ताजमहल : बेकरारी का बयान / जयप्रकाश चौकसे

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ताजमहल : बेकरारी का बयान
प्रकाशन तिथि : 14 मई 2018


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगरा को दुनिया के सबसे गंदे शहरों की सूची में स्थान दिया है। जिस शहर में संसार की सबसे सुंदर इमारत ताजमहल बनी है, उस शहर की गंदगी का प्रभाव ताजमहल पर पड़ रहा है और जगह-जगह नीले-पीले धब्बे उभर आए हैं। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि ताजमहल समय के गाल पर ठहरे आंसू की तरह है। अब ताज के गाल पर प्रदूषण की मार के निशान नज़र आ रहे हैं। जैसे कमसिन उम्र के लोगों के गाल पर मुंहासे हो जाते हैं वैसे ही चार सौ वर्ष पहले बने ताज के चेहरे पर 'मुंहासे' हो गए हैं। सरकार को पर्यटकों से सालाना अठारह करोड़ रुपए की आय होती है पर ताज के रखरखाव की रकम भ्रष्टाचार में नष्ट हो जाती है। अब यमुना गंदे नाले में बदल चुकी है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास कागजी साबित हुए हैं। नदियों और नारी पर अत्याचार हमेशा की तरह जारी है और हम विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का सपना देख रहे हैं। आज के सफल फिल्मकार साजिद के दादा नाडियाडवाला ने प्रदीप कुमार और बीना राय अभिनीत 'ताजमहल' नामक फिल्म बनाई थी, जो रोशन साहब के संगीत के लिए आज भी याद की जाती है। आज़ादी के पहले बनी फिल्म ताजमहल कौमी दंगों के कारण प्रदर्शित ही नहीं हो पाई। कुछ फिल्मों में गीतों का छायांकन ताजमहल पर किया गया है परंतु उसके वास्तुशिल्पी ईसा आफंडी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। मुगल बादशाहों ने भारत में जो इमारतें बनाई, उनसे एकदम अलग किस्म की इमारतें उसने अपने जन्मस्थान पर्शिया में बनाई थीं। इमारतें बनाना मुगलों के शासन का महत्वपूर्ण हिस्सा था। अवाम को रोजगार मिल जाता था। संसाधनों का भरपूर दोहन किया जाता था।

शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज महल की मृत्यु मध्यप्रदेश के शहर बुरहानपुर में हुई थी परंतु स्मारक आगरा में बनाने का निर्णय इसलिए किया गया कि शाहजहां अपनी निगरानी में निर्माण कराना चाहते थे। मकराना से आगरा संगमरमर लाना भी सुविधाजनक था। बेचारी बेगम मुमताज को तीन बार दफनाया गया। पहली बार बुरहानपुर में ताप्ती के किनारे, दूसरी बार ताजमहल के परिसर में तथा तीसरी बार ताजमहल में कब्र का स्थान बन जाने के बाद। उनकी कब्र के चारों ओर जालियां इस तरह लगी हैं कि धूप वहां आ सके और पूनम की रात चांदनी भी कब्र पर पड़ सके। ताज के गिर्द चार मीनारों को भी ऐसा हल्का झुकाव दिया गया है कि वे कभी मूल इमारत पर नहीं गिरे। हाल ही में चली आंधी से ताजमहल को कुछ क्षति पहुंची है।

