नटुआ दयाल, खण्ड-6 / विद्या रानी

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैनी कहलकय, ' अगे माय ठीकै कहै छौ। सुग्गी एकरो तेॅ हमरा

धियाने नय छेलय। अब तेॅ यही होतय जाने कमला माय की-की देखैतै इ तेॅ भगवाने जाने पारै छै। '

इ तरह दूनू काजी जी रंग, गाँव, समाज, बहुरा, अमरौतिया केरो फिकिर करी-करी के घर गेलय। आरू धीरे-धीरे केकरो नय कहे के शर्तो पर अपने किरिया दै-दै के इठो बात संउसे गामो में पसारी देलकय। जैन्हें अमरौतिया केरो बिहा केरो गप हुअ वैन्हें जमाय के जीभ काटै केरो बात अपने आप आवी जाय आरू फिनु हुआ लागे खुसुर-फुसुर। खुले आम बहुरा के चुनौती दै के हिम्मत केकरो नय छेलय उ भी एकल्ले। समूह में होय के जेभी करै छेलय तेॅ ओकरा सिनी के डर नय लगै छेलय। असकरे करला पर तेॅ डर छेलय कि बहुरा नेॅ जों बान मारि देतय तेॅ उ खून बोकरी के मरी जइतय। एहै सें सब्भै बात तरेतर चली रहलो छेलय। जेना कि जंगलो में आग लगी जाय छै, वैन्हें बखरी सलोना के सबसे भयानक बात छेलय कि इ डाइन बहुरा केरो बेटी के बिहा होय गेलय नटुआ के साथ। अब नटुआ के की होतय? एक्के ठो बेटा छै, बासठ बीघा खेत। इ डाइनी नेॅ तेॅ ओकरा खैइवे करतय, आरू नय खैइतय तेॅ गामोवाला सिनी खिलाय देतय। जाने कमला माय, कोसी माय, गंगा माय, भोला नाथ, पार्वती माय तोहीं सब्भै केरो रक्षा करिहो, नटुआ के बचैइहो, अमरौतिया के सोहाग केरो रक्षा करिहो, गाम वाला के सदबुद्धि दीहो। हे कुलदेवी तोरे शरणो में छी।

अमरौतिया केरो मोन तेॅ छटपटाय रहलो छेलय। अठारह बरसों सें जे आपना के सुरक्षित रखले छेलय ऊ तेॅ एक्के दिनों में खत्म, आरू तीन दिन गल्ला केरो हार बनी के जे रहलय ऊ दिनों के याद तेॅ हिया से नय जाय छेलय। सोचै छै अमरौतिया कि की होय जाय छै दुनिया में कि जेकरा कहियो नय देखलै छेलिये, जेकरा नेॅ जानै छेलिये नेॅ बूझै छेलिये वही आदमी एक्के क्षणो में सर्वस्व होय गेलय। जीवन के

आधार प्राण स्वरूप। ओकरा बिना जीवनो अंधारे छै। पता नय की होतय, कतनाय लड़की तेॅ चुपका बिहा करी के खूब बढ़िया सें राजपाट चलावै छै, आरू कतना केरो एहू कहानी छै कि ओकरा लैइये नय गेलय ऊ जीवन भर ओकर नाम के सेनूर पीन्ही के जिनगी काटलकय।

सोचै छै अमरौतिया कि हमरो की होतय, इ बीहा सें यहै नेॅ अंतर होलो छै कि हम्में सेनूर लगाबे, लगलियै, सिंगार करी लेलियै बस। सब काम तेॅ पहिले रंग होय रहलो छै। माय बाज़ार जैयतय आरू हम्में घरो के टहल करते रहवै। एकरा पहिले तेॅ एन्हें दिन कटै छेलय, आबे तेॅ एकठो आरू टीस करेजा में घुसी गेलो छै। परेम केकरा कहै छै इ तेॅ अमरौतिया नय जाने छेलय मतरकि नटुआ सें बियाह होला के बाद ओकरो मोन नटुआ ला बेचैन होय जाय छै। हे भगवान कहाँ सें इ तीन दिन हमरा प्रेमरस चाखै ला मिललौ छै, की पता फिनू मिलतय की नय। नटुआ केरो चेहरा घुरी-घुरी के ओकरा आँखो के नीचे नाचे लगे छै। ओह! कतना मीठा बोल, ओकरो एक-एक बात ओकरा याद छै। कोय कहै नय पारै छै कि एतना पइसा वाला केरो बेटा छेलय। अमरौतिया के मन के दू भाग होय गेलो छेलय, एक नटुआ के सुन्दरता पर लोभाय छेलय। आरू दोसरो ओकरो सुरक्षा ला सतर्क छेलय। प्रेम आपनो शिकार पर केकरो नजर नय देखे पारै छै से ओकरो एक मन तेॅ सीमा सें बाहर जाय के केन्हों करी के नटुआ के बचावे के उपाय सोचे छेलय। आरू एकरा में एतनाय डूबी जाय छेलय कि ओकरा सें प्रेम आरू विरह केरो बात भुलाय जाय छेलय। गजब हाल होय गेलो छेलय अमरौतिया केरो अभी-अभी होली बितलो छेलय। आरू चैत महीना केरो हवा ओकरा बार-बार नटुआ के बारे में सोचे ला विवश करै छेलय। जैन्हें चैता के हवा ओकरा देहो के छुवी के बहै छेलय तैन्हें संउसे देह भुटकी जाय छेलय। ओकरो रोआँ-रोआँ नटुआ के पुकारे लगै छेलय। ऐन्हो मदमस्त मौसम में जखनी जूही आरू बेली गमकी-गमकी के सभै के हर्षित करै छेलय, गुलाब मुसकाय-मुसकाय के सब्भै के स्वागत करै छेलय, अमरौतिया के मोन नटुआ के वियोगो में विह्वल होय रहलो छेलय। आम्रवन के मंजर आरू सेमल वन के पलाश नेॅ तेॅ आकाशो के लाल आरू ऊजरो रंगो सें सजाय देले छेलय।

