टारनेडो / सुधा ओम ढींगरा

Gadya Kosh से
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मॉम, मुझे आप के बुयाए फ्रेंड अच्छे नहीं लगते, आप दोस्त न बनाया करें | डिनर के बाद क्रिस्टी ने बड़े प्यार से, लाड़ से जैनेफर के गले में बाहें डालते हुए कहा |
       फ्रेंड बनाना बुरी बात तो नहीं| जैनेफर मेज़ पर से बर्तन उठाते हुए बोली |
       पर सोनल की मम्मी का तो कोई बुयाए फ्रेंड नहीं | जैनेफर के पीछे -पीछे जाती क्रिस्टी बोलती गई | 

       तुम्हें क्या पता, कोई होगा | जैनेफर ने रात के खाने के बर्तन डिश वाशर में डालते हुए, अनमने मन से जवाब दिया |
       मॉम, मिसिज़ शंकर का कोई दोस्त नहीं, सोनल ने बताया है | क्रिस्टी ने अपनी बात पर ज़ोर डाला |
       तो मिसिज़ शंकर एबनार्मल हैं | इस उम्र में साथ तो चाहिए ही | मिसिज़ शंकर और मेरा कोई मुकाबला नहीं | जैनेफर ने डिश वाशर बंद करते हुए, उखड़े अंदाज़ में बात समाप्त की | मॉम, मैं मुकाबला नहीं कर रही, पर डैड की जगह कोई और ले ...
 जैनेफर ने क्रिस्टी की बात बीच ही में काट दी----

       क्रिस्टी, बहुत बातें हो गईं, चलो अब चल कर सो जाओ | बेड टाइम| जैनेफर उसे उसके कमरे की ओर ले जाते हुए बोली |

        बिस्तर में अच्छी तरह क्रिस्टी को ढाँप कर, उसने उसके गालों को सहलाया और फिर स्नेह से चूम लिया--
गुड नाईट, स्वीट हार्ट, रात की प्रार्थना करना नहीं भूलना |
        मॉम, स्टोरी |
        नो, स्वीटी आज नहीं --कल मुझे सुबह जल्दी जाना है | तुम भी सो जाओ | फिर सुबह तुमसे उठा नहीं जाता | कहते हुए नाईट बल्ब जगा कर, वह कमरे से बाहर आ गई |
 
 वैसे तो क्रिस्टी दस वर्ष की है | अमरीकी परिवारों के बच्चे इस उम्र में काफी कुछ समझने लगते हैं | खासकर लड़कियाँ जल्दी परिपक्व हो जाती हैं | क्रिस्टी में अभी भी बालपन की सरलता और मासूमियत है | उसकी समझ में जैनेफर की बात नहीं आई | 'एबनार्मल' शब्द उसकी बुद्धि में अटक गया | 

        डैड के जाने के बाद, क्रिस्टी हर रात अपनी कल्पना में एक दुनिया बसाती है, और फिर उसी की सुखद अनुभूतियों में विचरण करती है | उसके डैड सोने से पहले, उसे कहानी सुनाया करते थे और अब वह स्वयं ही हर रोज़ एक नई कहानी घड़ती है और ख़ुद को सुनाते -सुनाते सो जाती है | 

        पहले उसने डैड से बात की- डैड, मॉम के पास मुझे कहानी सुनाने के लिए समय नहीं है, पर जोन अंकल के लिए है | उनके साथ फ़ोन पर बातें कर रही हैं | मुझे आवाज़ आ रही है | आप के जाने के बाद वे बहुत बदल गईं हैं |
        फिर क्रिस्टी प्रार्थना करने लगी- जीसस, मेरी मॉम को एबनार्मल कर दे, मुझे उनके बुयाए फ्रेंड अच्छे नहीं लगते |
        धीरे -धीरे उसकी कल्पना आकार लेने लगी -- जीसस ने उसकी मॉम को एबनार्मल कर दिया है | वे स्कूल से उसे घर ले कर आती हैं | फिर खाने को पास्ता देती हैं | क्रिस्टी को वह पास्ता बहुत स्वाद लगता है, यम्मी, आसम....वह उसका स्वाद लेती है | उसकी मॉम उसे देख- देख कर खुश होती हैं |
       क्रिस्टी , मेरी प्यारी क्रिस्टी कह कर वे प्यार से उसे बाँहों में भर लेती हैं | अब वे उसका बैक- पैक खोलती हैं | होम वर्क देखती हैं | बड़े स्नेह से उसकी गाल पर 'किस' देकर कहती हैं-- माई एंजल, जाओ अब बाहर जा कर खेलो | क्रिस्टी खिल उठती है |
       सोनल की मम्मी तो रोज़ ऐसा करती हैं, वे एबनार्मल हैं | अब उसकी मॉम भी एबनार्मल हो गईं हैं | अपने आप से बात करती, कल्पना का आन्नद लेती और प्रसन्न मुद्रा में ही वह गहरी नींद में चली गई | 

       जैनेफर की तीखी आवाज़ ने उसे जगाया -- उठ देर हो रही है, जल्दी कर |
       आवाज़ से ही क्रिस्टी भांप गई, कल फिर जोन अंकल से मॉम का झगड़ा हुआ है | तभी मॉम चिड़चिड़ी हैं | क्रिस्टी चुपचाप अपने दैनिक काम करने लग गई | सुबह -सुबह मॉम डांटें, उसे अच्छा नहीं लगता | सारा दिन उसका मूड ख़राब रहता है और सहेलियों से भी झगड़ा हो जाता है | रात को ही वह नहाई थी | ब्रश करके, कपड़े बदलकर, आधे घंटे में तैयार हो कर, वह नीचे रसोई में आ गई | 

