नटुआ दयाल, खण्ड-2 / विद्या रानी

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आरू मौथरी के तेॅ खाली जानी जाना चाहियो कि की करना छै। तखनियै वैं-नेॅ बहुरा केरो पुओ लेले चललो गेलय नटुआ कन औरू सांझ होत-होत नटुआ के लेय ओकरो दुआरी पर दमदाखिल होय गेलय।

जखनी मौथरी नेॅ आबी के कहलकय कि देखौ भौउजी केकरा आनले छियों, बहुरा दौड़ली-भागली अइलय आरू नटुआ के देखी के निहाल होय गेलय। कहे लागलय-'हे मौथरी! इ पुतरा रंग लड़का कहाँ से आनले छौ। घुँघुरालो बाल, कमान-रंग भौं, बरछी-रंग नाक आरू सुग्गा-रंग ठोर, आरू एतना जल्दी। आय भिनसरवे तोरा कहलऽ छियों आरू अभिये ल आनलो, तोहं-तेॅ धन्य छौ मौथरी धन्य!'

मौथरी नेॅ कहलकय-'हम्में कही दैलिहौं नेॅ भौउजी कि ऐन्हों लड़का आनभों कि तोहें अकचकाय जैभो।'

बहुरा तेॅ जोग-विद्या जानवै करे छेलय। वैं-नेॅ अमरौतिया के हाथों सें कत्ते नेॅ भोग नटुआ के खिलैलकय, जोग-टोना करलकय फिनु दुनु के सोथे जोड़ी के सोचे लागलय कि उनको जोड़ी कैन्हों रहतय।

अमरौतिया ने जे चोराय के नीचू नजर से नटुआ के देखलकय तेॅ छौड़ी के झाँय लगी गेलय। ओकरा समझो में आवी गेलय कि यही लड़का सें हमरो बियाह होतय मतर-कि एतनाय सुन्दर छै इ लड़का आरू हमरा सें बियाह करी के तेॅ डूबिये जइतय।

अमरौतिया के अपनो माय केरो बात याद आबी रहलो छेलय कि हमरो बेटी के बियाह हुआ दहु, हम्में आपनो दमादो के जीभ काटि के सात सौ दमादो के जिलाय देवय।

अमरौतिया नटुआ ला सोचे लगलय कि एकरो जी काटी देतय तेॅ की होतय। आपनो जमाय तेॅ सब्भै के पियारो होय छै आरू यें नेॅ तेॅ भरी गाँव लोगों के बीच में दमादों के ले-के किरिया खैले छै। अगर नटुआ हमरो दुल्हा बनतय तेॅ ओकरो जीवने खतरा में पड़ी जयतय मतरकि करौं तेॅ की करौं। अमरौतिया के दिमागो में हन-हन हथौड़ा चले लगलय। नटुआ के रूप सोची-सोची ओकरो हिया फाटे लागलय वै नेॅ तेॅ माइये से कुछ कह पारे छेलय नेॅ मौथरी से ही।

अमरौतिया मने-मन गंगा माय, कोसी माय के सुमिरन करै लागलय। दुर्गामाय के गोहार करै लागलय कि हे दुर्गा माय! आज तेॅ हमरो बियाह इ नटुआ संग माय करिये देतय मतरकि तोहें हमरो सोहाग के रक्षा करिहौ। माय-नेॅ जे किरिया खैले छै, ओकरा पूरा नय हुआ दीहो। इ कंचन काया रंग सोनपुतरा लड़का के जीवन रक्षा केरो भार तोरे ऊपर छौं। जखनी सें अमरौतिया नटुआ के देखले छेलय तखनिये से ओकरो मोन धक-धक करी रहलो छेलय।

ऊ बहुरा मौथरी संग मिली के बियाह केरो उपाय करे लागलो छेलय। बहुरा नेॅ कहलकय कि मौथरी इ रातों में ही तोहें ढोल बजाय दहू। डिग-डिग डिग-डिग। कोय जानें नय पारै कि बियाह होय रहलो छै। वैं-नेॅ नटुआ के ऊपर ऐन्हों मंतर मारलकय कि ऊ बेसुधे होय गेलो छेलय। की होय रहलो छै, ई ओकरो पता नय चली रहलो छेलय।

