पीड़ा के बाद / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

पीड़ा के बाद

"मेरे पेट में बहुत जोरों का दर्द हो रहा है," एक सीप ने अपने पड़ोस की सीप से कहा, "भीतर कुछ भारी और गोल-सा है, जिसकी वजह से बहुत तकलीफ है।"

"शुक्र है भगवान का, यह दर्द मुझे नहीं है," दूसरी सीप ने घमण्ड भरे अंदाज में कहा, "मैं हर तरह से खुशहाल हूँ!"

वहाँ से गुजर रहे एक केकड़े ने उनकी बातचीत सुनी और खुशहाल सीप से कहा, "यह ठीक है कि तुम हर प्रकार से सुखी हो लेकिन तुम्हारी पड़ोसिन के दर्द का कारण उसके भीतर का एक अत्यधिक सुन्दर मोती है।"

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