       जैनेफर ने बेहद खामोशी से उसे लंच बॉक्स पकड़ाया | ऐसे समय में क्रिस्टी भी ज़्यादा बात नहीं करती | छोटी उम्र में ही, कई बातें वह समझने लगी है | जैनेफर ने उसे दरवाज़े तक छोड़ा और वह घर के आगे आकर खड़ी हो गई, जहाँ से स्कूल बस उसे रोज़ स्कूल ले जाती है |
 क्रिस्टी बस में सारे रास्ते सोचती रही -- -काश! उसकी मॉम सचमुच वन्दना आंटी की तरह एबनार्मल हो जाए | पर स्कूल पहुँच कर, सोनल को देखते ही, वह सब कुछ भूल गई | सोनल और क्रिस्टी किंडर गार्डन से सहेलियाँ हैं, दोनों में बहुत समानता है, दोनों का जन्म रैक्स हस्पताल में हुआ | क्रिस्टी सोनल से एक दिन बड़ी है, अभी दसवें वर्ष में प्रवेश किया ही था, कि क्रिस्टी के डैडी पीटर की, कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई और सोनल के डैडी के ब्रेन ट्यूमर का पता चला | छह महीने के भीतर ही सोनल के डैडी व्योम इस दुनिया से चले गए |
       दोनों अपने -अपने डैडी की अनुपस्थिति से आए शून्य से जब विचलित होतीं, तो स्कूल में लंच समय उनकी बातें करतीं--
सोनल पता है, जब मैं साईकल चलाती थी, तो डैडी मेरे साथ- साथ भागते थे | अगर गिर जाती, एकदम से पकड़ लेते, मुझे चोट नहीं लगने देते थे|
       क्रिस्टी, मेरे डैडी ने तो झूले के नीचे, खूब सारी रेत बिछा दी थी | जब मैं झूले पर बैठती थी, बांहें फैला कर खड़े रहते थे, उन्हें डर लगता था कि कहीं मैं झूले से गिर न जाऊँ |
        लंच में, क्रिस्टी को, सोनल का आलू का परांठा बहुत अच्छा लगता | वह अपना सैंडविच वहीं गारबेज में फैंक देती और सोनल का परांठा खाती | वन्दना क्रिस्टी के लिए भी एक परांठा लंच बॉक्स में डाल देती | जैनेफर को जब पता चला, उसे अच्छा तो नहीं लगा, पर वह सोनल और क्रिस्टी के प्यार, उनकी दोस्ती को स्वीकार कर चुकी थी, इसलिए कुछ बोली नहीं | 
 गोरी- चिट्टी बेहद खूबसूरत जैनेफर ने पीटर की मौत के डेढ़ महीने बाद ही डेटिंग शुरू कर दी | क्रिस्टी बौखला गई | वह अपने डैडी की जगह किसी और को नहीं देखना चाहती | उसकी पढ़ाई प्रभावित होने लगी | क्रिस्टी की टीचर मिसिज़ रोज़वेल्ल ने कई बार जैनेफर को पत्र लिखा, क्रिस्टी की पढ़ाई के बारे में सूचित किया | जैनेफर को स्कूल भी बुलाया | उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करे ? कैसे उसे संभाले? क्रिस्टी अपने डैडी को बहुत याद करती, बिना बात के ज़िद करती और कभी रोती, उसे जैनेफर के साथ की ज़रुरत है और जैनेफर के पास समय की ही कमी है | वह वाल मार्ट में सुपर वाईज़र है , पर वेतन घंटों के हिसाब से मिलता है | गृहस्थी के खर्चे, मकान का किराया, बिजली और पानी का बिल देने के लिए उसे ओवर टाइम करना पड़ता है | 
जैनेफर और पीटर का पूरा परिवार डरहम में रहता है,पर उसकी मदद कोई नहीं करता | पढ़े- लिखे न होने की वजह से छोटी- मोटी नौकरियाँ कर गुज़ारा कर रहे हैं | एक दूसरे का साथ देने के लिए, उनके पास ना समय है, ना पैसा | जैनेफर और पीटर दोनों की माँएं अकेली थीं | उनका बचपन बड़ा ही संघर्षमय बीता था | वैसा बचपन वह क्रिस्टी को नहीं देना चाहती | क्रिस्टी को स्कूल के बाद डे केयर में जाना ही पड़ता | क्रिस्टी के साथ शाम को घर में होते हुए भी, उसे घर खाने को आता है | उसे पुरुष साथ की इच्छा होती | उसे पीटर की कमी खलती | जब भी वह किसी पुरुष मित्र को घर बुलाती तो क्रिस्टी को उसके कमरे में भेज देती | क्रिस्टी अकेली हो जाती, वह या तो टी. वी पर सैस्मीं स्ट्रीट देखती या स्कूबी डूबी डू | कई बार वह अपनी दो बार्बी डॉल को सोनल और क्रिस्टी बना कर, अपने आप से बातें करती |
        वह उदास रहने लगी और अपनी सब बातें सोनल को बताती | सोनल का मन क्रिस्टी के लिए दु:खी हो जाता और वह माँ के पास रोती | वंदना से सोनल का दुःख देखा नहीं गया, उसने बहुत सोच -विचार के बाद जैनेफर से बात की और स्कूल के बाद, डे केयर की बजाए, वह सोनल के साथ उसे घर लाने लगी | शाम को, काम से घर आते समय, जैनेफर सोनल के यहाँ से उसे वापिस अपने घर ले जाती | वन्दना के स्नेह की बौछारों तले क्रिस्टी की उदासी दूर हो गई और वह ख़ुश रहने लगी |
        गेंहुएं रंग की पतली दुबली वन्दना, आई.बी.एम में मैनेजर है और व्योम डायरेक्टर थे | व्योम के देहांत उपरांत, कम्पनी ने उसे, घर से काम करने की छूट दे दी थी | दोनों आई.टी से जुड़े हुए थे | आई.आई.टी कानपुर में ही तो दोनों की दोस्ती हुई थी | दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला | दोनों ने एक दूसरे को हृदय की गहराइयों से चाहा था | कई वर्षों की दोस्ती के बाद शादी की थी | व्योम के बाद वन्दना टूट गई | कई दिनों तक वह बहुत रोई, तड़पी, बिलखी, चिल्लाई पर व्योम को वापिस ना ला पाई | वह स्वभाव से कर्मठ है और सोनल का चेहरा देख कर वह फिर हिम्मत से खड़ी हो गई | वन्दना के माँ-बाप चाहते थे कि वह भारत वापिस आ जाए | उन्हें चिंता थी, अमेरिका में सोनल को वह अकेली कैसे पालेगी ? वन्दना ने अमेरिका में रहना ही उचित समझा, फिर व्योम का बड़ा भाई शुभम, भाभी सुमन और माँ-बाबू जी भी तो यहीं चैपल हिल में रहते हैं | वन्दना को उनका बड़ा सहारा है |
 

