जिया खान ने क्यों आत्महत्या की ? / जयप्रकाश चौकसे

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जिया खान ने क्यों आत्महत्या की ?
प्रकाशन तिथि : 05 जून 2013


पच्चीस वर्षीय जिया खान की आत्महत्या दुखद है। उनकी अभिनीत 'नि:शब्द', 'गजनी' और 'हाउसफुल' तीनों ही अपने बजट के अनुरूप सफल फिल्में हैं, परंतु उन्हें अधिक अवसर नहीं मिले, क्योंकि फिल्म उद्योग में कुछ मिलनसारिता आवश्यक है। कुछ चापलूसी मददगार होती है और कोई बड़ा सितारा आपकी सिफारिश करे तो काम अवश्य मिलता है। जिया अमेरिकन शिक्षा परिसर की स्वतंत्रता देख चुकी थीं। वहां के परिसर तो अंतरिक्ष की तरह होते हैं और आप उड़ सकते हैं, भारहीनता को महसूस कर सकते हैं। भारत के शिक्षा परिसरों में बालक की पीठ पर इतना वजनदार बस्ता होता है कि वह चल ही नहीं पाता। बुद्धि के विकास के लिए भारहीन महसूस करना आवश्यक है। बहरहाल, यह संभव है कि जिया के लिए निर्णायक शक्ति वाले लोगों के मन को पसंद आने वाली बात करने में रुचि न हो। यह भी संभव है कि उसकी आत्महत्या का कारण कुछ और हो। फिल्मों में अवसर नहीं मिलना इतनी युवावय की लड़की को आत्महत्या के लिए बाध्य नहीं कर सकता। इतनी अधिक फिल्में बन रही हैं कि भूमिकाओं की कमी नहीं। अभी तो उसने टेलीविजन के द्वार पर भी दस्तक नहीं दी थी। अत: उसकी आत्महत्या का कारण कुछ और हो सकता है।

कई बार अकारण उदासी छा जाती है। नैराश्य कभी दस्तक देकर नहीं आता और उसे निमंत्रित भी नहीं किया जा सकता। जिया कोई पत्र नहीं छोड़ गई हैं, अत: सब तरह की अटकलें लगाई जा सकती हैं। इस समय भारत में आत्महत्या करने के अनेक कारण मौजूद हैं। नैतिक मूल्यों का पतन, धर्मनिरपेक्षता की हानि, लोगों की कट्टरता, संवेदना का अभाव और सर्वत्र छाया टुच्चापन। यह सृजन प्रतिभा के अभाव का भयावह कालखंड है। एक भ्रष्ट व्यवस्था में यूं भी जीना कठिन है। अनधिकृत फैसले और फतवे भी जान ले सकते हैं।

गुरुदत्त ने 'चौदहवीं का चांद' जैसी सफल फिल्म बनाने के बाद उनचालीस की वय में आत्महत्या की। जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण तो 'प्यासा' के गीत में ही अभिव्यक्त हो गया था कि 'ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?' मर्लिन मुनरो की मृत्यु के रहस्य पर आज तक किताबें लिखी जा रही हैं कि वह हत्या थी या आत्महत्या। बहरहाल, जीवन से ज्यादा रहस्यमय आत्महत्या ही होती है। कभी-कभी क्षणिक आक्रोश भी आत्महत्या का कारण होता है। एक वह क्षण होता है और उसके टल जाने पर व्यक्ति आत्महत्या नहीं करता। अनेक विदेशी शहरों में टेलीफोन नंबर बार-बार विज्ञापित किए जाते हैं कि नैराश्य के क्षण में आत्महत्या के निर्णय के निकट आने पर इन नंबरों पर फोन लगाइए और कुछ लोग सहृदय श्रोता पाने के बाद आत्महत्या का विचार छोड़ देते हैं। खामोशी भी कातिल हो सकती है।

भीतर खौलता आक्रोश अनअभिव्यक्त रहने पर घातक हो जाता है। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं कि जीवन के अनेक क्षेत्रों में सक्रिय लोगों ने आत्महत्या की है, परंतु किसी राजनेता ने कभी आत्महत्या नहीं की। जो हत्या कर सकते हैं, वे क्यों आत्महत्या करें? उनके कारण अनगिनत लोग मृत्यु से बदतर जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं। मनोरंजन की दुनिया में सेक्स सिंबल होने पर मीडिया और समाज हाथ धोकर पीछे पड़ जाता है। सिल्क स्मिता ने आत्महत्या की थी। जीना लोलोब्रिजिडा ने आत्महत्या का असफल प्रयास किया तो सिमॉन द बू ने लिखा था कि जब एक मध्यम या गरीब वर्ग की कन्या प्रसाधन के बुर्जुआ तरीकों को छोड़कर स्वयं को अपने स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत करती है तो तथाकथित सभ्य समाज के लोगों के पैर से जमीन खिसक जाती है। वह अपनी अनावृत्त देह से पुरुष को उसकी कमतरी का अहसास कराती है। तब उसके खिलाफ घिनौनी कानाफूसी की जाती है, उसकी निर्लज्जता के मनगढ़ंत किस्से प्रचारित किए जाते हैं और अफवाहों के बवंडर उसे आत्महत्या के लिए बाध्य करते हैं।

किसी भी व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण-पत्र पूरी हकीकत उजागर नहीं करता। मसलन ४० वर्षीय मीना कुमारी की मृत्यु का प्रमाण-पत्र लीवर की बीमारी सिरोसिस को कारण बताता है, परंतु वे प्यार में बार-बार ठगे जाने और अपनों के विश्वासघात के कारण मरीं। पंडित नेहरू का प्रमाण-पत्र हृदयाघात बताता है, परंतु वे चीन के विश्वासघात और अपने सिद्धांत 'पंचशील' के पतन के कारण मरे।

बादल सरकार के नाटक 'बाकी इतिहास' को जरूर पढि़ए। नाटक के तीसरे अंक में आत्महत्या करने वाला पात्र मंच पर प्रगट होता है और अपनी आत्महत्या के तमाम आकलनों को रद्द करता हुआ पूछता है कि बताइए आप आत्महत्या क्यों नहीं करते?

युवा जिया की आत्महत्या के कारणों पर बौद्धिक कसरत की जा सकती है, परंतु असल कारण ज्ञात नहीं हो सकता।