पृथ्वी थिएटर : यादों का अनोखा उत्सव / जयप्रकाश चौकसे

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पृथ्वी थिएटर : यादों का अनोखा उत्सव
प्रकाशन तिथि :11 मई 2015


मुंबई के पृथ्वी थिएटर में विगत 36 वर्षों में कई अभूतपूर्व नाटक देखने का अवसर मिला परंतु 10 मई की सुबह पृथ्वी थिएटर में आना अलग अनुभव था। सुबह साढ़े दस बजे शशि कपूर को व्हील चेयर में पृथ्वी थिएटर के प्रांगण में लाया गया और उनके सभी परिचित उन्हें बधाई देने के लिए आगे आए। आश्चर्यजनक यह है कि विगत वर्ष शशि कपूर से अनेक बार भेंट हुई परंतु उनकी स्मृति उनका साथ नहीं दे रही थी और वे लोगों को पहचान नहीं पा रहे थे। उनकी आवाज भी इतनी अस्पष्ट होती थी कि बात समझ में नहीं आती थी। परंतु आज न जाने कैसे वे सबको पहचान गए और अपनी स्पष्ट आवाज में उन्होंने लोगों को धन्यवाद दिया। यह संभव है कि इस अवसर पर उन्हें 1977 का वह दिन याद आया हो जब अपने पिता पृथ्वीराज कपूर की स्मृति में उन्होंने अपनी पत्नी जेनीफर कैंडल कपूर की प्रेरणा व आकल्पन के अनुरूप इस थिएटर का निर्माण कराया था। विगत 38 वर्षों में इस थिएटर में भारतीय रंगमंच के जीवन में नए उत्साह और ऊर्जा का संचार किया। अत: यह संभव है कि आज के पावन दिवस शशि कपूर को अपनी स्मृति और ऊर्जा वापस मिल गई हो। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर अपने पोते रणधीर कपूर की पहली फिल्म 'कल, आज और कल' के निर्माण के अंतिम चरण में अत्यंत अस्वस्थ हो गए थे और उन्हें अस्पताल से स्टूडियो लाया जाता था। वहां पहुंचते ही जाने कैसे उनमें नई ऊर्जा आ जाती थी और वे अभिनय करते थे। हम जब मनचाहा काम करते हैं तो एक अनजान-सी ऊर्जा हमें संचालित करती है।

ठीक 11 बजे सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली पृथ्वी थिएटर के ऑडिटोरियम में पहुंचे। युवा रणबीर कपूर ने अपनी बात शेक्सपीयर को उद्‌धृत करके कही कि सारा संसार ही रंगमंच है। इसकी एक ओर एंट्री और दूसरी ओर एक्जिट का दरवाजा होता है और हम सभी अपनी भूमिकाएं अभिनीत करते हैं। इस मौके पर ऋषि कपूर ने बताया कि उन्होंने शशि कपूर के साथ सात फिल्में अभिनीत की है और एक फिल्म में शशि कपूर ने उन्हें निर्देशित किया है। वे पहले डायरेक्टर थे, जो अपने हाथ में छड़ी लेकर कलाकार को रिहर्सल कराते थे। आज मातृ दिवस है और उनके चाचा शशि कपूर ने "दीवार' में यह संवाद अदा किया था कि तेरे पास सारी धन-दौलत हो सकती है परंतु मेरे पास मां है।

इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा शशि कपूर पर बनाई गई एक डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। इसके पहले शॉट में 1948 में बनी राज कपूर की 'आग' का दृश्य था, जिसमें बालक शशि कपूर फिल्मी राज कपूर के बचपन की भूमिका कर रहे थे। अपने सहपाठी से वे कहते हैं, 'मैं बड़ा होकर नाटक करूंगा। मैं बिल्वमंगल बनूंगा और अनेक भूमिकाएं अभिनीत करूंगा।' ऊपर वाले का खेल देखिए कि पृथ्वीराज कपूर, राज कपूर, शशि कपूर और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने सारा जीवन अभिनय किया। इसके बाद जेटली ने शशि कपूर के गले में दादा फालके मेडल पहनाया। तत्पश्चात जेटली ने अपने भाषण में शशि कपूर को बधाई दी और कहा कि 3 मई को दिल्ली के विज्ञान भवन में दादा फालके पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया था परंतु अस्वस्थता के कारण शशि कपूर नहीं आ पाए। शायद यह पुरस्कार उन्हें उनके द्वारा बनाए पृथ्वी थिएटर में दिया जाना ही नियति ने तय किया था। जेटली के बाद अमिताभ बच्चन ने शशि कपूर के साहस के लिए उनकी प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि शशि कपूर ने व्यावसायिक फिल्मों में अभिनय करके जो भी धन कमाया वह सारा धन सार्थक फिल्मों के निर्माण में लगा दिया। आश्चर्यजनक था कि रमेश तलवार को छोड़कर शशि कपूर का और कोई अन्य डायरेक्टर मौजूद नहीं था।

वहां मौजूद सभी लोगों ने श्रीमती कृष्णा कपूर का अभिवादन किया, जो 85 वर्ष की अवस्था में स्वस्थ और प्रसन्न नजर आ रही थीं। समारोह के अंत में जेटली ने कपूर परिवार के सारे सदस्यों के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाया। समारोह में जैसे एक छोर पर अमिताभ और दूसरे पर रेखा बैठी थीं, ठीक उसी तरह एक ओर अभिषेक और दूसरी ओर करिश्मा कपूर मौजूद थीं। शबाना के साथ उनके पति जावेद अख्तर भी समारोह में मौजूद थे। इस तरह इस समारोह में अनेक पुराने प्रेम त्रिकोण के सदस्य मौजूद थे। पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था शशि कपूर के बेटे कुणाल व बेटी संजना कपूर ने की।