         सहारा कितना भी हो, अमरीकी जीवन शैली में रोज़मर्रा का संघर्ष तो उसे अकेले ही करना पड़ता | संध्या होते ही उसे कुछ होने लगता, वह बेचैन हो जाती | रात को उसके शरीर में हलचल होती, संवेदनाएँ विचलित करतीं | पुरुष सन्सर्ग की इच्छा उसे कभी महसूस न होती पर भीतर कुछ मथता, सिहरन सी होती... हालाँकि व्योम उसके रोम -रोम में रम चुका है | उसका ध्यान ही उसे शांत कर देता, प्रेम की चरम परिधि पार कर व्योम उसकी आत्मा में समा चुका है, व्योम से जुड़े एक -एक पल को, उसने अपने भीतर संजो कर सहेज लिया है |
       ऐसे भावुक क्षणों में उसे कई बार जैनेफर की बात याद आ जाती - मिसिज़ शंकर एबनार्मल है? क्रिस्टी उसे बता चुकी थी | 

       अगले ही पल वह मुस्करा पड़ती--अमरीकी लोग, प्रीत की आन्तरिक समाधि को कहाँ समझ सकते हैं? जहाँ शारीरिक इच्छा गौण हो जाती है, दैहिक सुख के आगे वे सोच ही नहीं पाते ? वह भी अपने ही भीतर समाई प्रेम की पराकाष्ठा और उससे उत्पन्न हुए भावों को कब समझ पाई थी; जब तक उसने लियो बुस्कालिया की 'लव' और डॉ. जोसफ मर्फी की दी पावर ऑफ़ यौर सब कांश्यस माइंड नहीं पढ़ी थी | व्योम उससे अलग कब था ? वह व्योम ही तो बन चुकी थी | कभी -कभी वन्दना सोचती, शायद श्याम भी मीरा में ऐसे ही समाए होंगे | आन्तरिक समन्वय प्रेम की ज्योति प्रज्ज्वलित कर देता है, उसकी लौ पूरा बदन प्रेममय कर देती है, फिर बाहरी सुख की इच्छा नहीं रहती | उसने जैनेफर को ये पुस्तकें पढ़ानी चाहीं, उसने उन्हें देख कर दूर रख दिया | उसे सिर्फ एक -दो ही शौक थे, परिवार की शिकायतें और डेटिंग की बातें करना | 

       क्रिस्टी के मिडल स्कूल जाने तक, जैनेफर ने कई पुरुषों से डेटिंग की, जोन, जान, स्टीव, माईकल...क्रिस्टी अब इन सब बातों की आदी हो चुकी है | जैनेफर जब किसी बुयाए फ्रेंड को घर लाती, क्रिस्टी सोनल के घर चली जाती | वह तो वैसे भी ज़्यादातर वहीं रहती | क्रिस्टी सोनल के साथ भारतीय फिल्में देखने लगी और शाहरुख़ और सलमान खान की फैन हो गई | बालीवुड संगीत उसे बहुत पसंद आने लगा | 'हिन्दू सोसाइटी' और सांस्कृतिक संस्था 'हमसब' के कार्यक्रमों में वह सोनल के साथ फिल्मी गीतों पर नाचने भी लगी | 
 

