नटुआ दयाल, खण्ड-5 / विद्या रानी

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नौउआ के आरू नेग दै के बहुरा नेॅ बिदा करलकय। आरू आपने मछली बाज़ार के तैयारी करे लागलय। जेन्हें नौआ निकललय दू चार लोग टोका-टोकी करकलय कि नौआ केकरा कन संदेश लैक गेलो छेलय। आरू केकरो बियाह होलय रे।

नौआ कहलकय बिहा तेॅ बहुरा केरी बेटी केरो होलय, मतरकि केकरा कन इ हम्में नय जानै छियों। हम्में नाम की जानिहों हम्में तेॅ दुल्हा के पहुँचाय ला गेलो छेलिहों तेॅ ऊ आपनो घर गेलय हम्में साथे छेलिहों।

एकठो नेॅ पुछलकय, 'अच्छा आदमी के नाम नय, गामे के नाम बताव, कौन गाँमे गेलो छेल्हैं?'

नौआ बोललकय, भदौरा गाँव गेलो छेलियै। अब हमरा सें कुछ नय पूछो एक गो जजमान कन जाना छै। तोरे गामों के तेॅ लड़की छौं पता करी ला। '

एतना तेॅ पता चलिये गेलय कि बहुरा केरी बेटी अमरौतिया केरो बिहा होय गेलय। मतरकि ओकरा कन जइतय के? अच्छा, मछलिये बजारो में ओकरा सें बात करवै।

मैनी, सुग्गी नेॅ जब सुनलकय तब हुलसी उठलै। देखलो बिना चोर-चोरी होय छै ऊ अमरौतिया केरो बियाह होय गेलय। आज जइबै ओकरा देखे ला मैनी बोललकय। भक्क, ओकरा कन जइवो हो सुग्गी? बोललकय हाँ, जइबे, कतनो डायन छै नी तेॅ सामना-सामना बाघो नय निगलै छै। चलिहो देखवै अमरौतिया के. बियाह के बाद आरू सुन्दर होय गेलो होतय कुछ लड्डू मिठाय भी खैयवय। दुनु धरपड़ैली बहुरा कन जावे लगलय। ऊहाँ जाय के केवाड़ खटखटावे लगलय। बहुरा, बहुरा केवाड़ खोलो।

बहुरा तेॅ बाज़ार जाय के तैयारी करी रहलो छेलय। अमरौतिया सें पुछलकय, 'के छिकै अमरोे, के किबाड़ खटखटाय रहलो छै?'

अमरौतिया बोलकय, 'कोय मौगी सिनी छिकै हमरा तेॅ मैनी काकी लगै छै। की करियो?'

बहुरा कहलकय-'की करभैं केबाड़ खोली दहीं ओकरा सिनी के परनाम करी लीहें, बैठाय के रखिहैं, आवी रहलो छियौ।' अमरौतिया नें जाय के केवाड़ खोली देलकय।

देखलकय मैनी-सुग्गी दुनु काकी छिकै। वैं-नेॅ गोड़ लगेला नीचू झुकलकय तेॅ सुग्गी नेॅ उठाय लेलकय, 'अगे होय गेलय होय गेलय, खूब खुश रहें, सदा सोहागिन रहें। अमरौतिया, माय कहाँ छौ, हुनके सें लड़ना छै। चुपका बिहा करलकै तेॅ करवे करलकै एको दिन गीतो तेॅ गावे के न्योता देतिहे।'

अमरौतिया चुपे रहलय खाली बोललकय कि चलो नेॅ चाची ऐंगना में बैइठो माय नहाय के आविये रहलो छौं।

मैनी नेॅ देखलकय अमरौतिया पर सेनूर के रंग खूब चढ़लौ छै। गोरो रंग खड़ा मुँह, मछलिया आँखें, आरू कच-कच कारो केस। यहू छौड़ी तेॅ कमाले लगी रहलो छै। परगट में कहलकय-' हे-हे सुग्गी इ अमरौतिया के तेॅ सुन्दरता बढ़िये गेलो छै। कत्ता बढ़िया लागी रहलो छै इ टुस-टुस लाल लुंगा कौउने देले छौ गे अमरौतिया, खूब्बे खिली रहलो छै।

