जाह्नवी कपूर 'मॉम' का पुरस्कार ग्रहण करेंगी / जयप्रकाश चौकसे

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जाह्नवी कपूर 'मॉम' का पुरस्कार ग्रहण करेंगी
प्रकाशन तिथि :16 अप्रैल 2018

श्रीदेवी को अपनी आखिरी फिल्म 'मॉम' में अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा हुई है और नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उनकी पुत्री जाह्नवी यह पुरस्कार ग्रहण करेंगी। बोनी कपूर और छोटी बेटी खुशी भी उस अवसर पर साथ होंगे। बोनी कपूर की पहली पत्नी मोना से जन्मे अर्जुन कपूर अौर उनकी बहन के अपने पिता और उनकी दूसरी पत्नी श्रीदेवी के साथ संबंध सहज नहीं थे। उनके बीच तनाव रहता था परंतु श्रीदेवी की मृत्यु के बाद परिवार के सारे सदस्य एकजुट हो गए हैं। मृत्यु बहुत कुछ ले जाती है परंतु जाते-जाते कुछ दे भी जाती है। उसके आने की आहट नहीं होती परंतु जाते समय वह चीत्कार और रूदन छोड़ जाती है। मृत्यु नंगे पैर पंजों पर चलते हुए आती है परंतु जाते समय मानो उसके पैर में सैनिक के भारी-भरकम जूते होते हैं, वो आवाज करते हैं।

जाह्नवी कपूर पुरस्कार ग्रहण करते समय अपनी मां की कोई प्रिय पोशाक या मां के प्रिय रंग की पोशाक पहने हो सकती हैं और उस क्षण यह संभव है कि ऐसा आभास हो मानो श्रीदेवी स्वयं ही वह पुरस्कार ग्रहण कर रहीं हों, क्योंकि जाह्नवी में मां की झलक रही है और अब उस साम्य में इजाफा होता जा रहा है। ज्ञातव्य है कि अरसे पहले सुचित्रा सेन को दादा फालके पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई थी। उस समय खाकसार ने लिखा था कि सुचित्रा सेन पुरस्कार ग्रहण करने नहीं आएंगी। वे अपने घर में ही रहती हैं और पास-पड़ोस में रहने वालों को कभी उनकी झलक भी देखने को नहीं मिली। पड़ोस वालों का कहना था कि कभी-कभी वे बुर्का पहनकर बाहर निकलती हैं। उन्होंने अपनी निजता की रक्षा बड़े जतन से की। अभिनय से संन्यास लेने के बाद वे कभी कहीं देखी नहीं गईं। हॉलीवुड की ग्रेटा गार्बो ने भी अपनी निजता की रक्षा बड़े जतन से की थी। सुचित्रा सेन के अपनी निजता की रक्षा करने के यथार्थ से एक कल्पना यह उभरती है कि सुचित्रा सेन अपना पुरस्कार लेने के लिए अपनी बेटी को थोड़े मेकअप की सहायता से स्वयं अपने रूप में पुरस्कार समारोह में भेजती हैं कि लोगों को यह लगे कि स्वयं सुचित्रा सेन पुरस्कार ग्रहण करने आई हैं। समारोह में मौजूद एक फिल्म निर्माता मां के स्वरूप में आई बेटी को मां मानकर एक फिल्म में अधेड़ अवस्था की नायिका की भूमिका देता है। बात कुछ यूं चल पड़ती है कि उसकी फिल्में सफल होने लगती हैं और उसे अपनी मां का स्वांग करते-करते इस स्वांग से ही नफरत होने लगती है परंतु सफलता के रथ पर सवार वह आगे बढ़ती रहती है। इसी प्रक्रिया में युवा बेटी का प्रेमी भी उसी छवि से प्यार करने लगता है, जो उस युवा कन्या को अपना अपमान लगता है।

ज्ञातव्य है कि शाहरुख खान की एक फिल्म में वे किसी और की छवि जी रहे होते हैं और उनकी युवा प्रेमिका भी उस अधेड़ की छवि से प्रेम करने लगती है। अत: उन्हें अपनी प्रेमिका को सच बताना पड़ता है परंतु युवा कन्या का उस अधेड़ छवि वाले नायक से प्रेम करते ही वह प्रेमकथा भंग हो जाती है। यही उस फिल्म की कमजोरी थी। अमेरिकी फिल्म 'फेस ऑफ' की कथा भी इसी तरह की है। सुचित्रा सेन की सुपुत्री मुनमुन सेन के अभिनय क्षेत्र में अाते ही मां-बेटी की भूमिकाओं की अदला-बदली की कथा पर निर्माता रमेश बहल फिल्म बनाना चाहते थे। इसलिए मुनमुन सेन के कहने पर वे कोलकाता गए थे परंतु सुचित्रा सेन ने मिलने से भी इनकार कर दिया। वे अपने अभिनय से सन्यास के फैसले पर अडिग रहीं। कोई भी प्रलोभन उन्हें डिगा नहीं पाया। किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति सफल होते ही अपनी निजता खो देता है। वह पब्लिक प्रॉपर्टी बन जाता है। स्वांग करते रहना आसान नहीं होता, क्योंकि निरंतर स्वांग करते-करते व्यक्ति स्वयं अपने रचे स्वांग को हकीकत मान बैठता है। जीवन की सबसे बड़ी चुनौती स्वयं को जान लेना है- आत्मन: विदी परंतु यह शून्य फासला विरले ही तय कर पाते हैं। घुमक्कड़ व्यक्ति सारी दुनिया घूम आता है परंतु इस फासले का सफर वह कभी नहीं कर पाता। ग्रीक योद्धा यूलिसिस कई देशों को जीत कर घर लौटा तो उसकी मां ने कहा कि अब वह एक सामान्य आदमी की तरह अपने जीते हुए देशों की यात्रा करे ताकि वह स्वयं को समझ सके। निदा फाज़ली ने फिल्म 'हरजाई' के लिए लिखा था 'जो आता है, वह जाता है, ये दुनिया आनी-जानी है। यहां हर शह मुसाफिर है, सफर में ज़िंदगानी है।'

बहरहाल, जाह्नवी अपनी मां का पुरस्कार लेने जाएंगी। फिल्म 'मॉम' एक ऐसी मां की कहानी है, जो अपनी सौतेली बेटी के साथ किए गए दुष्कर्म करने वाले चार लोगों को एक-एक करके मार देती है। चौथे व्यक्ति को मारते समय उसका अपना जीवन खतरे में पड़ जाता है तब सौतेली बेटी जीवन में पहली बार उसे मां संबोधित करती है। यही उसका अन्यतम पुरस्कार है। कुछ ही महीनों में जाह्नवी की पहली फिल्म प्रदर्शत होगी और श्रीदेवी की सुपुत्री होने का बॉक्स ऑफिस लाभ उसे मिलेगा। वर्षों पूर्व श्रीदेवी की मां की गलत शल्य चिकित्सा हुई थी और बोनी कपूर ने अस्पताल से हर्जाना वसूल किया था। श्रीदेवी की मां जाते-जाते अपनी बेटी को मोटी रकम बतौर हर्जाना दिला गई और अब श्रीदेवी की त्रासद मृत्यु के कारण उसकी बेटी को बॉक्स ऑफिस लाभ मिलेगा। यह सब विचित्र संयोग हैं और तर्क के सहारे इन्हें समझा नहीं जा सकता। जीवन के रहस्यों को समझे बिना ही उसे जीना चाहिए।