दीवानी जवानी के दो खिलदंड / जयप्रकाश चौकसे

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दीवानी जवानी के दो खिलदंड
प्रकाशन तिथि : 24 अप्रैल 2013


फिल्म उद्योग के सीनियर सितारे अब अपने काम में इस कदर डूबे हैं कि उनके पास इश्क के लिए वक्त नहीं है। दो शादीशुदा हैं और तीसरा इश्क के गुरु की भूमिका में है और नए सितारे गढऩे में लगा है। तीनों उम्र की आधी सदी के निकट हैं और बकौल कैटरीना के 'एक था टाइगर' के संवाद कि अब तुम्हारी उम्र प्यार की नहीं रही। इस समय सितारा छवि के अनुरूप केवल दो सितारे इश्क के मैदान में डटे हैं और इत्तफाक की बात है कि दोनों के नाम बहुत एक-से ध्वनित होते हैं - रणबीर कपूर और रनवीर सिंह। रणबीर कपूर बहुत सफल सितारा है, रनवीर सिंह ने अभी तक बड़ी हिट में काम नहीं किया है। उसकी सारी ख्याति उसकी पहली फिल्म 'बैंड बाजा बारात' पर टिकी है, जिसमें अनुष्का शर्मा नायिका थीं और दोनों के इश्क के चर्चे भी सबकी जबान पर थे। दोनों में एक और दूर का रिश्ता है। रनवीर सिंह राज कपूर की 'बूट पॉलिश' की चरित्र अभिनेत्री चांद बर्क का पोता है। 'बूट पॉलिश' में वह झोपड़-पट्टी में पैसे के लिए नाचती-गाती है और समझौतों से उसे परहेज नहीं है। उसके दूरदराज के रिश्ते के दो मासूम अनाथ बच्चों को पालने की जवाबदारी उस पर थोप दी जाती है, जिसे अनिच्छा के साथ उसे स्वीकार करना पड़ता है। उसके पालने का तरीका यह है कि वह उनसे घर का काम करवाती है और दो रोटियों के साथ चार थप्पड़ भी रसीद करती है तथा भीख मांगने के लिए भी भेजती है। फिल्म में उस पर एक गीत भी फिल्माया गया है 'मैं बहारों की नटखट रानी'। लताजी ने मूल गीत के 'बाजारों की नटखट रानी' गाने से इनकार कर दिया था, अत: 'बाजार' के बदले 'बहार' का उपयोग किया गया, यद्यपि पात्र के चरित्र-चित्रण के अनुरूप 'बाजार' ही ठीक था। आज की गायिकाएं तो अपशब्द गाने से भी परहेज नहीं करतीं, 'कम्बख्त इश्क' भी स्वीकार है।

बहरहाल, यह रिश्ता कोई खास मायने नहीं रखता, परंतु बर्क राज कपूर के पोते के लिए भी दुआ करती होंगी। राज कपूर अपने हर छोटे-बड़े कलाकार को परिवार का सदस्य ही मानते थे। रणबीर कपूर ने संजय लीला भंसाली के सहायक निर्देशक की तरह काम शुरू किया और उनकी 'सावरिया' से अभिनय यात्रा शुरू की। यह संभव है कि फिल्म निर्माण के समय ऐसा कुछ अप्रिय हुआ कि रणबीर ने भंसाली के साथ दूसरी फिल्म नहीं की। रनवीर सिंह भंसाली की 'रामलीला' के नायक हैं और नायिका दीपिका पादुकोण हैं, जिनसे रणबीर कपूर का इश्क बड़े जोर-शोर से चला और अलगाव के बाद दोनों 'ये जवानी दीवानी है' में काम कर रहे हैं। आजकल रणबीर कपूर का इश्क कैटरीना कैफ से चल रहा है, परंतु मौसम बदलते ही उसकी माशूका बदल जाती है। इश्क के मामले में वह अपने दादा राज कपूर से ज्यादा उनके भाई शम्मी कपूर के निकट है। यों उसके पिता भी इस क्षेत्र में टेस्ट खिलाड़ी का दर्जा रखते थे और सबसे अधिक नई तारिकाओं के साथ दिल लगाकर उन्होंने काम भी किया है। आजकल चरित्र भूमिकाओं में कमाल का काम कर रहे हैं। आज ऋषि कपूर जितनी फिल्में एक साथ कर रहे हैं, उतनी उन्होंने पहले नहीं कीं।