सूरज धीरे-धीरे गरम होलो जाय रहलो छेलय। आरू दिन उदास, अमरौतिया रान्हीं-बाढ़ी के, खाय-पीबी के ओसारा पर खटिया बिछाय के पटाय गेलो छेलय। दुपहर तक माय आवी जइतय तब तक सुतै छिये। अमरौतिया के सोनामंती भौजी भी याद आवी रहलो छेलय। ऊ तेॅ बुझवे करै छेलय कि मैनी आरू सुग्गी काकी नेॅ हय सम्वाद संउसे गामों में पटाय ही देले होतय मतरकि अभी तांय भौजी नय अयलो छै। एकटा वही तेॅ छै जेकरा संें हम आपनो मनो के बात कहै छिये। दुःख बाँटे सके छियै। नय तेॅ इ रंग अकेले सोचते-सोचते हम्मे पगलाय जैइवै। हे कोसी माय, कमला माय की कहै छौ हमरा रक्षा के भार लीहो। हम्में अपने भी ठीक रहिये आरू हमरो प्राणनाथ नटुआ के आपनो अंचरा के छाँव दीहो। उख-विख अमरौतिया के धक्क में परान छेलय उठी के पानी पीवी लेलकय आरू सोचलकय कि की करियै, कोय काम मिली जाय तेॅ करियै फिनु सोचलकय आवे दै छिये माय के, कहवै कुछु कपड़े मंगवाय दे भौजी सें सिखी के फूल काढ़वै, रूमाल, तकिया खोल, चद्दर बनैवय। इही रंग सोची रहलो छेलय कि केबाड़ खटखटावे के आवाज अइलय। ओसरा, अंगना पार करी के दूरो में दरवाजा छेलय वैं-नेॅ पुकारी के कहलकय कि 'के छै, आवी रहलो छिये,' आरू जाय के दरवाजा खोली देलकय। देखलकय सोनामंती छै। झट परनाम करी के अमरौतिया बोललकय गोड़ लागे छियो भौउजी तोहं तेॅ हमरा भुलाइये गेलो छौ इ चार-पाँच दिनों सें कैन्हे नय अइलो छौ।

सोनमती कहलकय, 'नय हे अमरो, हम्में यहाँ छेवे नय करलियहो। इ चार दिनों ला नैहरा गेलो छेलिये नय तेॅ कमसे कम इनारा सें पीये वाला पानी आने ला तेॅ तोरे दुआरी पर नेॅ आवै छियै। ओतना दूर गामो सें बाहर इनारा पर असकल्ले नय जावे पारै छिये। रोज तेॅ भेट होवे करै छै। है तीन-चार दिन जे नय छेलियो ओकरे में तोहं ढोल बजाय के बिहो करी लेल्हों।'

अमरौतिया सोनामंती केरो हाथ पकड़ी के भीतर खींची के आने लगलय कहलकय, 'तौहं नय जाने छौ केना हमरो बिहा होलय, आरू केना हुआ पारै छेलय। माय तेॅ बौला-बौला छेलय कि कोय लड़का आनि दीय कि तेॅ एकरो बिहा करी के गंगा नहाय लौं। बस मौथरी कक्का के कहलकय आरू हुनी एकठो लड़का आनी देलकय से भौजी कुछु होलय थोड़े, हमरो बिहा में बस कमला माय के नाम लै के सेनूर पिन्हाय देलकय।'

