पत्र 16 / बनारसीदास चतुर्वेदी के नाम पत्र / हजारीप्रसाद द्विवेदी

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हिन्दी समाज

शान्तिनिकेतन

6.8.36

पूज्य पंडित जी,

प्रणाम !

कृपा-पत्र अभी मिला। मैंने आपको फिरोजाबाद के पते से पत्र लिखा था। वह नहीं मिला क्या? यह सुन कर बड़ी ख़ुशी हुई कि श्री रामनारायण जी की तबीयत अच्छी है। मगर उनकी नौकरी छुटने का समाचार उद्वेगजनक है। ऐसा क्यों हुआ? जैनेन्द्र कुमार जी और अज्ञेय जी ८ अगस्त को आ रहे हैं। अब देरी नहीं है। आप ज़रुर आइए आपके आने मे जो यात्रा का व्यय होगा, उसके लिए बिलकुल चिन्ता न कीजिए। हम लोग उसकी व्यवस्था कर लेंगे। और सब कुशल है। आजकल काम बेतरह बढ़ रहा है। इसीलिए अब तक कुछ लिख न सका। गुरुदेव की कविता का अनुवाद भेजूँगा। और सब कुशल है। वर्मा जी और जैन जी और पाण्डे जी को प्रणाम। आपकी अनुपस्थिति में हम लोगों को कोई कष्ट नहीं हुआ। बड़े आनन्द से रहे। अबकी बार पं. दुर्गा प्रसाद जी को सुराही हाथ लगी थी (सुरा-ही!)

आपका

हजारी प्रसाद