      जीवन की भागदौड़ और लड़कियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने, लाने में वन्दना कई बार थक जाती | काम का बोझ जब बढ़ जाता और वह अपने काम की मीटिंग्स को छोड़ कर निकल न पाती तो बाबू जी लड़कियों को स्कूल से घर ले आते | उन्हें स्नैक्स खिला कर फिर कभी कत्थक, कभी ताइकवांडो, कभी पियानो, कभी बैले सिखाने ले जाते | 
 वन्दना की आँखें सजल हो जातीं, जब बाबूजी उसके सिर पर हाथ रख कर कहते--बेटी थक गई आज, चल मैं अपने हाथ से चाय पिलाता हूँ | और मसालेदार चाय का एक गर्मागर्म कप उसे पीने को देते | उसके अपने पिता जी ने तो चारों बहनों की ओर कभी देखा भी नहीं था, जब तक उसकी माँ ने बेटा नहीं जना | उसके बाद ही वह मुस्करा पाईं थीं और उसके साथ ही मुस्कराई थीं, वे चारों बहनें | वह माँ -बाप के पास शायद इसलिए भी नहीं जाना चाहती थी कि उसके भी लड़की है |
         बाबू जी अक्सर मिताली द्वारा गाई, उसकी मनपसन्द ग़ज़ल- वक्त ने तन्हा कर डाला तो ग़म न कर... लगा देते, वन्दना के चेहरे की उदासी छंट जाती और बाबू जी मुस्करा पड़ते | अमरीका में समय बीतता नहीं, भागता है | देखते ही देखते लड़कियाँ हाई स्कूल में चली गईं | एक दिन वन्दना जब लड़कियों को स्कूल से लेने गई | कार में बैठते ही क्रिस्टी ने बड़ी उमंग के साथ कहा--वन्दना आंटी, जय पटेल ने आज सोनल को डेट पर जाने के लिए के लिए पूछा |
       यह सुनते ही वन्दना के पैर ब्रेक्स पर ज़ोर से पड़े, अगर लड़कियों ने सीट बैल्ट न बाँधी होती तो उनके सिर सामने की सीटों पर लगते | वन्दना विचलित हो गई थी | क्या लड़कियाँ इतनी बड़ी हो गई हैं ! कुछ ही क्षणों में उसने अपने आप को सम्भाला- गर्ल्स , आर यू ओ.के. सॉरी | 
 वन्दना अपनी जिज्ञासा रोक नहीं पाई, सहज होकर पूछ ही लिया -- फिर सोनल ने क्या कहा ? सोनल चुप रही | क्रिस्टी ने चहकते हुए कहा - आंटी, मना कर दिया, हमें याद है, आप ने कहा था- नो डेटिंग इन हाई स्कूल | एस.ऐ.टी के स्कोर बढ़िया लेने है ताकि आई वी लीग ( उत्तम कॉलेज ) में दाखिला मिल जाये | वन्दना ने राहत की साँस ली |
 

         रात भर वन्दना सो नहीं सकी, उसे व्योम की बहुत याद आई | सोनल को उम्र की इस वय: संधि में वह अकेली कैसे सम्भाल पायेगी? रो पड़ी थी वन्दना | तभी व्योम की बात कानों में गूंजी -- जब जीवन में कोई विकल्प न रहे | परिस्थितियों को सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए |
       कहना बहुत आसान है | तुम तो कह कर चले गए मेरे लिए कितना मुश्किल है--तुम क्या जानो ? वन्दना बुदबुदाई और आँसुओं को पोंछने लगी |
       उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था | एडविल की गोली ली और सोचने लगी --सोनल का सोलहवाँ जन्म दिन आने वाला है, शादी की तरह तैयारी करनी पड़ती है | वैसे तो जेठ -जेठानी ने हाल बुक करवा लिया था, केटरर से भी बात कर ली थी | पर तब भी काम बहुत हो जाता है | अच्छा कल जैनेफर से बात करुँगी | सजावट के लिए मंजू निगम को काल करना है | एडविल ने असर दिखाना शुरू कर दिया, उसकी आँखें भारी होनी शुरू हो गईं, सोचते -सोचते वह नींद की आगोश में चली गई |
        सुबह वन्दना का मन उदास और चित अस्थिर था, पर जन्मदिन की तैयारी ने उसका घ्यान बाँट दिया | 

        अंत में वह दिन भी आ गया, जिसका सब को इंतज़ार था | जन्मदिन की पार्टी शुरू हो गई है ..डी.जे का मद्धम संगीत चल रहा है | क्रिस्टी और सोनल ने लहँगा पहना है | जैनेफर पंजाबी सूट पहन कर, अपने दोस्त केलब के साथ आई | लोग धीरे -धीरे आ रहे हैं | क्रिस्टी दो दिन से सोनल के घर पर ही है | वन्दना और सोनल दोनों महसूस कर रही हैं कि क्रिस्टी केलब को देख कर बहुत बेचैन हो गई है | उसने डी.जे को पंजाबी संगीत चलाने को कहा, उसकी रिदम पर वह पागलों की तरह नाच रही है | एक दो बार केलब उसके साथ नाचने आया, पर वह उससे दूर चली गई | 

        सोनल और क्रिस्टी का किशोर, निश्छल, मासूम यौवन, चेहरे का अप्रतिम सौन्दर्य, पार्टी में जल रही रौशनियों को भी फीका और मद्धम कर रहा है | दोनों के लिए यह विशेष दिन है | दोनों सोलहं साल की हुईं हैं | अमेरिका में सोलहवें जन्मदिन का बहुत महत्त्व है, इस दिन लड़की किशोरावस्था और युवावस्था की संधि में आ जाती है | सोनल के दादा-दादी और ताऊ-ताई बार-बार बलईयाँ ले कर खुश हो रहे हैं |
        केलब की नज़रें क्रिस्टी के बदन पर थिरक रही हैं | क्रिस्टी उनसे बचने का प्रयास कर रही है, कभी सहेलियों और कभी वन्दना के पास जा कर अपने आप को बचा रही है |
        वन्दना उसे नज़रन्दाज़ न कर सकी | वे नज़रें गर्ल फ्रेंड की बेटी पर नहीं, एक उमड़ते यौवन पर उठती महसूस हुईं | वन्दना परेशान हो उठी और जैनेफर को ढूँढने लगी | वह केलब से बेखबर रैड वाईन का ग्लास पकड़े, सोनल की दूसरी सहेलियों की माँओं के साथ बातें करने में व्यस्त है | इस दिन की एक और परम्परा है, करीबी सहेलियाँ, दोस्त या परिवार के सदस्य बर्थ डे गर्ल के लिए बोलते हैं | इससे पहले कि वन्दना उसके पास पहुँचती, जैनेफर हँसती हुई, छोटी सी बनाई गई स्टेज पर आ गई, और माइक पकड़ कर उसने बोलना शुरू कर दिया--

