जहाँ जाइयेगा / सुशील यादव

Gadya Kosh से
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इस देश के 542 सीट के उम्मीदवारों ,जनता आपका पीछा नहीं छोड़ने वाली|

जनता अब जाग गई है|

चैन से तुम्हे सोना है...... तो अब तुम भी जाग जाओ.....|

हम काश्मीर से कन्याकुमारी ,राजस्थान से बंगाल समूचे भारत के आम आदमी हैं|

हमें तुमने खूब उल्लू बनाया|अब उल्लू बनाने का नइ ....|

हमारे हाथ में काम भले न हो, इंटरनेट वाला मोबाइल जरुर है|सो उल्लू बनाविंग का खेल ख़त्म|

पारदर्शिता वाला गेम चालू,.....|

दृश्य १....

मार्च का महीना,अंतिम सप्ताह ,बजट का अनाप-शनाप पैसा, लेप्स होने के कगार में|ताबड़तोड़ खरीददारी का अभियान चालू| आफिस में ये होते रहता है|बड़े बाबू ,क्या-क्या चाहिए? सब फटाफट ३१ के पहले खरीद लो| मेरे रूम का ऐ सी बदल दो ,पुराने सभी फर्नीचर चेज कर दो ,और स्टाफ को जो-जो चाहिए सब दिला दो|बड़ा बाबू ,जो बात –बात पर डाट खाते रहता साहब के तेवर से हकबकाते हुए कहता ,सर ,पहले कोटेशन्स मंगवाना पड़ेगा|

ये क्या कोटेशन्स लगा रखी है ,पहले कभी खरीदे नही क्या? श्याम फर्नीचर को फोन लगाओ ,कहो साहब ने याद किया है|तीन –तीन कोटेशन ले के आ जाए|कल बिल ,पेश कर दे ,पेमेंट कर देंगे|सामान आते रहेगा|

बड़े बाबू ने दबी जुबान से कहा ,सर वो आडिट....?

हम हैं ना? तुम क्यों घबराते हो ....|देख लेगे आडिट वालों को भी , एक-आध ऐ सी से ज्यादा क्या मुह फाड़ेंगे?

दृश २

नगर निगम विभाग ,रोड टेंडर .....|

क्या गुप्ता जी बहुत घटिया माल लगा रहे हो|रोड टिकता ही नहीं|अभी तीन महीने हुए हैं, पोटिया सड़क बने हुए ,देख के आओ ,क्या हालत हो गई है|

तुम्हारा टेंडर खुल भी जाए तो काम देने का मन नहीं करता|,हमे भी तो ऊपर जवाब देना होता है कि नहीं|पत्रकार लोग पीछा नहीं छोड़ते|

साहब ,आप को कोई झमेला नही आयेगा|,आप्प बिल पास करवाते जाइए,बाकी से हम निपट लेगे|और आपको बता दें, इसी निपटने के चक्कर में हमारा काम बढिया नही हो पाता|क्वालिटी मेंटेन नही कर पाते हम लोग ,वरना हम वो सड़क बना के दे कि बुलडोजर चला लो चाहे प्लेन उतार लो सड़क नही टूटेगी|

गुप्ता जी आजकल ज्यादा फेकने लगे हो|जाओ काम दिखाओ ,काम में मन लगाओ|

दृश्य ३

नक्सलाईट उवाच : कमांडर ,यहाँ लगा दे लेंड माइंस .....?

वहाँ क्या तेरा बाप गुजरेगा ,बहन के पिल्लै|

इस गाँव में एक मतदाता है ,सरकार पच्चीसों मुलाजिम भेजती है ,हमको गुमराह करती है|हम चाहे तो मतदाता को पकड़ ला सकते हैं,वे चाहे तो मतदाता को हेलीकाफ्टर में ले जाके मतदान करवा सकते हैं|मगर हम दोनों ये नहीं चाहते|हम दोनों का हक़ इस एक मतदाता वाले गाँव से जुडा है|सरकार को हम पर निगरानी रखने की एवज हेलिकाफ्टर,बोलेरो, अनेक गाड़ियाँ और अन्य सुविधाए मिलाती हैं|ऊपर से पैसे आते हैं|हमे सरकार की तरफ से ये सुव्विधा है कि वे हम पर इस गाँव में छुपे होने की निगरानी नहीं करते|

दृश्य ४

नेता जी ,कुछ आम आदमी सस्ते में मिल रहे हैं ,खरीद ले. क्या?

क्या रेट बोलते हैं?

......

अरे ये तो पिछली बार से दो-गुना ज्यादा है ,क्यों?

- वे कहते हैं ,आप सत्ता में आते ही दाम बढाते हो ,तब तो कुछ नहीं कहते?इलेक्शन ख़त्म होते ही पेट्रोल-गैस ,साग –सबजी के दामो में आग लगनी है| - - जिनसे चंदा लेकर चुनाव लड रहे हो उनकी भर-पाई में लग के, आम आदमी को जो भूल जाओगे ,उसका क्या? - - अरे यार ,बहस मत करो ,जो भी मागते हैं दे दो|आज उनकी हर बात जायज है|आने दो ...... - “इस तरह कुछ कुछ नेता ,कुछ अधिकारी, कुछ आम आदमी के बहकने-बिकने मात्र से प्रजातंत्र का खेल एकतरफा हो गया है ,आप समझे कि नइ....... ?”