पारिजात / नासिरा शर्मा / सामान्य परिचय

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साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत नासिरा शर्मा जी का पुरस्कृत उपन्यास "पारिजात" नासिरा के उपन्यासों ‘सात नदियाँ एक समंदर’, ‘शाल्मली’, ‘ठीकरे की मंगनी’, ‘जिंदा मुहावरे’, ‘अक्षयवट’, ‘कुइयॉजान’, ‘जीरो रोड’ और इनमें सृजित पात्रों को देख-समझ कर यह स्वाभाविक रूप से पता लग जाता है कि यह कितने चिंतन और मनन के बाद अपना स्वरूप ग्रहण कर पाए हैं। इस कड़ी में उनका अगला उन्यास आता है ‘पारिजात’।

नासिरा के उपन्यास ‘पारिजात’ को श्रेष्ठ भारतीय पुरस्कार ‘साहित्य अकादमी’ से सम्मानित किया गया है। ‘पारिजात’ एक विराट कैनवास का उपन्यास है जिसे महाकाव्यात्मक उपन्यास की संज्ञा दी जा सकती है। यह उनके लगभग दस-बारह वर्षों तक किये गए अथक शोध के परिणाम है। ‘पारिजात’ केवल एक वृक्ष, कथा और विश्वास नहीं है, बल्कि यथार्थ की धरती पर लिखी एक ऐसी तमन्ना है, जो रोहन के खून में रेशा-रेशा बनकर उतरी है और रूही के श्वासों में ख्वाब बनकर घुल गई है। उपन्यास में ‘पारिजात’ एक रूपक नहीं, वह दरअसल नए-पुराने रिश्तों की दास्तान है। उपन्यास की कथावस्तु में इतिहास कहीं किरदार बनकर उभरता है तो कहीं वर्तमान और अतीत के बीच सूत्रधार की भूमिका निभाता आता है। उसकी इस आवाजाही में उपन्यास के पात्र कभी तारीख से गुरेंजा नजर आते है तो कभी उसको तलाश करते हुए खुद अपनी खोज में लग जाते है। उनकी इस कोशिश में बहुत से सन्दर्भ, शख्सियतें, घटनाएँ चाहे-अनचाहे अपना आकार ग्रहण कर लेती हैं और समय विशेष पर पड़ी धूल को अपनी उपस्थिति से खारिज कर एक नई स्मित की तरफ ले जाती हैं, जहां पर दुनियावी भाग-दौड़ के बीच रिश्तों की बहाली की जद्दोजहद अपनी सारी खूबसूरती और ऊर्जा के साथ मौजूद है।’