परफ्यूम और परफॉर्मेंस का रिश्ता क्या है? / जयप्रकाश चौकसे

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परफ्यूम और परफॉर्मेंस का रिश्ता क्या है?
प्रकाशन तिथि : 27 जून 2018


रणबीर कपूर फिल्म दर फिल्म अपना परफ्यूम बदलते हैं। मसलन, राजकुमार हिरानी की 'संजू' की शूटिंग के समय उन्होंने उसी परफ्यूम का इस्तेमाल किया, जो संजय दत्त अपने जीवन में करते हैं। रणबीर कपूर को तेज महक वाले परफ्यूम पसंद नहीं हैं परंतु 'संजू' की शूटिंग में उन्हें तेज महक सहनी पड़ी। दरअसल, हर शरीर की अपनी सुगंध होती है। बेचारा हिरण ताउम्र उस सुगंध की तलाश में भटकता है, जो स्वयं उसकी नाभि से आ रही है। हिरण की तरह मनुष्य भी सारी उम्र बेबात भटकता रहता है। यही संदेश 'अलकेमिस्ट' नामक उपन्यास भी देता है। परफ्यूम उद्योग संभवत: पतंजलि के बाद सबसे अधिक विज्ञापन देता है। रणबीर कपूर के सबसे नज़दीकी मित्र अयान मुखर्जी की निर्माणाधीन 'ब्रह्मास्त्र' की शूटिंग के समय उन्होंने अपनी पसंद की धीमी महक वाले परफ्यूम का इस्तेमाल किया है। अयान मुखर्जी के निर्देशन में उन्होंने दीपिका पादुकोण के साथ अभिनय किया था। 'जग्गा जासूस' के समय वे कैटरीना कैफ की पसंद का परफ्यूम इस्तेमाल करते थे। दोनों कुछ समय तक एक फ्लैट में रहे थे। उन दिनों उपयोग में लाई गई परफ्यूम का प्रयोग वे अब नहीं करते।

क्या परफ्यूम का इस्तेमाल कलाकार की भावाभिव्यक्ति में मददगार होता है? अगर ऐसा होता तो श्रेष्ठ अभिनय के लिए पुरस्कार उस परफ्यूम निर्माता को भी मिलना चाहिए। मनुष्यों की तरह जानवरों को भी गन्ध आती है। घोड़े शेर की गंध से अपना होश खो बैठते हैं और बदहवासी के आलम में उसी दिशा में दौड़ते हैं, जिस दिशा में शेर उनका इंतजार कर रहा होता है। अपनी सुरक्षा के भाव से संचालित घोड़ा अपने सवार को शेर के सामने फेंककर स्वयं सुरक्षित स्थान की ओर दौड़ने लगता है। महाभारत में मत्स्यगंधा का विवरण है कि एक मछली मारने वाली स्त्री के शरीर से मछली की गंध आती है। एक ऋषि ने उससे प्रेम करने के बाद उसे अपने आशीर्वाद द्वारा मछली की गंध से मुक्त किया। यह गंध प्रसंग महाभारत के घटनाक्रम को प्रभावित कर गया। क्या इस प्रसंग से हम यह अर्थ निकालें कि व्यक्ति जो कार्य करता है, वही उसके शरीर को गंध भी प्रदान करता है।

मेहनतकश व्यक्ति के शरीर से एक बेमिसाल गंध उत्पन्न होती है गोयाकि बहाया हुआ पसीना ही गंध को भी जन्म देता है। सारा समय वातानुकूलित कमरों में बैठने वालों के शरीर से पसीना ही नहीं निकलता परन्तु वे सारे समय परफ्यूम का इस्तेमाल करते हैं। उनके कमरों को भी सुगंधित रखा जाता है। फ्रांस की रानी मैरी एंटोनेट भी परफ्यूम का शौक रखती थीं परंतु उनके पति का शगल था लोहे को आकार देना। वे कुछ समय भट्‌टी के निकट बैठते थे। इतिहास मैरी एंटोनेट के प्रति निर्मम रहा है।

यह बात भी गौरतलब है कि मधुरात्रि के लिए सेज फूलों से सजाई जाती है। दूल्हे का सेहरा भी फूलों से बना होता है। फिल्मी गीतों में भी फूलों का जिक्र हुआ है। 'बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है', 'आराधना' फिल्म के गीत 'गुन गुना रहे हैं भंवरे, खिल रही है कली कली'। 'आराधना' से किशोर कुमार की दूसरी पारी प्रारंभ हुई परंतु इसमें भी रफी साहब के गाए हुए गीत हैं। फिल्म के संवादों में भी फूल का उपयोग हुआ है। 'मुगले आजम' में दिलीप कुमार उनसे मन ही मन प्रेम करने वाली को फूल देते हैं परंतु कांटा अनारकली को देते हैं, जिससे वे स्वयं प्यार करते हैं। वे यह भी कहते हैं कि फूल मुरझाते हैं परंतु कांटे कभी नहीं मुरझाते। इस फिल्म में प्रेम-पत्र भी नहर में बहते कमल में रखकर भेजे जाते हैं।

बहरहाल, रणबीर कपूर ने यह बयान भी दिया है कि वे अपने दादा राज कपूर की फिल्मों को पसंद करते हैं परंतु वे अपनी निर्माण संस्था में उस तरह की फिल्में नहीं बनाएंगे। यह बात समझदारी की है, क्योंकि राज कपूर ने कभी पृथ्वीराज कपूर के नाटकों से प्रेरित फिल्में नहीं बनाईं वरन् स्वयं अपनी शैली विकसित की। प्रतिभा और परम्परा का रिश्ता यह है कि व्यक्तिगत प्रतिभा अपनी परम्परा से प्रेरित होकर अपने कार्य द्वारा उस परम्परा को ही मजबूत करते चलना है। अब दो दिन बाद ही राजकुमार हिरानी की रणबीर कपूर अभिनीत 'संजू' का प्रदर्शन होने जा रहा है। रणबीर कपूर से अधिक यह राजकुमार हिरानी का इम्तेहान है, जिन्होंने अपने पंद्रह वर्ष के कॅरिअर में चार सफल फिल्में बनाई हैं।