जोसेफिन पीबॅडी / बलराम अग्रवाल

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लेबनानी लेखक सलीम मुजाइस ने ‘लेटर्स ऑव खलील जिब्रान टु जोसेफिन पीबॅडी’ पुस्तक प्रकाशित कराई है। यह अरबी में है। इसमें जिब्रान के 82 पत्रों और जोसेफिन की डायरी ‘साइकिक’ को तारीख दर तारीख शामिल किया गया है। इस तरह आप दो प्रेमियों के उद्गार बिना किसी बाहरी टीका-टिप्पणी के पढ़ते चले जाते हैं। जिब्रान पर केन्द्रित जोसेफिन की कविताओं को भी इसमें दैनिक डायरी के तौर पर शामिल किया गया है। यहाँ तक कि जोसेफिन से संबंधित जिब्रान के काम पर की गई तत्कालीन टिप्पणियाँ भी इसमें शामिल हैं। यह दुर्भाग्य ही है कि जिब्रान को लिखे गए जोसेफिन के पत्र अप्राप्य हैं। बहरहाल, जिब्रान द्वारा लिखे गये पत्रों को जोसेफिन ने सँभालकर रखा।

1898 में जिब्रान जब बोस्टन से लेबनान गए, तब तीसरे ही महीने अनपेक्षित रूप से उन्हें जोसेफिन का पत्र मिला जिसमें कहा गया था कि — मि. डे ने मुझे अपने पास रखी आपके बहुत-सी पेंटिंग्स और ड्राइंग्स दिखाईं। आपके बारे में बहुत-सी बातें हमारे बीच हुईं। आपके काम को देखकर मैं पूरे दिन रोमांचित रही क्योंकि उनके माध्यम से आपको समझ पा रही हूँ। मुझे लगता है कि आपकी आत्मा एक सुंदर सृष्टि में वास करती है। सौभाग्यशाली लोग ही अपनी कला में सौंदर्य की सृष्टि करने में सक्षम हो पाते हैं। अपनी रोज़ी को दूसरों के साथ बाँटकर वे पूर्ण सुख का अनुभव करते हैं। मैं भीड़भाड़ वाले शहर के एक शोरभरे इलाके में रहती हूँ। अपने-आप को मैं ऐसे बच्चे-जैसा पाती हूँ जो ‘स्व’ की तलाश में भटक रहा है। क्या तुमने कभी बियाबान देखा है? मैं समझती हूँ कि तुम चुप्पी को सुन सकते हो। अपनी खबर देते रहना, मैं अपने बारे में लिखती रहूँगी।

जिब्रान ने 3 फरवरी 1899 को लेबनान से उत्तर दिया — ‘ओ, कितना खुश हुआ मैं? कितना प्रसन्न? इतना कि मेरी कलम की जुबान उस प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं ढूँढ़ पा रही है। अपनी भावना के शब्दों को अंग्रेजी में सोचते हुए मुझे परेशानी होती है। मुझे अपने विचार अंग्रेजी में व्यक्त करना नहीं आता। मुझे लगता है कि आपसे कहने को मेरे पास ऐसा बहुत-कुछ है जो आपकी दोस्ती को मेरे दिल में बरकरार रखे। मेरे दिल में आपके लिए हमेशा असीम धरती और सागरों से भी ऊपर प्यार कायम रहेगा। आपका खयाल हमेशा मेरे दिल के पास रहेगा और हमारे बीच कभी दूरी नहीं रहेगी। आपने अपने खत में लिखा है कि ‘मैं अच्छी चीजों का खयाल रखती हूँ’ और कुछ मामलों में मैं बिल्कुल कैमरे की तरह हूँ तथा मेरा हृदय (फोटो लेने वाली) प्लेट है। मि. डे की प्रदर्शनी में आपसे बातचीत को मैं कभी भूल नहीं सकता। मैंने उनसे पूछा था — ‘काली पोशाक वाली महिला कौन है?’ उन्होंने कहा — ‘वह युवा कवयित्री मिस पीबॅडी हैं और उनकी बहन एक आर्टिस्ट है… ’ ‘क्या कभी अँधेरे सुनसान कमरे में बैठकर बारिश के शांतिप्रद संगीत को आपने सुना है?… इस खत के साथ याददाश्त के तौर पर मैं छोटा-सा एक चित्र भेज रहा हूँ।’

जिब्रान की मेरी हस्कल से बढ़ती निकटता से रुष्ट होकर जोसेफिन ने 1906 में लायोनल मार्क्स (Lionel Marx) से विवाह कर लिया। कच्ची उम्र के उस प्रेम का इस प्रकार अंत हो गया और जोसेफिन जिब्रान के एक असफल प्रेम की पात्रा बनकर रह गई। दोनों के बीच 1908 तक खतो-किताबत चला। बहुत-से खत बेतारीख हैं। बहुत-से खत नाराज़गी के दौर में जोसेफिन ने फाड़कर फेंक दिए हो सकते हैं। तत्पश्चात् ‘द मास्क ऑव द बर्ड’ देखने आने से पहले 1914 तक जोसेफिन जिब्रान से नहीं मिली। इसी फरवरी माह में जोसेफिन ने जिब्रान को चाय पर आमंत्रित किया और अपने बच्चों की फोटो-अलबम दिखाई। उन्होंने मिसेज फोर्ड में और एडविन रोबिन्सन में डिनर भी किए। उस मुलाकात के बाद जिब्रान ने मेरी हस्कल को लिखा था — ‘वह इस दुनिया की नहीं, कैम्ब्रिज की महसूस होती है। जोसेफिन बिल्कुल नहीं बदली: अभी भी वैसे ही कपड़े पहनती है।’

