दसों दिशाओं में गूंजता देह राग / जयप्रकाश चौकसे

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दसों दिशाओं में गूंजता देह राग
प्रकाशन तिथि : 02 अगस्त 2018

अमेरिका के मयामी में आयोजित समुद्र स्नान से जुड़े एक समारोह में मॉडल मारा मार्टिन अपने पांच महीने के पुत्र को दुग्ध पान कराते हुए केट-वॉक पर पहुंचीं। फैशन के कैट वॉक पर किसी मॉडल के वस्त्र गिर जाने पर बड़ी खबर बन जाती है। लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए इस तरह की 'घटना' प्रायोजित भी होती है। मधुर भंडारकर की फिल्म 'फैशन' में इस उद्योग की कार्यशैली को उजागर भी किया गया था। बॉन्ड फिल्म शृंखला के पहले भाग में उर्सुला एंड्रेस को समुद्र से बाहर आते हुए आकर्षक ढंग से दिखाया गया। जेम्स बॉन्ड फिल्मों के नायक की गन से अधिक घातक गर्ल्स दिखाई गई हैं। ईएन फ्लेमिंग ने जेम्स बांड का आकल्पन अपने पहले उपन्यास 'डॉक्टर नो' में प्रस्तुत किया था। इससे प्रेरित फिल्म खूब सफल रही। फ्लेमिंग के लिखे उपन्यासों की संख्या से कहीं अधिक फिल्में बनाई गई हैं।

स्पष्ट है कि उस ब्रैन्ड का जमकर लाभ उठाया गया। ईएन फ्लेमिंग के उपन्यास 'डायमंड्स आर फॉरएव्हर' के प्रारंभ मे दक्षिण अफ्रीका की खानों के दोहन और शोषण पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी है परंतु फिल्म शृंखला में उनका कोई इस्तेमाल नहीं किया गया। दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात शीत युद्ध के समय बॉन्ड पात्र उपजा है, जो शत्रु देश में घुसकर संहार करते हुए, वहां की कन्याओं से इश्क लड़ाता है। पराजित देश की बहू-बेटियों को हार की कीमत चुकानी पड़ती है। मैक्सिम गोर्की का कथन है कि बंदूक से निकली हर गोली किसी मां की छाती छलनी करती है।

राज कपूर की 'राम तेरी गंगा मैली' में दुग्ध पान के दो दृश्य हैं। दूसरे दृश्य में लम्पट खलनायक दूध पिलाती मां से कहता है कि अब उससे क्या परदा। वह जवाब देती है कि क्या उसने अपनी मां का दूध पीते हुए भी ऐसी कोई अभद्र बात कही थी। अरुणा ईरानी अभिनीत फिल्म में इत्तेफाक से वह एक भूखे सर्प को दूध पिलाती है और पूरी फिल्म में सर्प मां के दूध का कर्ज चुकाता है, संभवत: उस फिल्म का नाम 'दूध का कर्ज' ही था। मेडिकल विज्ञान में मां के दूध पर शोध का नतीजा यह निकला कि इससे अधिक पौष्टिक कुछ नहीं हो सकता।

दरअसल पावडर मिल्क बनाने वाली कम्पनियों ने अपने प्रचार में भांति-भांति की मिथ्या बातें प्रगट की हैं। आज बाजार में विटामिन एवं मिनरल युक्त नमक महंगे दामों में बेचा जा रहा है। नमक को सफेद बनाने की प्रक्रिया में उसके विटामिन नष्ट होते हैं और फिर ऊपर से विटामिन डाले जाते हैं। रॉ साल्ट सबसे अधिक लाभप्रद है परंतु बाजार ने उसे गायब कर दिया है, महंगाई का उत्पादन किया जाता है।

राज कपूर की बरसात में नायक का मित्र प्रेमनाथ उसे उदास देखकर एक महिला के पास ले जाता है। कवि हृदय नायक उससे पूछता है कि वह धन्धा क्यों करती है। ठीक उसी समय भीतर के कमरे से एक शिशु के रोने की आवाज आती है और स्त्री अपने शिशु को दूध पिलाने जाती है। नायक टेबल पर पैसा रखकर कक्ष से बाहर चला जाता है। अजन्ता, एलोरा, खजुराहो इत्यादि स्थानों पर कुछ छवियां मां के दूध पिलाने की भी हैं। स्पष्ट होता है कि हमारी उदात्त संस्कृति में खुलापन था और विक्टोरियन मूल्यों के कारण उसकी व्याख्या अत्यंत संकीर्ण हुई है। जनजातियां इस संकीर्णता से कुछ हद तक बची हैं। जनजातियों के क्षेत्र में भी छद्‌म आधुनिकता प्रवेश कर चुकी है। बस्तर में घोटुल होते हैं, जहां युवा वर्ग नाच गाने करता है और प्रेम सम्बंध भी विकसित होते हैं। मेहरुन्निसा परवेज व गुलशेर खान शानी ने जनजातियों पर श्रेष्ठ साहित्य रचा है।

दशकों पूर्व फिल्मकार आरके नैय्यर, कैमरामैन राधु करमाकर और खाकसार ने बस्तर का दौरा किया था। वहां सर्किट हाउस के एक कर्मचारी ने पांच हजार रुपए लेकर घोटुल का निरीक्षण करने के लिए हमें सांझ होते ही झाड़ियों में छुपा दिया। घोटुल का नृत्य दूर से देखा और राधू करमाकर ने उसे फोटोग्राफ भी किया। फोटोग्राफ में यह स्पष्ट नजर आया कि कुछ कन्याएं लिपस्टिक लगाए हुए हैं। खोजबीन से ज्ञात हुआ कि इस तरह का व्यवसाय पनपा है कि पर्यटकों से धन लेकर उन्हें घोटुल ले जाया जाता है, परंतु यह असली नहीं है। व्यापार के लिए घोटुल का स्वांग शहरी लड़कियों के सहयोग से किया जाता है। इस तरह जनजातियों में लिपस्टिक के प्रयोग का रहस्य उजागर हुआ।

कई बार एहसास होता है कि हम आभासी संसार में रह रहे हैं जहां सब कुछ प्रायोजित है। प्रचार का मुर्गा बांग न दे तो शायद सत्य का सूर्योदय भी नहीं हो। सभी जगह मनुष्य को बांटकर शासन किया जा रहा है। आज हमें बार-बार अपना अस्तित्व सिद्ध करना होता है और परिचय भी प्रमाण का मोहताज है। अवाम खुश और मुतमइन है, अत: असंतोष अकारण सिद्ध हो रहा है। शरीर की बुझती हुई आग के बुझे हुए कोयलों और राख के नीचे शायद कोई चिन्गारी अभी कायम हो।