दल-दल में नेता जी / गोवर्धन यादव

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अनेकानेक दल में रह चुके दलबदलु नेताजी से एक व्यक्ति ने पूछा-" सर, इस बार आप किस दल में रहना पसंद करेगें?

"चुपकर बेवकूफ़, ये दल-दल क्या मचा रखा है, मैं किसी भी दल में रहूँ, मंत्री पद पर ही बना रहूंगा, एक बात बता, आज जितने भी दल तू देख रहा है, उनके सबके नाम भले ही अलग-अलग हैं, लेकिन सबके चाल-चलन और उद्देश्य तो एक ही है न! सबको कुर्सी चाहिए, फिर कुर्सी के लिए मैं चाहे जिस दल में रहूँ, क्या फ़र्क पड़ता है, दुबारा ऎसे घटिया सवाल मुझसे कभी मत पूछना, समझे" , नेताजी ने गुस्से में जवाब दिया।