देश / अशोक भाटिया

Gadya Kosh से
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वह औरत करीब लंगड़ाती हुई क्लीनिक पर पहुँची। डॉक्टर ने पूछा - पैरों में तकलीफ है क्या? यह तकलीफ तो भरी जवानी में ही शुरू हो गई थी, जब पैंसठ में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था। इस पर अब इतना ध्यान नहीं जाता।

- फिर घुटने दर्द कर रहें हैं क्या?

- घुटनों का दर्द सत्तर की लड़ाई के बाद शुरू हुआ था। सच पूछो तो यह भी इतना परेशान करने वाला नहीं।

- तो फिर किस तकलीफ का इलाज कराने आई हो?’ डॉक्टर ने पैंसठ-सत्तर साल की उस अधेड़ स्त्री से जानना चाहा।

- बेटा, बात यह है कि अब आँखें देखने नहीं देतीं, कमर उठने नहीं देती। कुछ देखने को मन नहीं करता।दिल हरदम घबराता है और सिर चकराता है। समझ में नहीं आता, क्या करूं?

- यह सब कब से है?

- कभी-कभार तो पहले से ही है। लेकिन जब से दिल्ली में एक लड़की के साथ बस में दरिंदगी की खबरें सुनी हैं, तब से ये सब तकलीफें बहुत बढ़ गयीं हैं। क्या इनका कोई पक्का इलाज है?