पुरुष सुशोभित परिवार में कन्या का कमाल / जयप्रकाश चौकसे

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पुरुष सुशोभित परिवार में कन्या का कमाल
प्रकाशन तिथि :21 अप्रैल 2015


न्यू यॉर्क शहर की अधिकृत प्रथम महिला चिरले मैकरे द्वारा श्रीमती रितु नंदा को 'वुमन ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रितु नंदा की छोटी बहन रीमा जैन, उनकी बहू श्वेता बच्चन नंदा और श्वेता की मां जया बच्चन तथा रितु की पुत्री नताशा न्यूयॉर्क में मौजूद थे। श्रीमती रितु नंदा विवाह के पश्चात ही बीमा बेचने के व्यवसाय में कार्यरत रही हैं और गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज है कि उन्होंने एक ही दिन में 17,000 पेंशन पॉलीसीज बेची हैं। इस कार्य के लिए उनके पास अपना दफ्तर और सहयोगी है, साउथ ईस्ट एशिया महिला संगठन ने उन्हें पुरस्कार के लिए चुना। ज्ञातव्य है कि रितु राजकपूर की ज्येष्ठ पुत्री हैं और उनका विवाह श्री राजन नंदा के साथ हुआ है तथा उनके पुत्र का विवाह अमिताभ बच्चन की सुपुत्री श्वेता से हुआ है। इस तरह दिल्ली का नंदा परिवार कपूर और बच्चन परिवार का सेतु बना हुआ है। रितु नंदा विगत तीन वर्षों से कैंसर से लड़ रही हैं और विगत माह ही न्यूयॉर्क के स्लोन केटरिंग अस्पताल ने उन्हें संपूर्ण रूप से स्वस्थ होने की बात बताई।

रितु की बहन रीमा जैन इन तीन वर्षों में हमेशा रितु के साथ रहीं और उनके पति मनोज जैन ने सहर्ष उन्हें इसकी आज्ञा दी और बम्बई का अपना घर और दो पुत्रों का ध्यान भी रखा। अरमान जैन करण जौहर के सहायक रहे, जहां उन्हें इम्तियाज अली ने देखा और अपने भाई की फिल्म में बतौर नायक लिया। यह फिल्म असफल रही, परन्तु अरमान जैन उचित अवसर की तलाश में हैं। यह गौरतलब है कि रितु राजकपूर की लाड़ली रही हैं और राजन नंदा उद्योगपति हैं, अत: उन्होंने इन्श्योरेन्स का काम अपनी इच्छा से किया। उन पर कोई आर्थिक दबाव नहीं थे, परन्तु वे अपनी स्वतंत्र पहचान और आय अर्जित करना चाहती हैं गोयाकि मुंह में चांदी का चम्मच लिए जन्मी इस कन्या के बहू के रूप में चरण पड़े एक उद्योगपति परिवार में, फिर भी उन्होंने परिश्रम किया और अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई गोयाकि मुंह में चांदी का चम्मच और हीरों से जड़ी पायल पहनने वाली रितु एक तरह से महिला शक्ति और उद्यम का प्रतीक भी बन गई हैं। वह उन बहुओं में से नहीं रहीं, जो 'गहने तुड़वाती हैं, गहने बनवाती हैं' और दिन भर सेठानियों की तरह नौकरानियों पर हुक्म के हंटर बरसाती हैं।

यह गौरतलब है कि हम सब उस समाज संरचना के पुनरावलोकन करें, जिसने सदियों तक मनुष्य की लगभग आधी संख्या को घूंघट में कैद कर रखा, उनके लिए नियम रचे, अदृश्य बेड़ियां रचीं, आइना खोज कर दिया कि आत्म मुग्ध बनी रहो। अगर सबको समान अवसर और स्वतंत्रता दी होती, तो आज दुनिया कितनी अलग होती। अभी जैसी है, उससे यकीनन बेहतर होती। परिवार के पुरोधा पृथ्वीराज कपूर से लेकर चौथी पीढ़ी के रनवीर कपूर तक इस परिवार ने तीन दादा फाल्के पुरस्कारों के साथ जाने कितने और पुरस्कार प्राप्त किए हैं, परन्तु रितु का पुरस्कार कुछ और अर्थ रखता है। उनका कैंसर से सफल युद्ध करना भी उन्हें विशेष बनाता है। जाने कैसे कपूर परिवार की महिलाएं काम नहीं करती नामक झूठ इतना लोकप्रिय हो गया कि यह तथ्य भी नजरअंदाज हो गया कि गीताबाली, बबीता, नीतू और जेनिफर केन्डल कपूर सभी ने अभिनय किया है और करिश्मा तथा करीना कपूर के पहले संजना कपूर नसीरुद्दीन शाह के साथ 'हीरो हीरालाल' की नायिका रही हैं।

कपूर महिलाओं में कृष्णा कपूर ने कभी काम नहीं किया, कभी साक्षात्कार नहीं दिए। वे हमेशा मीडिया के प्रकाश-वृत से बाहर ही रहीं, परन्तु सच यह है कि परिवार की सारी सृजन ऊर्जा का श्रेय उन्हें दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने अपने घर को तनावमुक्त रखा और सारे लोग बिना किसी अड़चन के अपना काम करते रहें- इसका ध्यान रखा। राजकपूर की विराट दावतों की मेजबानी करना आसान नहीं था। वे कई बार आधी रात दस अतिथियों के साथ घर आ जाते थे और कृष्णा कपूर के घर से कभी कोई खाली पेट नहीं गया। महिलाओं की शक्ति इस तरह भी उजागर होती है। गंगा जमना के संगम पर सरस्वती दिखाई नहीं देती। अदृश्य रहते हुए अनेक काम दशकों करते रहना क्या कोई कम साधना है? शम्मी कपूर की पत्नी नीला देवी भी कृष्णाजी के रास्ते पर दशकों से चल रही हैं।