अमरौतिया बोललकय, 'के देतय, चाची, माइये देले छै।'

तब ताँय बहुरा नाही केॅ हाथों में जल लै के आवी गेलय। वन तुलसी पिंडा पर जलो केरो लोटा राखि देलकय आरू कहलकय-की पूछै छेलो हे कि के देलकय साड़ी? हे बहिन के देतय सब हाल जानिये रहलो छौ। चुपका हथपकड़ा बिहा में के लानतों कुछु। इ तेॅ लड़का मिली गेलय तेॅ हम्मू गंगा नहाय लेलां अब लैजइतो तबे नी। कही के बहुरा काने लागली।

मनो में कतनाय दुर्भावना रहला के बाद सामना-सामनी आदमी ओकरा परगट नय करै छै। आरू ओकरो संवेदना में डूबी उतराय के आपनो बात राखै छै। मैनी, सुग्गी भी आँख पोछे लागलो। 'की करभो दीदी गरीबो के यही हाल छै। मतरकि कानलाय से नय होतो केन्हो बिहा करलहौ कम से कम गीत-गावे ला तेॅ बोलैतिहो, नय भोज खिलैतिहो।'

बहुरा कहलकय, 'की कहियों हम्में तेॅ एकरा ला फिकिर करिये नेॅ रहलो छेलिये तेॅ उ मौथरिया जे अइल्हौं नेॅ तेॅ ओकरे कहलिये हे हो मौथरी हमरो अमरौतिया की कुँवारिये रही जइतय? बस एतनाय बात। की कहिहो बहिन सांझ होते-होते मौथरिया लड़का लै के दमदाखिल होय गेलय। लड़को तेॅ एतना सुन्नर कि किशन-कन्हैया। हम्मूं सोचलिये कि करिये दै छी बिहा, की करना छै। कमलामाय के नाम लै कन्यादान करी देलियै।'

मैनी सुग्गी बोललकय, 'ठीके करलहौ दीदी कतना बड़का-बड़का लोग ऐन्हों बिहाय करै छै, हमरा सिनी तेॅ गरीबे छिये। केकरो बेटा छै दीदी?'

बस यही प्रश्न सें तेॅ बचैला चाहे छेलय बहुरा। जौं बताय दै छैये तेॅ संउसे गाँव ओकरो जानो के पीछे लगी जैइतय, आरू नय बताय छैये तेॅ केकरो नेॅ केकरो सें पता करिये लेतय। असमंजस में प्राण होय गेलय, बहुरा के, 'आब की करौं।' तइयो नारी सुलभ धूर्त्तता सें कहलकय, 'हे बहिन तोहं सिनी तेॅ आपने छौ, तोरासिनी सें की छिपाना, मतरकि केकरो कहियो नय, जानबे करै छौ कतनाय दुश्मन छै। अरे आकाशो में ग्रहण लगै छै तेॅ सउसे संसार जानै छै, तेॅ इ अमरोतिया के केकरा संग बिहा होलय कोय नय जानतय की? लेकिन हमरे किरिया केकरो कहियो नय। एकरो बिहा होलो छै भदौरा गामो के दुखरन केरो बेटा नटुआ सें। घर खूब सुखी-संपन्न छै, लड़का तेॅ एकदम्में कमल के फूल, मतरकि एकरा ले जइतय तबऽनी, हम्में तेॅ कुमरपत उतारि देलियै।'

सुग्गी बोललकय, 'लै कैन्हे नी जइते, कौउनो भगोड़ी छिकै बिहाय करल छै खेल छिके की? चाहे चुपका होय या सदरी बिहा तेॅ बिहा होय छै।'

मैनी नेॅ हाँ में हाँ मिलैलकय। आपनो मन रंग बात सुनी के बहुरा कहलकै, 'अमरौतिया जो, आन दू-दू ठो लड्डू आरू एक-एक ठो खाजा दुनु चाची के दहीं।'

अमरौतिया दौगी के आने ला गेलय। बहुरा गपो करले जाय रहलो छेलय आरू तैयारो होय रहलो छेलय। 'देखो नी तीन-चार दिनो सें बाज़ार नय गेलो छिये। आज जाय रहलो छियै, नय कमैवो तेॅ खैयबो की?'