उ कहलो जाय छै नी अनमनो बियाह कोकरी सेनूर, बस चुपचाप राते-रात बहुरा नेॅ अमरौतिया केरो बियाह नटुआ सें करी देलकय। गोतिया नैया, सब्भै सुतले रही गेलय। आरू वर-कनियाइन घोर करी लेलकय।

बियाह होला के वादो नटुआ तेॅ आपनो होशे में नय छेलय, जेना कोय वशीभूत करी देनें रहै। अमरौतिया जखनी नटुआ साथे कोहबरो में गेलय तेॅ ओकरो जी तेॅ धुकुर-पुकुर करी रहलो छेलय। की कहभो आरू की करबो। आपनो माय केरो शिकायतो नय करे पारै छेलय आरू आपने वरो के संकटो में नय डालय पारै छेलय। दुनु चुपचाप खटिया पर बैठी के सोची रहलो छेलय। नटुआ नेॅ पुछलकय कि की सोची रहलो छौ तेॅ अमरौतिया नेॅ जबाव देलकय-'आय भिनसरवे जखनी कउआ गलगलाय रहलो छेलय तखनिये माय ने कहले छेलय कि आय कोय पाहुना अयतय। हमरा की पता कि आज हमरे पाहुना आवी जयतय।'

नटुआ कहे लागलय, ' आरू हमरो की हाल छै, मौथरी काका संग नाचते-नेॅ ाचते यहाँ तक चललो अैलिये। यहाँ तोहें कनियाइन बनी के मिलभो इ हमरा कहाँ पता छेलय। आरू सुनो हे अमरौतिया! माय-बाप के हम्में दुनु आँख छियै आरू हमरा एकदम्में राजकुमारे रंग मानै छै। इ बिहा के खबर सुनी के खूब दुखी होय जयतय। हुनका सिनी के तेॅ कोय आस-अरमान नय पुरलो छै अब हम्में को रंग मुँहों के दिखैवै। इ तरह से नटुआ आरू अमरौतिया दुनु सोचते-विचारते सुती गेलय। रात बीती गेलय। बहुरा के तेॅ लागै छैलय कि वैं-नेॅ जुग-जीति लेलै छै। जेतनाय चीज हटिया सें वेसाय के राखले छेलय सबटा अमरौतिया के पिन्हाय-देल छेलय। गरीबो केरी बेटी जेना-तेॅ ेना निभाय के बहुरां गंगा नहाय लेलक।

अबे इ दुनु के जीवन सांसत में पड़लो छै। तेॅ ओकरा की? सब्भै नेॅ नाचाय-नेॅ चाय के डायन कहै छै, जौं बरतुहारी करी के बियाह करतिये तेॅ होतियै की? जिनगी भर हमरो बेटी कुंवारिये रही जैतिये। अब बियाह तेॅ होय गेलय, आगू ओकरो भाग जानै। सुख लिखलो होतय तेॅ होबे करतय। हम्में जे करै पारै छेलिये से करी देलिये।

मौथरी नेॅ धीरे सें पुछलकय-'भौजी अब हम्में जइहों, कैन्हेंकि दिन होते सब्भै लोग जानी जैयतय कि हम्मी इ लड़का के उड़ाय-फुड़ाय केॅ आनले छियै, तेॅ तोरा साथैं हमरे लुलुआवे लगतय, यही सें हम्में आबऽ जाय छियों।'

बहुरा नेॅ आँखी में लोर भरी-क मौथरी के हाथ पकड़ि लेलकय बोललकय-'की कहियों मौथरी हम्में तोरो इ उपकार जीवन में नय भुलवों।' मौथरी बोललकय-'कोय बात नय छै भौजी आदमीये ही आदमी के काम आवै छै, तेॅ हम्में जाय छियों।'

बहुरा कानि के उठी गेलय आरू तनीटा चूड़ा आनि के ओकरे गमछी में बांधते-बांधते कहलकय-'इ जलखय दै दे छियों मौथरी, रास्ता में खाय लीहो।'

