पाप / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

अगर दुनिया में पाप जैसी किसी चीज का अस्तित्व है तो हममें से कुछ इसे अवश्य करते हैं—जब हम पीछे मुड़कर अपने पूर्वजों के पदचिह्नों पर चलने लगते हैं या फिर जब हम आगे बढ़ते हुए भावी पीढ़ी को ही नकार देते हैं।