तटस्थ अस्तित्व / जगदीश कश्यप

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जिस व्यक्ति के घर में आत्मा और मन रहते थे, वह एक कवि था. एक दिन आत्मा ने कवि से शिकायत की कि मन उसके कमरे में से सत्य को चुरा ले गया है. अतः उसे सत्य वापस किया जाए, वरना वह उसका घर त्याग देगी.

कवि ने जब मन से आत्मा की शिकायत की तो वह भड़क गया, ‘वह पहले ही मेरे कमरे में असत्य, कुंठा, निराशा, आलस्य आदि चुरा ले गई है. अगर तुम मुझे ये चीजें वापस नहीं दिलाओगे तो मैं भी तुम्हारा घर छोड़ दूंगा.

कवि ने दोनों में सुलह कराने की बेतरह कोशिश की. पर असफल रहा. झगड़ा यहां तक जा पहुंचा कि एक दिन जब वह एक विशाल कवि सम्मेलन में भाग लेने जा रहा था तो मन और आत्मा उसके घर को छोड़कर चले गए.

बाद में कवि भी अपनी एक पुस्तक में जा बसा.