नटुआ दयाल, खण्ड-9 / विद्या रानी

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नटुआ तेॅ ऊ सातो बहिने के गुनगान करै लागलो आरू मैनमा के लगे कि हिनका तेॅ खिलैवे पिलैवे नय सुतैवो करै छै यही ला खूब अच्छा लगी रहलो छै, मतरकि एतनाय बुद्धि नय उठै छेलय कि यहाँ फँसी गेलो छौ कतनाय सुखो से राखतो लेकिन ज़िन्दगी यहाँ वर्वाद होय जयतो, जवानी सूखी जैइतो आरो गुण सीखी के की करभो। जखनी एकदम्मे भेड़ा बनाय देथों तेॅ यहीं नाचथैं रही जैइभो।

दुनु आपनो हालो पर खुशे छेलय, पहुँचियो गेलो छेलय जंतर मंतर के खान में। जहाँ केरो मौगीसिनी आपनो सुन्दरता आरू मोहिनी मंतर ला प्रसिद्ध छेलय। इ प्रसिद्धि खाली काल्पनिक नय छेलय सच्चे में यही होय रहलो छेलय।

अब नटुआ आरू मैनमा दुनु तेॅ गेलो दूर देश ओकरो माय बापो के हाल बेहाल। दुखरन आरू नटुआ माय दुनु फेनु बेटा ला व्याकुल होय गेलय। अबकि इ तेॅ संतोष छेलय कि मैनमा भी साथे छै मतर कि बहुरा आरू अमरौतिया के तेॅ कोसते-कोसते नय थके छेलय। नय बिहा, होतिये आरू नय हमरो बेटा के पंख लगतिये। अड़ोस-पड़ोस केरो आदमी सिनी आवी के समझावे छेलय कि नटुआ माय कुछ सोचिये के नटुआ परैलो छौं। सुनै छिये कि बखरी सलोना के सबटा लोग अबे बहुरा के कही रहलो छै कि तोहं आपनो किरिया पूरा कर, हमरा सिनी के जमाय के जिलाव। तेॅ बहुरा आनाकानी करी रहलो छै। जौं सबटा झुकरी के आवि जैइतिहौं आरू नटुआ के पकड़ी के लै जइतियों तेॅ की होतियै। जावे दहू कहूँ छै तेॅ ओकरो परान तेॅ बचलो छै।

नटुआ माय के है घत्तापंजा समझो में नय आवे छेलय। ऊ तेॅ आपनो बेटा ला बेहाल रहे छेलय। आँखों के आँख एकटा बेटा आरू ओकरो इ डैनिया नेॅ भुतलाय देलके, हे कोसी माय! संउसे खाय गेलय। जमीन निंगली गेलय कि आकाश गुम करी देलकय। पुत्रा अछैती निपुत्तर होय गेलो छिये हो कमला माय, तोहीं हमरो रक्षा करिहो, हमरो बेटा के रक्षा करिहौं। केन्हो करी के हमरा हमरो बेटा सँ मिलाय दहू। हे गंगा माय सहाय होय जैइहो। रात दिन दुनु परानि के कलपते बीतै छेलय। ऊ समय एहो ठो ढेर परचार छेलय कि साधुसिनी आपना टोला में मिलाय ला आदमी सिनी के फुसलाय के लै जाय छै आरू संन्यासी बनाय देय छै। दुखरन सोचे छेलय कि इ नय हुअ कि कोय ओकरा

साधु बनावे ला आपना टोला में मिलाय लेले छै, आरू ओकरे सिनी के साथे उ बौउआय रहलो छै। केना ओकरो मति सुमति हुअ कि ऊ घर घुरी के आवि जाय। हे भोलाबाबा तोहीं देखियो, तोहीं रक्षा करिहो।

दुखरन केरो मोन कलपै छै। आरू ऊ दिन तेॅ ऊ एकदम्में अगिया बैताल होय गेलय, जे दिन बखरी सलोनी के दू-चार ठो आदमी नटुआ केरो घर खोजते-खोजते ओकरो गामो में घुसलय आरू सबके बतैला पर ओकरो दुआरी पर आवि के ठाड़ा होय गेलय। दुखरन बाहर अइलय तेॅ ढोलन ने पुछलकय कि तों नटुआ केरो बाप छौ नी, ओकरो हाँ कहला पर कहलकय कि नटुआ कहाँ छै?