सोनामंती बोललकय, 'की करतिये माय, तोरो माय तेॅ हिम्मत वाली छौं, सेनूर डलवाय देलखौं अब तोरो भाग जाने, अमरो छोड़ो कत्तानी ऐन्हों बिहा होय छै इ बताव कि बिहा के बाद कुछु होलो छै की नय?' एतनाय कही के मुसकावे लगलय।

अमरौतिया लजाय गेलय बोललकय, 'धत्त भौजी तोहं तेॅ बस मजाके करे लगै छौ।'

सोनामंती इ बोललकय, 'मजाक छै। एकरे ऊपर तेॅ तोरो भविष्य निर्भर छौं। जौं कुछ होलो होथों, जों पहुना नेॅ तोरा अपनाय लेले होथों तेॅ हुनी कहियो नेॅ कहियो अइबे करतय। जौं खाली सेनूर दै केॅ चल्लो गेलो होथों तेॅ नहियो आवे पारे छै।'

अमरौतिया के कनपटी लाल हिंगोर होय गेलो छेलय। सोचे लागलय अमरौतिया कि जखनी हम्में बच्चा छेलिये तखनी भौजी सिनी यही रंग मजाक करी के हाँसै छेलय। आरू अब हमरा कही रहलो छै। बोललकय 'नय भौजी पाहुना तेॅ बड़ा रंगरसिया छेलय। तीन दिन तीन रात रहले एतनाय दिनो में सोचो हम्में दोसरे दुनिया में छेलियै एकदम्मे सारस के जोड़ा, एको छन ला अलग नय होय छेलियै।'

सोनामंती के उत्सुकता बढ़ी गेलय बोललकय, 'देखै में कैन्हों छौं हे अमरो?'

अमरौतिया कहलकय, 'एकदम काँच के पुतरा गोरा लम्बा घुंघरालो बाल बड़ो-बड़ो, दुबला-पतला आरू मौथरी काका कहे छेलय कि नाचवो खूब करै छै।'

'तोहं ओकरो नाच देखले छौ?' सोनामंती पूछलकय?

'नय भौजी नाच केना देखतिय खूब ढोल बजतियै तबे नी, माय कहे छेलय कि ढोल खाली डिगडिगाय दहू कोय सुनै कोय सुने नय पारै।'

सोनामंती अमरौतिया केरी चचेरी भौजाय छेलय। दुनू में खूब दोस्ती। जखनी भी कामो से फुरसत मिलै छेलय, दुनू मिली बैइठै छेलय। दोनों के पेट एक। वही एक अमरौतिया के सहारा छेलय। ज्ञान के òोत छेलय, समाचार पत्रा छेलय। संउसे टोला के हाल समाचार भौजी नेॅ ही आवी के दै छेलय। अमरौतिया के ज़्यादा बाहर जाय ला नय देलो जाय छेलय। जवान-जहान बेटी कहीं कुछु ऊँच-नेॅ ीच नय होय जाय से सोनामंती सें गप करी के ही अमरौतिया सब कुछ जानै छेलय। अपनी माय केरो किरिया वाला बात भी सोनामंती ही कहले छेलय।

सोनामंती खुश होय के कहलकय, 'चलो अमरो अब तोहूँ प्रेमरस चाखि लेले छौ अब तेॅ तोरा सं बात करै में आरू मजा अइतय।'

अमरौतिया काने लगलय, 'की बात करभो भौजी ऊ निरमोही तेॅ नेह लगाय के चल्लो गेलय अब तेॅ यादे में नेॅ जीवै, कहिया अइतय कहिया नय।'

सोनामंती की कहतियै उ समझावे लगलय कि चाची नेॅ तेॅ ओकरा यही ला नेॅ भेजी देलकय कि इ गाँव समाज के लोग क्षणे में कहे लगतिये कि तोहं किरिया खैइले छैं तेॅ अब सब्भै जमाय के जिलाय दहीं। पाहुना केरो सुरक्षा ला ही चाची भेजले छै। आरू बिहा के बात धीरे-धीरे गामो में पसरलय नय तेॅ क्षणे में क्षणाक होय जैतियै। अमरौतिया बोललकय, 'हे भौजी ठीके कहलो यही चिन्ता में हमरो परान कलपै छै, की करवो समझो में नय आवै छै।'

सोनामंती नेॅ गंगा गोसांय कोसी माय, भोला बाबा सभे के दुहाई दै के कहलकय, 'भगवान छै अमरो, तोरो जीवन बहुत सुख सें बितथौं, चिन्ता नय करौ। चाची के बदनामी जानवे करै छौ, सौंसे गाँव हुनका सें डरै छै। तोहं तेॅ बेटी छौ, की करभौ? आरू चाची केरो गलती छै कि हुनी नेॅ ऐन्हों किरिया खैयलै छै। जाने छौ अमरो, जे जोग टोना सिखी लै छै नी ओकरा ला कोय रिश्ता माने नय रखै छै, ओकरो सब कुछ ऊ विद्या ही होय छै।'