ठहरे हुए लोग / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

जिंदगी कभी न खत्म होने वाली समूह-यात्रा है। धीमी चाल वाले व्यक्ति को इसकी गति बहुत तेज मालूम देती है, वह इसकी संगति नहीं कर पाता और इससे बाहर आ खड़ा होता है और तेज चाल वाले को इसकी गति बहुुत धीमी मालूम देती है, वह इससे मेल नहीं बिठा पाता और वह भी इसे छोड़कर बाहर आ खड़ा होता है। -०-