यमुना के किनारे बने होने के बावजूद बाढ़ का पानी इमारत को नुकसान नहीं पहुंचाता, क्योंकि यमुना के किनारे अनेक कुंए खोए गए, जिनमें मोटी रेत, ईंटों का चूरा और गोंद भरा गया है ताकि बाढ़ का पानी कुंओं में भर जाए और इमारत को नुकसान नहीं पहुंचे। एक वास्तुविद का कहना है कि ताज भी कुंओं पर ही बना है। इस अफवाह में कोई दम नहीं है कि ताज बनने के बाद कारीगरों के हाथ काट दिए गए। शाहजहां यमुना के दूसरे तट पर काले रंग का एक और ताजमहल बनाना चाहता था ताकि उसे वहां दफ्न किया जा सके। ताज के केंद्र में भीतरी सतह पर मुमताज महल की कब्र है परंतु औरंगजेब ने शाहजहां की मृत्यु के बाद उसकी बेगम के निकट ही शाहजहां को दफ्न किया। इसी कारण सिमिट्री भंग हुई। ताज की एक दीवार पर एक फूल अंकित है तो उसके ठीक सामने दूसरी दीवार पर भी वही फूल अंकित है। इस तरह सिमिट्री को कायम रखा गया है। सिमिट्री के लिए करीना शब्द का प्रयोग किया जा सकता है। ताज का गुम्बद गोलाकार है और ऊपरी हिस्से पर एक अत्यंत पतला सुराख है, जिससे वर्षा के समय एक बूंद पानी मुमताज की कब्र पर पड़ता है गोयाकि मौसम का लिबास पहने ताज पर मौसम भी एक आंसू गिराता है। वियना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर इबा कोच ने सरकार की आज्ञा लेकर ताजमहल का अध्ययन किया और उसके आर्किटेक्चर पर एक किताब लिखी, जिसमें ताज के हर हिस्से की डिज़ाइन का विशद वर्णन किया गया है। उन्हें 2001 में ताजमहल के रखरखाव करने वाली समिति का सदस्य भी नियुक्त किया गया था। हमारी इमारतों पर शोध का काम विदेशी ही करते आए हैं। ताजमहल की तरह खजुराहो, अजंता, एलोरा इत्यादि के संरक्षण में भी उदासीनता बरती गई है। दरअसल, हमें इतिहास बोध नहीं है और हम अपनी समृद्ध संस्कृति के प्रति भी लापरवाह रहे हैं।

ताजमहल पर खाकसार ने एक उपन्यास लिखा है, जिसे मेघा बुक्स दिल्ली ने जारी किया है। विगत दिनों चली आंधी से ताज को कुछ हानि पहुंची है। इसीलिए उस पर लिखा जा रहा है। मेरे उपन्यास की कुछ पंक्तियां कुछ इस तरह हैं, 'मैं ताज हूं, वक्त के चेहरे पर थमा हुआ आंसू हूं, संगमरमरी जिस्म में कैद एक अवाज हूं, मैं शब्दहीन ध्वनि और ध्वनिहीन शब्द का अंजाम हूं, मैं किसी ध्वनि का रुपांतरित दृश्य हूं, मैं इंसानी हौसलों और इरादों की बुलंदी का परचम हूं, मैं तवारीख के वर्कों में, इंसानी मोहब्बत का एक खिला हुआ गुलाब हूं, मैं कुदरत के तिलिस्मी सवालों का इंसानी जवाब हूं, मैं आह का जिस्म और एक दुआ की ढली हुई शक्ल हूं। मैं अनगिनत मनुष्यों के दिलों में बने छोटे-छोटे ताजमहलों का आईना हूं। हर एक इंसान के सीने में एक इमारत है, उसके लिए लड़ो और उसके लिए मरो। गुजश्ता चार सौ सालों में मेरी बाहों से गुजरी हैं इंसानों की नदी, फिर भी मैं प्यासा हूं, यह सृजन की प्यास है। सृजन की पीड़ा और सृजन के आनंद को महसूस करने के लिए अपने को पूरी तरह अपने काम में झोंक दो। आज हवाओं में नफरत है और मुझे सांस लेने में कष्ट हो रहा है परंतु लगातार काम करते रहने का कोई विकल्प नहीं है। मैं खतरों से घिरा हूं परंतु सबसे बड़ा खतरा विभाजित इंसान है। अपने को बंटने मत दो, मैं इंसानी कूवत की रूह हूं, मेरी आवाज सुनो, हर वह व्यक्ति जो पूरी ईमानदारी से काम कर रहा है, मैं उस व्यक्ति के दिल में रहता हूं…'