ज्ञानपीठ पुरस्कार

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ज्ञानपीठ न्यास
भारतीय साहित्य के विकास के लिए स्थापित

भारतीय ज्ञानपीठ भारतीय साहित्य के विकास के लिए श्री साहू शांति प्रसाद जैन तथा श्रीमती रमा जैन द्वारा स्थापित न्यास है। यह न्यास साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित करता है तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा मूर्ति देवी पुरस्कार नामक दो पुरस्कार प्रदान करता है, जो साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कारों में से हैं। इसकी स्थापना 1944 में की गई थी।

ज्ञानपीठ पुरस्कार
भारतीय साहित्य के लिए सर्वोच्च पुरस्कार

ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।

भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में पांच लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।

२२ मई १९६१ को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।

इसी विचार के अंतर्गत १६ सितंबर १९६१ को भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा। २ अप्रैल १९६२ को दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संयुक्त तत्त्वावधान में देश की सभी भाषाओं के ३०० मूर्धन्य विद्वानों ने एक गोष्ठी में इस विषय पर विचार किया। इस गोष्ठी के दो सत्रों की अध्यक्षता डॉ वी राघवन और श्री भगवतीचरण वर्मा ने की और इसका संचालन डॉ.धर्मवीर भारती ने किया। इस गोष्ठी में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ. सुनीति कुमार चैटर्जी, डॉ. मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह 'दिनकर', उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया। इस पुरस्कार के स्वरूप का निर्धारण करने के लिए गोष्ठियाँ होती रहीं और १९६५ में पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार का निर्णय लिया गया।

१९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया।


प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं।

२००५ के लिए चुने गए हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थें जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है।


ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार

अनुक्रम

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार
वर्ष नाम कृति भाषा
१९६५ जी० शंकर कुरुप ओटक्कुष़ल (वंशी) मलयालम
१९६६ ताराशंकर बंधोपाध्याय गणदेवता बांग्ला
१९६७ के.वी. पुत्तपा श्री रामायण दर्शणम कन्नड़
१९६७ उमाशंकर जोशी निशिता गुजराती
१९६८ सुमित्रानंदन पंत चिदंबरा हिन्दी
१९६९ फ़िराक़ गोरखपुरी गुले-नग़मा उर्दू
१९७० विश्वनाथ सत्यनारायण रामायण कल्पवरिक्षमु तेलुगु
१९७१ विष्णु डे स्मृति शत्तो भविष्यत बांग्ला
१९७२ रामधारी सिंह "दिनकर" उर्वशी हिन्दी
१९७३ दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे नकुतंति कन्नड़
१९७३ गोपीनाथ मोहंती माटीमटाल उड़िया
१९७४ विष्णु सखाराम खांडेकर ययाति मराठी
१९७५ पी.वी. अकिलानंदम चित्रपवई तमिल
१९७६ आशापूर्णा देवी प्रथम प्रतिश्रुति बांग्ला
१९७७ के. शिवराम कारंत मुक्कजिया कनसुगालु कन्नड़
१९७८ अज्ञेय कितनी नावों में कितनी बार हिन्दी
१९७९ बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य मृत्युंजय असमिया
१९८० एस.के. पोत्ताकट ओरु देसात्तिन्ते कथा मलयालम
१९८१ अमृता प्रीतम कागज ते कैनवास पंजाबी
१९८२ महादेवी वर्मा यामा हिन्दी
१९८३ मस्ती वेंकटेश अयंगार कन्नड़
१९८४ तकाजी शिवशंकरा पिल्लै मलयालम
१९८५ पन्नालाल पटेल गुजराती
१९८६ सच्चिदानंद राउतराय ओड़िया
१९८७ विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज मराठी
१९८८ डा. सी नारायण रेड्डी तेलुगु
१९८९ कुर्तुलएन हैदर उर्दू
१९९० वी.के.गोकक कन्नड़
१९९१ सुभाष मुखोपाध्याय बांग्ला
१९९२ नरेश मेहता हिन्दी
१९९३ सीताकांत महापात्र ओड़िया
१९९४ यू.आर. अनंतमूर्ति कन्नड़
१९९५ एम.टी. वासुदेव नायर मलयालम
१९९६ महाश्वेता देवी बांग्ला
१९९७ अली सरदार जाफरी उर्दू
१९९८ गिरीश कर्नाड कन्नड़
१९९९ निर्मल वर्मा हिन्दी
१९९९ गुरदयाल सिंह पंजाबी
२००० इंदिरा गोस्वामी असमिया
२००१ राजेन्द्र केशवलाल शाह गुजराती
२००२ दण्डपाणी जयकान्तन तमिल
२००३ विंदा करंदीकर मराठी
२००४ रहमान राही कश्मीरी
२००५ कुँवर नारायण हिन्दी
२००६ रवीन्द्र केलकर कोंकणी
२००६ सत्यव्रत शास्त्री संस्कृत
२००७ ओ.एन.वी. कुरुप मलयालम
२००८ अखलाक मुहम्मद खान शहरयार उर्दू
२००९ श्रीलाल शुक्ल हिन्दी
२०१० चन्द्रशेखर कम्बार कन्नड
यह रचना गद्यकोश मे अभी अधूरी है।
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