बस दुखरन तेॅ चिकरे लागलय, 'की करभो तोहें सिनी नटुआ के? उ आपने कहाँ छै हमरा पता नय छै। ओकरा ला हम्में आपने दुखी छियै आरू आवे तोहें सिनी ओकरो खोजेला हमरो दुआरी पर आबिगेलो। हम्में तेॅ कहभों कि तोरे गामो के लोग ओकरा मारि देलकय।'

दुखरन काने लगलय ढोलन आरू मांगन सभै आदमी साथे लौटी गेलय। दुखरन के जे हाल छेलय ओकरा में ओकरा समझाना चाहे, हौसला देना असंभव छेलय आरू नटुआ के एकरासिनी इ रंग सीधे जे पता लगाय ला चललो अइलय सेहो कोय ठीक बात छेलय की? कोय नटुआ के इनाम दैला तेॅ नय खोजे छेलय। हुनके उद्देश्य तेॅ गड़बड़े छेलय।

मांगन ने कहलकय, 'की ढोलन भाय हमरो सिनी के गलति होलय दुआरी पर नय जाय के गामो मंें पता लगाना चाहियो छेलय।'

'ढोलन अबे छोड़ें नी, जे गलती होय गेलय ओकरा ला की करलो जावे पारै छै।'

सब्भै आपनो गाँव लौटी अइलय।

बहुरा आपनी बेटी क, बिहौवा बेटी बनाय केॅ खुश छेलय। अब आगू की होतय उ सोचेला नय चाहे छेलय। कहलो जाय छै कि डाइनो के आपनो दमाद मिटठो होय छै से नटुआ के जीभ काटे के बारे में सोचते ओकरो रोऑ काँपी जाय छेलय। सोचै छेलय बहुरा कि जेतनाय दिन गामो-समाजो के लोग एकरा भुलैलो छै उतने अच्छा। जौं सब्भे पीछू पड़ी जैइते तेॅ हमरा तेॅ जीभ काटे ला ही पड़तय, आरू हमरी बेटी तुरंते बिहौवा सें रांड बनी जैइती। यही कारण ऊ तेॅ सकपकैली रहे छेलय। मतरकि गाँवों के लोगो के तेॅ तमाशा करै में मोन लगै छै। अब तेॅ सात सौ जमाय मरी गेलय आरू एकठो नटुआ जे जिन्दा छै ओकरो मारी के की होतय कोय ठिकाना छै कि ओकरा मारला पर सब्भै जिविये जइतय इ रंग बात कोय नय सोचै छेलय। सब्भै के लगे छेलय कि बहुरा डाइन नेॅ जे करतूत करले छै, ओकरो उपाय बतैने छै ऊ उपाय करी के सात सौ बेटी के सोहाग लौटाय दे। जेन्हों करने छै तैन्हों तेॅ पैइबे नेॅ करतय?

संउसे पट्टी में एकरो चर्चा जोर-शोर से होय रहलो छेलय। मैनी आरू सुग्गी तेॅ विस्तार सें बतावे छेलय कि केना ऊ बहुरा के अंगना गेली छेलय आरू अमरौतिया के मांग टीकलो छेलय। माने कि बिहा केरो पक्का खबर पसरला के बाद घरे-घर जमाय वाला चरचा होय रहलो छेलय। हुंड मौगीसिनी में मैनी आरू सुग्गी आरू मरदो में ढोलन आरू मांगन नेता बनी गेलो छेलय। सब्भै नेॅ मिली जुली के सोचलकय कि एक दिन बहुरा कन जाय के कहलो जाय परेमें से, झाँउ-झाँउ करै के की बात छै कि तोहें जे किरिया खैयले छेल्हो ओकरा कहिया पूरा करभो। तोरो बेटी के बिहा के तेॅ एक वरिस होय गेल्हों। यहे रंग सोची-विचारी के सब बहुरा के अंगना गेलय आरू बात करे लागलय।

आठ दस आदमी के अइलो देखि के बहुरा आरू अमरौतिया घबड़ाय गेलय। अमरौतिया कोठरी में घुसी गेलय आरू बहुरा नेॅ सब्भे के ऐंगना में चटाय बिछाय के बैठैलकय। पूछलकै बहुरा ने, 'की बात छै भाय आज एतनाय आदमी बड़ी जात्रा बनाय के हमरो घर अइलो छै?'

