ज़िन्दगी / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल

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उन्होंने मुझसे कहा, "पिंजरे में बैठी एक चिड़िया झाड़ियों में बैठी दस चिड़ियों से बेहतर है।"

लेकिन मैंने कहा, "झाड़ी में बैठी एक चिड़िया, यहाँ तक कि उसका एक पंख भी, पिंजरे में कैद दस चिड़ियों से बेहतर है।"

आप सोचते होंगे कि 'पंख' से मतलब 'पर लगे पाँवोंवाली ज़िन्दगी' है; नहीं, इसका मतलब ज़िन्दगी खुद है।