        सोनल के साथ-साथ क्रिस्टी को वन्दना ने जो संस्कार दिए, उसी के कारण वह सोनल की तरह हर क्षेत्र में अच्छा कर रही है | उसके व्यक्तित्व के निखार और आत्मविश्वास को देख कर, कई बार मुझे ईर्ष्या होती है | काश! मुझे भी कोई वन्दना जैसा गाईड और घनी छत मिली होती, जो मुझे कड़ी धूप, तेज़ बारिश से बचा सकती | मैं तो हाई स्कूल में ही पीटर के प्यार में पड़ कर प्रेगनेंट हो गई और शीघ्र ही शादी करनी पड़ी | जीवन के संघर्ष में ऐसे उलझे, आगे पढ़ भी नहीं पाए | वन्दना ने क्रिस्टी को वह सब दिया, जो मैं नहीं दे पाई | सबसे बढ़ कर शंकर परिवार ने हमें अपना हिस्सा बनाया | जैनेफर का गला भर गया, उससे बोला नहीं गया - गाड अपना आशीर्वाद तुम दोनों पर सदा बनाये रखे, बस यही प्रार्थना करती हूँ | उसने क्रिस्टी और सोनल को गले लगाया और सिसक पड़ी | हॉल तालियों से गूँज उठा, सब की आँखें गीली हो गईं | वन्दना की आँखें भी नम हो गईं |
        केलब भी दोनों को गले लगाने उठा | पर क्रिस्टी सोनल का हाथ पकड़ कर दूर हट गई | बड़े अंदाज़ से उसने झुक कर, हाथ जोड़ कर, नमस्ते कहा | यह सब उसने इतने ढंग से पेश किया कि लोगों की हँसी निकल गई, केलब खिसिया कर बैठ गया | वन्दना हँस नहीं सकी | क्रिस्टी के अभिनय के बाद, वह क्रिस्टी के चेहरे की कठोरता को भाँप गई | क्रिस्टी उस रात अपने घर नहीं गई, सोनल के यहाँ ही रुक गई | सोनल समझ नहीं पा रही आखिर क्रिस्टी को हुआ क्या है?
 

       वन्दना सारी रात असहज रही | उसके भीतर की औरत और अंतर्ज्ञान किसी अनहोनी के धटित होने का संकेत दे रहा है | भोर की पहली किरण ने धरा अभी छुई भी नहीं थी कि सोनल ने वन्दना को जगाया--

       मम्मी उठिए, क्रिस्टी सारी रात तड़पती रही, उसे बहुत तेज़ बुखार है |
       पर तुमने मुझे जगाया क्यों नहीं ?
       आप थकी हुईं थीं, इसीलिए नहीं जगाया | क्रिस्टी ने भी आप को जगाने से मना कर दिया था |
       वन्दना ने जल्दी से नाईट गाऊन डाला और सोनल के कमरे की ओर तेज़ी से चल पड़ी | क्रिस्टी को बुखार है, थर्मा मीटर लगाया तो १०१ डिग्री निकला | बुखार से ज़्यादा वन्दना ने क्रिस्टी के चेहरे पर रोष, आक्रोश और शरीर में गुस्सा महसूस किया | वन्दना ने क्रिस्टी का चेहरा अपने नर्म हाथों में ले कर, उसकी आँखों में आँखें डाल कर पूछा- क्रिस्टी, केलब ने तेरे साथ क्या किया?
        इतना सुनते ही क्रिस्टी वन्दना से लिपट कर फफक पड़ी...
रोते-रोते उसने पूछा -- आपको कैसे पता?
        माँ का अंतर्ज्ञान.. वंदना ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा |
        पर मेरी माँ को क्यों नहीं पता चला? क्रिस्टी के इस प्रश्न पर वन्दना बोली नहीं………
         वन्दना उसके सिर पर हाथ फेरने लगी, उसके स्नेह ने उसे सहजकर दिया, और भीतर का लावा पिघलने लगा....|
         धीरे -धीरे वह बोली--आंटी, दो दिन पहले केलब अँकल, मॉम को डिनर के लिए लेने आए | वे बाथरूम में थीं | मैं उन्हें लिविंग रूम में बैठने को कह कर मुड़ने लगी, तो वे मेरे सामने आ कर खड़े हो गए | उन्होंने मेरे उरोज़ दोनों हाथों से कस कर पकड़ लिए, मेरी चीख निकल गई--अचानक वार था, सम्भल नहीं पाई | उन्होंने मेरा वक्ष छोड़ कर, मेरे मुहँ पर हाथ रख कर जकड़ लिया और बोले --अगर आवाज़ निकाली या किसी को बताया, तो जान से मार दूंगा | मैं कली को खिलने का भरपूर समय देता हूँ, साथ दोगी तो माँ - बेटी दोनों को अथाह सुख दूँगा, नहीं तो तुम्हारे यौवन के उतार- चढ़ाव पार करना मेरे लिए कठिन नहीं है |
        तुमने जैनेफर को बताया नहीं ?
        मैं बहुत गुस्से में थी... और मॉम को बताने का समय भी नहीं था | मैंने अपना सामान उठाया और यहाँ चली आई |
        ताइकवांडो, किस दिन के लिए सीखा है ? तुम दोनों ब्लैक बेल्ट हो | वन्दना ने उसका डर निकालते हुए कहा |
        आंटी, इसी बात का तो दुःख है, मैं उसे बेल्ट नहीं दिखा पाई | उम्र भर कलियों की खुशबू से भी डरता |
        क्रिस्टी कुछ क्षणों के लिए चुप हो गई, जैसे कुछ कहने से पहले, अपने विचारों को समेट रही हो | वन्दना ने उसे पानी का ग्लास और एक बफ्रिन की गोली दी | 