इ दुनु न, 'हाँ हाँ छेवे करै,' कही के बैठली रहलय। मैनी कहलकय, 'अब चलो हे। खाजा लड्डू मिलिये गेल्हों। सुग्गी कहलकय,' चलै छियै, इ बहुरा दीदी संग ही चल्लो जइबय, रूकोनी। '

बहुरा कहलकय, 'हे हे कनियाइन एकरा तेॅ कोइयो सोहागिन नेॅ सेनूरो नय करले छै। संयोग सें तोहें दुनू आवी गेलो छौ, कनटा दै दहु आशीर्वाद छौड़ी के. अमरौतिया, जो सिन्हौरा लानी के चाची सनी सें सेनूर टिकवाय ले।'

अमरौतिया सिन्दौरा ल आनलकय मैनी, सुग्गी दुनू पूरबो मुँह ठाड़ा होय ओकरा सेनूर लगावे लगलय मैनी बोललकय, 'जुग जुग जीयो बेटी राज करौ सेनूर कोखि सें भरली-पुरली रहो। नहैतो केश नय टूटौं, कोसी मैया तोरो रकछा करौं।'

सुग्गी हाँसे लागलय, 'कत्ता आशीर्वाद दै रहलो छौ। सबटा आशीर्वाद तोहीं दै देभो तेॅ हम्में की देवय।'

मैनी कहलकय, 'तोरा तेॅ सब्भै समय मजाके करै के मोन करै छौ।'

सब विध करी के लड्डू खाजा लै के मैनी आरू सुग्गी दुनू बहुरा केरो ऐंगना सें निकली गेलय। थोड़े दूर साथे गेला के बाद बहुरा बाजारो तरफ गेलय। आरू मैनी, सुग्गी आपनो घर तरफ मुड़ी गेलय।

सुग्गी कहलकय, 'हे दीदी ठीके कहै छौ मौथरिया नेॅ कतना पइसा वाला घर केरो लड़का के उड़ाय-पुड़ाय केॅ आनि देलकय, इ अमरौतिया केरो भागो सुन्दर छै। लगन की चर-चराय उठलै छौड़िया के! अब आगू की होय छै देखना छै।'

मैनी कहलकय, 'देखलो बहुरा के, कत्ता चालाकी सें कहलकय केकरो नय कहियो अरे हमरे कहला सें लोग जानतय? जेकरा जानै ला होतय ऊ जानिये गेलो होतय। चलो जे हुअ इ तीन दिनो सें जे अतड़ी में कलछुन चली रहलो छेलय कि मौथरिया नेॅ की करलकय ऊ खत्म होय गेलय। आरू ऊ छौड़ियो भी कतना दिन घरो में रहतय बाहर भीतर करतय तेॅ सभैं जानवे करतय। आरू जानला के बाद तेॅ भेल बिहाय अब करवे की। की हे ठीकै नेॅ कहै छियों?'

सुग्गी बोललकय, 'नय दीदी ठीक नय कही रहलो छौ। इ मामला में इ फैकड़ा नय चलतय कैन्हें कि बिहाय के बादे नी बहुरा केरो जमाय के खिस्सा होय वाला छै। जैन्हें-जैन्हें ई बात बखरी सलोना में पसरतय तैन्हें-तेॅ ैन्हें ऊ सात सौ दमादो के जियावे के कथा हुआ लागतय आरू अमरौतिया के दुल्हा के खोज हुअ लगतय।'