मौथरी कुछु जबाव नय देलकय। चुपचाप आपने ढोल लै के बहुरा के अंगना से निकली गेलय।

भरौड़ा राज चौदह पट्टी में पसरलो छेलय। ओकरो बीचो में बखरी सलोना नाम के एक ठो अंचल छेलय। यहाँ सब्भै जात के लोग रहै छेलय। बहुरा तेॅ मछली बेचे छेलय और कंुजड़िन, धोबिन, नाईन सें लै-के ब्राह्मण, क्षत्रिय सब्भे जात के लोगों के आपने-आपनो टोला छेलय। उपजाऊ जमीन आरू मेहनती लोगों से भरलो क्षेत्रा छेलय बखरी-सलोना।

जखनी भोरहरिया मौथरी आपनो ढोल पीठी पर लटकैले झटकी-झटकी के गाँव पार करी रहलो छेलय तखनी ढेरी आदमी दिशा-मैदान जाये लगलो छेलय। धोबिन मैनी आरू कुंजड़िन सुग्गी सनी बतियैते-बतियैते तीनगच्छी के तरफ जाय रहलो छेलय कि ओकरासिनी मौथरी के झटकते जइतें देखलकय।

सुग्गी बोललकय-'हे दीदी देखो-देखो, ई मौथरिया के. भोरमभोर कहाँ सें मुँह मराय के जाय रहलो छै।'

मैनी नेॅ देखलकय तेॅ इशारा करलकय कि चुप रहो हे। एकरा देखलो नी भोरे-भोर देखियो दिन होते-होते केकरो नेॅ केकरो बियाह होवे के खबर सुनभौ।

सुग्गी केरो आँख अचंभा से फटी गेलय-'हाँ! इ बात छै तेॅ पुकारी के पूछियै कि तोहें की कहै छौ?'

मैनी नेॅ हाथों के इसारा से ओकरा बरजी देलकय मतरकि सुग्गी केरो उत्सुकता के तेॅ अंत नय छेलय। दूरे से पुकारी के बोललकय-'हे हो! मौथरी, हे हो मौथरी! इ भोरे-भोर केकरो उद्धार करी के जाय रहलो छौ, पीठी पर ढोलकिया लादी के.'

मौथरी नेॅ पल्टी के देखलकय कि सुगी आरू मैना लोटा में पानी लेले खाड़ी छै, ऊ तेॅ मखौलिया छेवे नेॅ करलय, मुसकी मारी के बोललकय-'हम्में की तोरा विष्णु भगवान नजर आवी रहलो छियों, जे उद्धार करवै।'

मैनी बोललकय-'हमरा सिनी के तेॅ तोहं विष्णु भगवान लगवे करै छौ। मौथरी इ भोरे-भोर देखलियों तही सें शंका होलय कि की बात छै।'

मौथरी केॅ भोरे-भोर झगड़ा करे के मोन नय छेलय। मजाके-मजाके में बोलतें निकली गेलय-'अरे भौजी! अगर तोरा विष्णु भगवान लगौ छियों तेॅ केकरो नेॅ केकरो उद्धार करले नेॅ होवय। तोहं पता करिहो। अखनी हम्में हड़बड़ी में छियों।'

सुग्गी हाँसै लगलय। मौथरी खेत पार करि के पक्की सड़को पर चढ़ी गेलय। इ दुनु बगीचा तरफ मुड़ी गेलय। सुग्गी बोललकय कि-'हे दीदी तोहं केना जानै छौ कि मौथरिया बिहाये करवैले होतय।'

मैनी नेॅ जबाव देलकय।

'अरे चुपका बिहाय करवावे में इ नामी छै हे। केकरो नेॅ केकरो लड़का उड़ाय-पुड़ाय केॅ लानथों आरू राते-रात बिहा करवाय देथों। अब लड़का केरो माय-बाप माथो धुनो। की सुंघाय देय छै, की पट्टी पढ़ाय दै छै कि कहे नय पारों। चलो जल्दी से घर चललो जाय, कत्तेनी काम पसरलो छै। यदि गामो में कुछु होलो होतय तेॅ पता चलिये नेॅ जइतय।'