़, दि‍सम्‍बर,2004, पृ.38- 40. 76.हाइपरटेक्‍स्‍ट यानी कम्‍प्‍यूटर भाषा की परंपरा 1, वागर्थ, कोलकाता,मई 2005,पृ.27- 30 77. हाइपरटेक्‍स्‍ट यानी कम्‍प्‍यूटर भाषा की परंपरा 2,वागर्थ जून 2005 78. लोकतांत्रि‍‍क कथा संरचना की चुनौति‍यां, वर्तमान साहि‍त्‍य, फरवरी-मार्च,2005,पृ.223-

79. आलोचना के ह्रास के युग में देरि‍दा का महत्‍व, कृति‍ संस्‍कृति‍ संधान,अंक4,अप्रैल-

80. माध्‍यम साम्राज्‍यवाद और कामुकता, सांस्‍कृति‍क समुच्‍चय,इलाहाबाद,अंक

81. डि‍जि‍टल युग में पत्रकारि‍ता और साहि‍त्‍य, नया ज्ञानोदय,नईदि‍ल्‍ली, अंक 24,फरवरी

82. लेबनान ,युद्ध की राजनीति‍ और मीडि‍या, पुस्‍ति‍का,उदभावना, अक्‍टूबर 2006 . 83. वि‍ज्ञापन को यहां से देखो, बीजभाषण ,संचयि‍ता, के;सी; महावि‍द्यालय,मुंबई, सन

84. रामचरि‍त मानस वि‍मर्श के नए पैराडाइम की तलाश में, वाक्, दि‍ल्‍ली, अंक 1,

85.पुनरूत्‍थानवाद,सुधारवाद,राष्‍ट्रवाद और धार्मि‍क तत्‍ववाद,धूमकेतु 10-11, पृ184- 241 86. स्‍त्री आत्‍मकथा की आलोचना पद्धति‍ के मानदण्‍ड, वसुधा 73, अप्रैल-जून 2007, 87. भूमंडलीय मीडि‍या और मासकल्‍चर, कल के लि‍ए,मार्च- जून 2007,पृ. 6-17 . 88. मानवतावाद,अस्‍मि‍ता ,स्‍मृति‍ की राजनीति‍ और आलोचना पद्धति‍, धूमकेतु 12, पश्‍चि‍म

89. वर्चुअल नंदीग्राम, जनसत्‍ता, वार्षि‍क अंक, 2007, पृ.178- 184 . 90. भारतीय वि‍ज्ञापन उद्योग और भूमंडलीकरण ,प्रभातखबर ,दीपावली वि‍शेषांक,2007,

91. वि‍ज्ञापन में भाषा और आधुनि‍कता के खेल, मंजरी, कोलकाता,अक्‍टूबर 2007,पृ.51-59 92. आलोचना में अ-लोकतंत्र,वाक्, नई दि‍ल्‍ली, अंक4,वर्ष 2008, पृ. 64- 73, 93. हाइपरटेक्‍स्‍ट, रेटोरि‍क और इति‍हासदृष्‍टि‍,संवेग,2008,नई दि‍ल्‍ली 94, दि‍मागी गुलामी का खेल ,वाक्, 2009, 95, इति‍हास का आधार प्रेमचंद क्‍यों नहीं,सबलोग,नई दि‍ल्‍ली,जुलाई 2009,पृ. 42-44