नया रास्ता / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

पिछली रात मुझे एक नए तरह का सुख पाने का रास्ता सूझा। मैं इस पर अमल करने की सोच ही रहा था कि एक राक्षस और एक फरिश्ता मेरे घर की ओर दौड़ते हुए आए. वे दोनों दरवाजे़ पर मेरी नये सुख की सूझ को लेकर आपस में झगड़ने लगे।

एक चिल्ला रहा था, "यह पाप है!"

दूसरा कह रहा था, "यह पुण्य है!"