        थोड़ी देर बाद वह बोली-- आंटी, मुझे डर है, इस बार मॉम मेरी बात का यकीन नहीं करेंगीं |
        इस बार, क्या पहले भी कभी ऐसा हुआ है ?
        बचपन में, मॉम के दोस्त मुझे बच्चे की तरह रखते थे | ज्यूँ -ज्यूँ मैं बड़ी होनी शुरू हुई, कई दोस्त अच्छे आए और कई मुझ में कुछ ढूँढते रहते | उनकी नज़रों से तंग आकर मैं मॉम को बताती और वे उन्हें छोड़ देतीं | अब बढ़ती उम्र में वे असुरक्षित हो गईं हैं | उन्हें लगता है कि दो साल बाद, मैं विश्विद्यालय में पढ़ने कहीं दूर चली जाऊँगी | वे अकेली कैसे रहेंगीं ? तभी केलब जैसे घटिया इन्सान के साथ जुड़ी हुईं हैं |
        तुम बात को टाल रही हो | क्या केलब ने पहले भी कुछ कहा था ? वन्दना ने उसके चेहरे पर नज़रें टिकाते हुए, दृढ़ता से पूछा |
        वे आँखों से मेरा शरीर उधेड़ते रहते हैं | मैंने जब मॉम को बताना चाहा, तो उन्होंने मेरी बात भी नहीं सुनी, हम दोनों का झगड़ा हो गया | माँ ने बहुत सी अनर्गल बातें कह दीं कि मैं माँ से ईर्ष्या करती हूँ, क्योंकि मेरा कोई बुयाए फ्रेंड नहीं है | केलब अँकल बड़े चालाक हैं, उन्होंने पहले ही माँ को उकसा दिया है कि मैं स्वार्थी हूँ और उनकी शादी कभी नहीं होने दूँगी | क्रिस्टी बिना रुके बोलती गई --
 आंटी, दो साल बाद मैंने घर से चले ही जाना है, सोचती थी, किसी अच्छे आदमी से माँ शादी कर लें, तो मैं भी बाप का प्यार पा लूँ | उस स्नेह को महसूस कर लूँ | अब तो दो साल काटने भी मुश्किल लगते हैं | वन्दना ने देखा, उसकी आँखों में थकान उतर आई है | उसने उसका माथा दबाते हुए कहा- क्रिस्टी सो जा, शाम को बात करेंगे | और उसने कम्बल ठीक करके उस पर ओढ़ाया | थोड़ी देर बाद क्रिस्टी गहरी नींद में चली गई | वह भी सोनल के लिए नाश्ता बनाने चली गई |

        गोधूली वेला में वन्दना पूजा करके उठी ही है, तभी जैनेफर आ गई | वन्दना ने उसे सारी बात बताई | वह चुप रही और क्रिस्टी को ले कर वहाँ से चली गई |
 

        दूसरे दिन क्रिस्टी स्कूल नहीं गई और न जैनेफर काम पर | दोपहर तक दोनों खामोश रहीं | जैनेफर ने ही बात शुरू की - क्रिस्टी बात को समझने की कोशिश कर, मैं केलब के बिना नहीं रह सकती | मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ | वह भी मुझे बहुत प्यार करता है.. उसने वह सब दिया है, जो तुम्हारे डैड मुझे नहीं दे सके | कहीं कुछ गलतफहमी हुई है |
        गलतफहमी, यह आप कह रही हैं? अपनी बेटी को...अमेरिका के कानून अनुसार मैं १८ साल तक अवयस्क हूँ, पर प्रकृति ने मुझे पूर्णता प्रदान कर दी है | मैं बहुत कुछ सोचती, समझती और महसूस करती हूँ |
         क्रिस्टी, तुम अभी भी बच्ची हो | यह सब तुम्हारे मस्तिष्क में वन्दना ने भरा है | वह तुम्हें हिन्दू बनाने पर तुली है |
         क्रिस्टी के चेहरे पर क्रोद्ध की रेखाएं उभरी.. .वन्दना की बात याद आते ही वह शांत हो गई --गर्ल्स, गुस्सा विवेक खो देता है | कोई बड़ा फैसला लेना हो या महत्त्वपूर्ण बात कहनी हो, तो शांत रहना चाहिए |
         क्रिस्टी ने नर्म होते हुए कहा -- ऐसी बातें करके मेरे दिल से अपना सम्मान कम मत करें | आप भी जानतीं हैं, यह सही नहीं है | आप को तो यह भी पता नहीं, आप की बेटी की किशोरावस्था कब पीछे छूट गई... उसे माहवारी कब आई और उस दिन उसने क्या महसूस किया ? पहली ब्रा उसने कब खरीदी ? इन सब का ख्याल मिसिज़ शंकर ने रखा, इससे जुड़ी सारी जानकारी मुझे दी, मुझे शिक्षित किया | केलब अँकल की भाषा न बोलें, मुझे सब समझ में आता है | यह सुन जैनेफर ढीली पड़ गई |
       क्रिस्टी मधुर स्वर में कहती गई -- माँ, आप जैसी भी हैं, मेरी माँ हैं | माँ-बाप चुने नहीं जाते | हमारे सीमित साधनों और आप की मजबूरियों को मैं भली- भांति समझती हूँ | मैं दो विकल्प आप को देती हूँ | पहला, अगर आप को अभी शादी करनी है, तो मैं स्कूल के परामर्शदाता से बात करके, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं की सहायता से, किसी पोषक गृह (फोस्टर होम ) में चली जाती हूँ | केलब अँकल के साथ मैं इस घर में नहीं रह सकती, मैं उनकी सूरत तक नहीं देखना चाहती | दूसरा, आप शादी के लिए मेरे १८ वर्ष की होने का प्रतीक्षा करें | जब मैं विश्वविद्यालय चली जाऊँगी, आप शादी कर लें | दो साल केलब अँकल इस घर में या घर के आस- पास भी नहीं आएँगे, अन्यथा मैं भूल जाऊँगी कि आप उनसे शादी करना चाहतीं हैं, ९११ डायल करते मुझे देर नहीं लगेगी, पाँच मिनट में पुलिस पहुँच जायेगी | आप केलब को, उनके घर या बाहर मिल सकतीं हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं | आप की ज़रूरत मैं समझती हूँ | जैनेफर क्रिस्टी के दमकते चेहरे और दृड़ आत्म- विश्वास के आगे झुक गई | क्रिस्टी यह कह कर, अपने स्कूल का काम करने चली गई | 