ढोलन बोललकय, 'हे बहुरा बहिन तोहं तेॅ समझिये रहलो छौ। कि हमरासिनी कथी ला अइलो छिये। मतरकि जबे पूछे छौ तेॅ कहे छियों कि अबे तेॅ तोहं जमाय वाली होय गेलो छौ। आपनो किरिया कहिया पूरा करभौ?'

बहुरा नेॅ रंग पलटि के कहलकय, 'किरिया कहूँ सच होय छै हे भाय ऊ तेॅ ऊ दिन ओझा नेॅ ऐन्हों करी देले छेलय कि हमरा किरिया खाय ला पड़लै अब हम्में केना पूरा करभों।'

मांगन बोललकय, 'बहुरा तोहं पंचो में कहलो बातो सें मुकरी जइभौ? संउसे गाम जाने छै कि तोहं किरिया खैले छौ गॉव बाला नेॅ तोरा बेटी के बिहा करे के तेॅ मोहलत देले छेल्हों, वोहो होय गेलय तों कहिने आब तेॅ नाकर नुकुर करी रहलो छौ?'

बहुरां कहलकय, ' नाकर-नेॅ ुकुर के की बात छै? एक तेॅ हम्मे कुछु करै नय पारै छिये दोसरो हमरो जमाय भी जे बिहा करी के गेलो छै से घुरी के नय अइलो छै। सुनैछिये कि समधी-समधिन अगिया बैताल छै। हमरो बेटी के नय लै जइतय। तेॅ जब हमरो जमाइये नय अइतय तेॅ केकरा जी निकाली केॅ केकरा जिलैइवय।

ढोलन के तेॅ संउसे लहर कपारे पर चढ़ि गेलय। 'ढेर चालाकी नय करौ बहुरा। तोहें तेॅ जमाय के छिपाय देने छौ आरू हमरासिनी के बरगलाय रहलो छौ। अरे इहै करना छेलों तेॅ वही दिन कहतियो कि हम्मे कुछु नय करे पारै छिये।'

बहुरा कहलकय, 'ऊ दिन तेॅ नय कहलिहों मतरकि आज कही रहलो छियों कि हम्में कुछ नय करै पारै छिये, आरू कुछु जों करवो करवय तेॅ बिना आपने जमाय के अयले नय।' जमाय केॅ के बोलैथों बहुरा। हमरासिनी तेॅ पतोनय जानै छिये तोहीं नेॅ बोलभौ, उ झुुंडो में से एकठो आदमी ने कहलकय।

बहुरां कहलकय, 'हम्में केना बोलैभौं हो भाय, ऊ हमराकन घुरी के अइतय तबे नी। उ तेॅ बिहा करी के जे गेलो छै से गेले छै। हमरा ओकरो कोय पता नय छौं।'

है वैचिच रंग जबाव सुनी के सब्भै बौखलाय गेलय। उठी के जावे लगलय। जइते-जइते मांगन कहलकय, 'अच्छा जौं लौटी के तोरो जमाय आवी जैयथों तेॅ तोहं आपनो कौल पूरा करभो कि तहियो नय करभौ?'

बहुरा कहलकय, 'नय करभों, हम्में आपने हाथें आपनी बेटी के रांड केना बनेबै?'

एतनाय सुनना छेलय कि सब्भे लोग जैइते-जैइते घुरि गेलय आरू बहुरा पर ऐना झपटलै कि लगे कि ओकरा मारबे करतय। है रंग बहुरा सोचले नय छेलय। अचकचाय गेलय आरू अपना के बचावे ला पाछू हटी के कहलकय, 'करी देभों हो भाय, खाली हमरो जमाय के आनी दूहूँ तेॅ हम्में करी देभों, ओकरो यहाँ बिना अइल्हें कुछु नय हुअ पारै छै आरू जेना कि नौआ बोले छेलय कि उ समधी अपना बेटा के इहाँ नय आवे देते आरू फिनु बिहा करैतय।'

ढोलन बोललकय, 'इं रंग चुपका बिहा में ऐन्हो तेॅ कहवे करे छै मतरकि कोय छोड़ै छी की? अच्छा अखनी तेॅ हमरासिनी जाय रहलो छिये मतरकि तोहें आपनी बातो से मुकरिहौ नय। तोरो जमाय के आने केरो काम हमरा सिनी करवय।'