रनवीर सिंह का कहना है कि वह उस तरह दिलफेंक नहीं है, जिस तरह मीडिया में प्रचारित है। यह गौरतलब है कि भंसाली की फिल्म शुरू करने के बाद वह बदल गया और अपनी उम्र से बड़ी उम्र के लोगों की तरह बात करने लगा है। संजय की संजीदगी को उसने पूरी गंभीरता से लिया है। अच्छा निर्देशक अपने सितारे को अपनी छवि में ढालने की कोशिश करता है। आदित्य चोपड़ा के स्कूल से निकला रनवीर सिंह अब भंसाली-सा ध्वनित हो रहा है। समर्पित फिल्मकार इस तरह का प्रभाव डालते हैं। रणबीर कपूर तक कभी इम्तियाज अली-सा ध्वनित होता है।

रणबीर कपूर अपनी प्रतिभा के दम पर 'सावरिया' जैसे हादसे का शिकार नहीं हुआ और उसने राजकुमार संतोषी मसाला 'अजब-गजब प्रेम' के साथ ही अनुराग बसु की 'बर्फी' में गूंगे का अभिनय किया और एक प्रयोगात्मक फिल्म ने सौ करोड़ का व्यवसाय किया। उसने प्रकाश झा की फिल्म में एक नकारात्मक पात्र की भूमिका की और अनेक कत्ल करने वाले नायक को भी पसंद किया गया। रणबीर कपूर में प्रयोग का साहस है और उसके अभिनय के दम पर ही 'रॉकस्टार' जैसी अजीबोगरीब फिल्म भी सफल रही। रनवीर सिंह को कपूर के समकक्ष आने में लंबा समय लग सकता है। वह एक्शन फिल्म करने में सफल हो सकता है, क्योंकि आज के चलन के अनुरूप जिम में वह अपने शरीर को तलवार की तरह मांज रहा है। रणबीर कपूर एकमात्र सितारा है, जो जिम नहीं जाता और मांसपेशिों को फुलाने में उसकी रुचि भी नहीं है। वह प्यार की कसरत से ही अपने को चुस्त-दुरुस्त रखता है। दरअसल यह इश्क का चक्कर भी बहुत थका सकता है। मध्यम वर्ग के युवा लड़की के घर या गली के सात फेरे लगाकर ही खुश हो जाते हैं। लड़की को रिझाने के लिए जाने कितने स्वांग रचने पड़ते हैं। पैसे देकर दूसरों से प्रेम-पत्र लिखवाने पड़ते हैं। अनेक लोग तो इस लाइलाज रोग को इसलिए भी पाल लेते हैं कि यह जमाने का चलन है कि क्या एक अदद लड़की भी नहीं पटा पाया।

बहरहाल, रनवीर सिंह मुंबई के बांद्रा के आम लड़कों की तरह खिलंदड़ और चंट है। इस तरह के लड़के 'स्मार्ट' होने को बुद्धिमान होना भी मान लेते हैं। आजकल फिल्मी संवाद की तरह वाक्पटुता को भी बुद्धिबल माना जाने लगा है। रनवीर के बचपन का कुछ समय अपने दादा के निवास चेंबूर में बीता और शेष पाली हिल बांद्रा में, परंतु वह टिपिकल बांद्रा-बॉय नहीं है, वह श्रेष्ठि वर्ग के व्यवहार से परिचित है और न्यूयॉर्क का युवा जैसा आधुनिकता का कायल है। इन दोनों समान ध्वनित होने वाले सितारों के कारण गॉसिप पत्रकारिता को खूब अवसर मिलते हैं।