       जैनेफर सारी रात ममता और काया की कामना के अंतर्द्वंद में उलझी, जागती रही | एक तरफ केलब, जो उसे अथाह दैहिक सुख देता है.. और उसकी लच्छेदार बातें, उसे ज़मीन से आसमान तक ले जाती हैं | उसने जीसस की कसम खा कर जैनेफर को विश्वास दिलाया था कि उसने क्रिस्टी के साथ ऐसा- वैसा कुछ भी नहीं किया | दूसरी तरफ बेटी.....इतना बड़ा झूठ, वह नहीं बोल सकती, उसकी आत्मा नहीं मानती | ऊहापोह में उसे वन्दना पर गुस्सा आया | उसे अकेलापन क्यूँ नहीं खलता? उसकी देह क्यों नहीं मांग करती? वह झुँझला गई | 

      उसने अपने बिस्तर के गद्दे के नीचे दबी किताब कामसूत्र निकाली, उसके मुख पृष्ट को बड़े प्यार से सहलाया.. बाकी पृष्ठों को उलट- पलट कर देखा | केलब ने बार्न्स एण्ड नोबल से उसे ख़रीदा था और जैनेफर के जन्म दिन का उपहार था, वह किताब | जन्म दिन वाली रात पुस्तक में चित्रित क्रियाओं का आनन्द उठा, उन्होंने चरम सुख पाया था | उन्हीं क्षणों की याद में वह खो गई.. किताब उसने सीने से लगा ली... कुछ देर तक वह सोचों की तरंग में बह गई.... उसे अपना बदन भारी सा महसूस होने लगा, आँसुओं से आँखें भर आईं | 

      फोन की घंटी ने उसकी तंद्रा तोड़ी, क्रिस्टी ने फ़ोन उठा लिया है | उसे वन्दना की बात याद आ गई-- जैनेफर, एक शरीर ही तो अपना होता है | इसे अनुशासन में रखना ज़रूरी है, यह काम मस्तिष्क करता है | ध्यान ही दिमाग़ से सही सन्देश दिलवा सकता है | तुम मेडिटेशन किया करो, भटकना रुक जायेगा और सही दिशा मिलेगी | उस दिन जैनेफर चिढ़ गई थी | अब भी यह सोच कर झिख गई- मेडिटेशन, आन माय फुट, जैसे खाना- पीना शरीर के लिए ज़रूरी है, वैसे ही प्यार और सैक्स | एक पार्टनर चला जाये, दूसरा अपनी इच्छाएँ क्यों मारे? यह सब भावनाओं के दमन वाली बातें हैं | वन्दना को उसका दर्शन शुभ हो | वह तो है ही एबनार्मल, मैं वैसी क्यूँ बनूँ ?
        भीतर का रोष निकाल कर जैनेफर थोड़ा हल्का महसूस कर रही है, कनपटी से जबड़ों तक तनाव था | 

        क्रिस्टी ने अपने कमरे से सोनल को एस.एम.एस भेजा ---मम्मी को कहना, वह घबराएँ न, मुझे अपनी लड़ाई लड़नी आती है |
        पर उसे लड़ाई लड़नी नहीं पड़ी | सुबह जब जैनेफर उठी, उसका चेहरा अत्यधिक बर्फबारी के बाद बादलों की ओट से उगते सूरज सा उजला और निखरा हुआ है | शायद किसी निर्णय पर पहुँच चुकी है | 

        स्कूल जाते समय जैनेफर ने क्रिस्टी को कहा -- क्रिस, तुम आराम से दो साल पढ़ सकती हो | मुझे तुम्हारी सब शर्तें मंज़ूर हैं | क्रिस्टी मुस्करा दी, शायद उसे माँ के इसी निर्णय की प्रतीक्षा थी.... पहली खिली सरसों सी दमकती वह स्कूल बस की तरफ भागी.....
        क्रिस्टी ने बेबी सिटिंग शुरू कर दी, उसकी कई सहेलियाँ यह काम कर रही हैं | अमेरिका में पंद्रह - सोलह वर्ष के बाद लड़कियाँ स्कूल के उपरांत माँ- बाप की अनुपस्थिति में बच्चों की देख- रेख का काम करने लगती हैं | इससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते हैं और गर्मी की छुट्टियों में क्रिस्टी ग्रोसरी स्टोर में नौकरी भी करने लगी | इनसे कमाया पैसा, वह अपनी पढ़ाई के लिए जोड़ने लगी | एक बार केलब, उस ग्रोसरी स्टोर से ग्रोसरी लेने आया, जहाँ वह काम करती है, पर उसने क्रिस्टी की ओर देखा भी नहीं |दो-तीन बार वह उसकी मॉम को घर छोड़ने आया तो बाहर से ही चला गया | क्रिस्टी की असुरक्षित भावनाएँ स्थिर होने लगीं... 

