डिंपल : बॉबी हो गई बाबा / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
डिंपल : बॉबी हो गई बाबा
प्रकाशन तिथि : 29 अगस्त 2014


फाइंडिंग फैनी के प्रचार के लिए दिए एक साक्षात्कार में डिंपल कपाड़िया ने कहा कि 41 वर्ष पूर्व प्रदर्शित राज कपूर की फिल्म में वह दिलकश 'बॉबी' थीं और 'फैनी' में उन्हें 'बाबा' बना दिया है। उनका तात्पर्य था कि वे "बॉबी' में षोडशी परी की तरह प्रस्तुत की गई थीं और अब "...फैनी' में अधेड़ और वक्त के खूंखार पंजों की मार खाई महिला हैं। यह भी इत्तेफाक है कि दोनों फिल्मों की पृष्ठभूमि गोवा है। वहीं शूटिंग हुई है। तय है कि 41 वर्ष बाद गोवा में उन्हें "बॉबी' के दिनों की याद आई हो। पहली फिल्म के पहले आउटडोर को उसी कशिश से याद किया जाता है जैसे पहले प्यार को। एक अजीब पैनी टसक होती है - सीने में समुद्र से अधिक उतंग लहरें चली होंगी, यादों की किश्ती भंवर में फंसी होगी।

डिंपल को सेंसर से शिकायत है कि उनके पृष्ठभाग को दिखाने पर आपत्ति की जबकि वे पूरी पोशाक में हैं। सोनम कपूर की 'खूबसूरत' के 'मेरे बम देखो' आशय के गीत को धड़ल्ले से दिखाया जा रहा है। सेंसर की सुई से अश्लीलता का हाथी निकल जाता है, जाने कैसे 'दुम' अटक जाती है जिसे 'बम' भी कहते हैं। 'फाइंडिंग फैनी' में नसीरुद्दीन शाह और पंकज कपूर जैसे दिग्गज भी हैं। केंद्रीय भूमिका में दीपिका पादुकोण हैं। डिंपल के मुताबिक यह सनकी पात्रों की मनोरंजक फिल्म है। दरअसल, सनक ही एक हद तक जाकर पागलपन कहलाती है। मनुष्य के दिमाग की रचना बड़ी पेचीदगी वाली डिजाइन है। अखरोट में इसकी डिजाइन तो दिखती है, पर रचना प्रक्रिया अनेक चक्रव्यूह मिलने से बनती है।

गोवा में रहने वालों ने पोर्चुगीज़ हुकूमत का दौर देखा और स्वतंत्र दो दशकों में गोवा पर्यटकों के स्वर्ग के साथ माफिया का नर्क भी देख रहा है। अब गोवा के अनेक मुखौटे हैं। रशियन माफिया वहां ड्रग्स बेच रहा है। गोवा के लोग पारंपरिक तौर पर रम पीने वाले लोग रहे हैं और संगीत ही उनका नशा रहा है। ज्ञातव्य है फिल्म संगीत के अधिकतम वादक गोवा से आए थे। इनॉक डेनियल और सेबास्टियन जैसे नाम प्रसिद्ध रहे हैं। फिल्मी धुनें पश्चिम संगीत की लिपि में लिखी जाती हैं और गोवा के वादक इसमें निपुण रहे हैं। संगीतकार प्यारे लाल के पिता ने गोवा के इस एकाधिकार को तोड़ने के लिए मुंबई में अपना स्कूल खोला और एक दशक के प्रयास के बाद उनके शागिर्द संगीत कक्ष में छा गए। बहरहाल रम आैर संगीत में डूबे रहने वाले गोवा में अब घातक ड्रग्स बेचे जाते हैं।

डिंपल ने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। सोलह की धुंध भरी उम्र में पहली ही फिल्म के सुपर स्टारडम ने उस धुंध को और गहरा कर दिया। ऐसे में पूनम की रात समुद्र तट पर राजेश खन्ना के प्रेम निवेदन को उन्होंने स्वीकार कर लिया। राजेश के लिए डिंपल एक ट्रॉफी थीं जिसे जीतकर उन्होंने प्रतिद्वंद्वी सितारों को मात दी परंतु उनके जीवन की शतरंज पर बेचारी डिंपल गैर-महत्वपूर्ण प्यादा बन गईं। उन्होंने दस वर्ष प्रयास किया कि पूनम की रात का समुद्र तट वाला जादू उनके वैवाहिक जीवन में भी जाए परंतु पतन की राह पर लुड़कते सितारे का जीवन कड़वाहट भरा होता है। टूटते सितारे के साथ जीवन बिताना कठिन होता है। डिंपल का सब्र टूट गया और वह अपनी दो अबोध बेटियों को लेकर 'आशीर्वाद' से बाहर गईं। उन्होंने राजेश से कोई आर्थिक सहायता नहीं ली और बेटियों को पाला। उनके अभिनय की दूसरी पारी असफल रही और उन्होंने श्रेष्ठि वर्ग के घरों में दिखावटी मोमबत्तियों का व्यवसाय किया। इस संघर्ष में मित्र सनी देओल ने सहायता की। अपनी बेटियों का विवाह डिंपल ने ही कराया। राजेश के जीवन के आखिरी दौर में वह 'आशीर्वाद' लौटीं, बहू बनकर भी तीन दशक पूर्व इसी घर में आई थीं और दिग्भ्रमित होकर घोर मानसिक त्रास के साथ 'आशीर्वाद' छोड़ा था। बीमार खन्ना की उन्होंने खिदमत की। जब मौत धीरे-धीरे ध्वनिहीन पदों से मनुष्य की ओर आती है, तब अहंकार नष्ट हो जाता है, अपने पूरे जीवन की तमाम गलतियां साफ नजर आती हैं। उन क्षणों में डिंपल का हाथ पकड़े राजेश मौत का इंतजार करने लगे। 'आनंद' में कैंसर की भयावहता को अब उन्होंने समझा। बहरहाल दो माह पूर्व डिंपल ने 'आशीर्वाद' बेच दिया। उनके लिए ये घोर दु:ख की याद दिलाने वाला बंगला था और उसी के सामने समुद्र तट पर उन्होंने अपने जीवन का गलत फैसला लिया था।