जिब्रान की पहली चित्र-प्रदर्शनी आयोजित करने वाली जोसेफिन थी। उसी ने सर्वप्रथम जिब्रान के चित्रों की तुलना अपने समय के महान चित्रकार विलियम ब्लेक के चित्रों से की। जिब्रान की कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद सबसे पहले उसी ने किया। जिब्रान पर कविता सबसे पहले उसने लिखी। जिब्रान के चित्रों और पेंटिंग्स में उतरने वाली वह पहली महिला थी। जिब्रान ने डे के हाथों उसे अपनी एक पेंटिंग ‘टु द डीयर अननोन जोसेफिन पीबॅडी’(अजनबी प्रिय जोसेफिन पीबॉडी को) लिखकर भेंट की थी। जोसेफिन जिब्रान का पहला सच्चा प्यार और कल्पना थी। जोसेफिन ही थी जिसने जिब्रान को प्रेम, पीड़ा, व्यथा, हताशा और उल्लास का अनुभव कराया।

1902 में अपनी छोटी बहन सुलताना की मृत्यु के बाद खलील बहुत दु:खी थे। उसी दौरान उन्हें कला कर्म छोड़कर घरेलू व्यवसाय भी सँभालना पड़ा था। तब जोसेफिन ने बोस्टेनियन कला समाज से जोड़े रखने में उनकी असीम मदद की थी। धीरे-धीरे उसने जिब्रान के दिल में अपनी जगह मजबूत कर ली। उसके आने से जिब्रान ने जीवन में बदलाव महसूस किया। जोसेफिन जिब्रान की सांस्कृतिक विद्वत्ता व पृष्ठभूमि के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के चित्रों से सजे उनके पत्रों और बातचीत के मृदुल तरीके से बहुत प्रभावित थी। जोसेफिन की देखभाल ने जिब्रान का दु:ख-दर्द कम करने तथा कैरियर को सँभालने में काफी मदद की।

जोसेफिन का जन्म 1874 में हुआ था। 14 वर्ष की उम्र में ही उसकी कविताएँ पत्रिकाओं में प्रकाशित होनी प्रारम्भ हो गई थीं। उसकी पहली पुस्तक ‘ओल्ड ग्रीक फोक स्टोरीज टोल्ड अन्यू’ (पुरानी ग्रीक लोककथाएँ नए अंदाज़ में, 1897) थी। उसके बाद कविता संग्रह ‘वेफेअरर्स’ (1898) आया। सन 1900 में जोसेफिन का एकांकी ‘फोर्च्यून एंड मैन्ज़ आईज़’ तथा 1901 में काव्य-नाटक ‘मार्लो’ प्रकाशित हुआ। सन 1903 तक उसने वेलेसले में अध्यापन किया।

विवाह के बाद वह जर्मनी चली गई जहाँ उसका पति एक विश्वविद्यालय में प्राध्यापक था। बाद में वे बोस्टन लौट आए। 1907 में जोसेफिन का काव्य-नाटक ‘द विंग्स’ प्रकाशित हुआ और उसी साल उसने पहली बच्ची एलिसन को जन्म दिया। जुलाई 1907 में उसके बालगीतों का संग्रह ‘बुक ऑव द लिटिल पास्ट’ आया। 1909 में उसका नाटक ‘द पाइड पाइपर’ आया जिसने लगभग 300 प्रतियोगियों के बीच ‘स्टार्टफोर्ड सम्मान’ जीता। 1911 में जोसेफिन की पुस्तक ‘द सिंगिंग मैन’ आई। उसमें उसने 1900 के आसपास लिखी अपनी कविता ‘द प्रोफेट’ को भी शामिल किया था जिसमें उसने जिब्रान के बचपन की कल्पना की थी। 1913 में जोसेफिन ने यूरोप, ग्रीस, फिलिस्तीन और सीरिया की यात्राएँ कीं। वापस आने पर उसने ‘द वुल्फ ऑव गुब्बायो’ नामक पुस्तक प्रकाशित कराई। उसकी कविताओं की एक पुस्तक ‘हार्वेस्ट मून’ भी आई।

1918 में जोसेफिन का नाटक ‘द कमेलिअन’ और 1922 में ‘पोर्ट्रेट ऑव मिसेज डब्ल्यू’ आया।

दिसम्बर 1902 से जनवरी 1904 के बीच लिखित जोसेफिन की डायरी ‘साइकिक’ में जिब्रान पर 51 पेज लिखे गये हैं। उसकी मृत्यु 1922 में हुई। उसको श्रद्धांजलिस्वरूप लिखे अपने एक अरबी लेख (अंग्रेजी रूपांतर ‘अ शिप इन द फोग’) में जिब्रान ने लिखा — “सफेद परिधान वाले इस सफेद सैनिक-जुलूस के ऊपर वह काल की चुप्पी और असीम की जिज्ञासा के बीच सफेद फूलों-सी मँडराती है।"