        दो साल बहुत तेज़ी से बीत गए.. सोनल को तो वह स्कूल में मिल ही लेती है, वन्दना के साथ भी वह जुड़ी हुई है | एस.ऐ.टी की परीक्षा, जिसके अंकों से कालेज में प्रवेश मिलता है, वन्दना की देख- रेख में दोनों ने उच्च स्तर में पास की | कालेज प्रविष्टि के फार्म भी वन्दना ने ही भरवाए | ख्यातिप्राप्त कालेजों से बुलावा आ गया है | सोनल ने बोस्टन विश्वविद्यालय को स्वीकृति भी भेज दी, वह डाक्टर बनना चाहती है | आठ साल के सीधे डाक्टरी प्रोग्राम में उसे प्रवेश मिला है | क्रिस्टी ने दो कालेजों का चुनाव किया, जिनसे उसे आर्थिक सहायता और छात्रवृति मिलने की आशा है | अभी उसने स्वीकृति किसी को भी नहीं भेजी | उसके पास अन्तिम निर्णय करने के लिए दो सप्ताह का समय है....... 

        भोर का घूँघट उठे अभी कुछ पल ही बीते थे, उसी समय सोनल ने लगभग चीखते हुए वन्दना को बुलाया--मॉम.. कम अपस्टेअर्ज़ इन माय रूम | आवाज़ सुनते ही वन्दना रसोई में से, भाग कर ऊपर गई |
        सोनल के सामने कंम्प्यूटर खुला हुआ है और क्रिस्टी की एक बड़ी सी ई-मेल---जिसमें लिखा है---

        वन्दना माँ, 

        इस संबोधन का अधिकार स्वयं ही ले रही हूँ | बहुत दिनों से, आप को इस तरह पुकारना चाहती थी, पर बुला नहीं पाई | तक़रीबन सात बजे, कल रात मैंने घर छोड़ दिया | शाम के पाँच बजे, शरारती मुस्कान लिए केलब अँकल मॉम के साथ शादी करके घर आ गए और आते ही माँ के तर्क शुरू हो गए | दो साल केलब ने हमारी बात मानी, आज उसकी सुन लो | वह मेरी कसम खा कर तुम्हें बेटी मानता है | इन गर्मियों में साथ रह कर परिवार और बाप का सुख ले लो, फिर तो तुमने चले ही जाना है | मॉम अँकल की चाल में आ चुकी थीं | मैंने उनकी वही पुरानी नज़रें, आँखों में तैरती प्यास की लहरें और चेहरे पर विजय के भाव पढ़ लिए थे | मैंने भी अभिनय किया, मुझे उनकी शादी की बहुत ख़ुशी है और एक उत्सव के साथ नए जीवन की शुरुआत करना चाहती हूँ | रात को विशेष खाना बनाना चाहती हूँ, और एक लम्बी-चौड़ी लिस्ट दे कर, उन्हें ग्रोसरी लेने भेज दिया | ज़रूरी सामान उठा कर, मैंने घर छोड़ दिया...एक पत्र मॉम के लिए छोड़ आई हूँ | कुछ पैसे मैंने जोड़े थे, वे इस समय काम आएँगे | किस कालेज में प्रवेश लूंगी, नहीं जानती, आप को बता दूँगी, पर मॉम और केलब अँकल को कभी नहीं और कुछ नहीं बताऊंगी | मुझे उम्र भर उनसे दूर रहना है | आप के पास आ सकती थी | अठारवें जन्म दिन में तीन दिन बाकी हैं | केलब अँकल कमीने हैं ..अवयस्क को पथ भ्रष्ट करने का दोष लगा कर, आप को तंग कर सकते हैं | यशोदा मैया को ऐसे छोडूंगी, कभी सोचा न था | आप के संस्कार और समय -समय पर दी गईं नसीहतें ढाल और कवच का काम करेंगे, सोनल को संभालिएगा | वह मेरे इस तरह जाने से बहुत दु:खी होगी | आप मेरे हृदय में मन्दिर की घंटी सी समाई हुईं हैं | आप की बातों की खनक कानों में गूँजती रहती है | माँ बहुत खुश हैं और मैं उनके लिए खुश हूँ | अब मैं उन्हें मिलूंगी नहीं | जीवन के लिए, जो सोचा है, उस लक्ष्य तक पहुँचना चाहती हूँ | जिस दिन कुछ बन गई, तब आप को मिलने ज़रूर आऊँगी.......टेक केयर ( ख़याल रखियेगा)
आप की मुँह बोली बेटी,

क्रिस्टी
        सोनल पत्र पढ़ते-पढ़ते रो पड़ी.... इससे पहले कि वन्दना उसे चुप कराती, डोर बेल बज उठी | दोनों हैरान हो गईं, इस समय कौन आया है ? वन्दना जल्दी से नीचे गई, दरवाज़ा खोला, पुलिस अफसर के साथ केलब और जैनेफर को खड़े पाया | वन्दना बिना कुछ बोले संकेत से उन्हें सोनल के कमरे में ले आई और ई -मेल पढ़वा दी...अफसर उन दोनों को घूरता सीड़ियाँ उतर गया..... 
 

        ऐसा लगा... एक टारनेडो (प्रभंजन ) आया और सब कुछ तहस- नहस कर गया | जैनेफर की आँखों में सीलन आ गई और बाहर बादलों ने भयंकर गर्जन के साथ, कहीं बिजली गिराई, तेज़ तूफ़ान और आँधी अत्यधिक शोर मचाते महसूस हुए, सब के भीतर एक बवंडर चीख उठा ....बाहर और भीतर एक जैसी आवाज़ें सुनाई दीं ......