प्रचार / दीपक मशाल

Gadya Kosh से
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लेखक बहुत परेशान था, लगभग झल्ला रहा था। कई दिनों से लेखन के लिए कोई ख़ास मुद्दा ना मिला। पुराने विषयों पर लिखने का उसका मन ना करता, सब बासी लगते। वैसे भी अधिकाँश पर वह कलम चलाकर पहले ही ख्याति अर्जित कर चुका था। दोबारा वही विषय चुनता तो उसके आलोचक उसपर दोहराव का आरोप लगाते। असल में उसे खुद दूसरे लेखकों की आलोचना में ज्यादा मज़ा आता तो कोई उसको क्यों छोड़ता। कमरे की खामोशी और उसके मन के बीच एक शीतयुद्ध सा चल रहा था, ना खामोशी मन की सुनती और ना मन खामोशी की। अचानक उसे एक नामी-गिरामी फ़िल्म अभिनेता के हालिया टी.वी. सीरियल का ख्याल हो आया। अभिनेता बड़े ही प्रभावी ढंग से सामाजिक समस्याएं उठाता और लोगों को जागरूक करने की कोशिश करता। इसे बड़े परदे का आकर्षण ही कहें कि जो बात लोग समाजसेवियों के लाख समझाने पर ना समझते वह चंद मिनटों के बातचीत वाले उस शो से 'समझने से' लगे। 'समझने से' इसलिए क्योंकि कितना सच में समझे यह बात सिर्फ तभी मानी जा सकती थी जब लोग उस हालात में पड़कर सही फैसला ले पाते। खैर जो भी हो मगर लेखक को बड़ा अच्छा मुद्दा मिल गया। तुरंत कलम चलनी शुरू हो गई। जबरदस्त आलेख तैयार हो गया। सार यह था कि- जन समस्याओं को ठीक से समझ ना सकने वाले एक सुपरस्टार सामाजिक तकलीफों का मजाक बना रहे हैं, असल में इनकी नीयत सिर्फ अपना प्रचार-प्रसार करना है और कुछ नहीं। हर बार देश और समाज की अलग-अलग समस्यायों को उठाते हैं और सिर्फ चर्चा करते हैं, सिर्फ चर्चा में रहने के लिए। फिर लोगों को उनके बारे में बताकर छोड़ देते हैं। इन्होने तो खुद अपनी बीवी को छोड़ दिया, खुद पैसा कमाने में लगे हैं, घडियाली आँसू बहाते हैं, कुछ करना है तो अपना काम-धंधा छोड़ कर जमीनी स्तर पर इनके लिए चल रहे सुधार कार्यक्रमों से जुड़े आदि-आदि।

और भी कई सलाह दी गईं अभिनेता को, वह अभिनेता जिसने कि साफ़ तौर पर कहा था कि वह लोगों के सामने समस्याएं उठाना और उन्हें जागरूक व सावधान करना चाहता है। मगर इस आलेख की बात उन सभी को प्यारी लगी जो उस शो में उठाये गए एक-एक मुद्दे को अपने एन।जी।ओ। द्वारा या किसी अन्य समाजसेवा के माध्यम द्वारा उठाकर उनपर अपना पेटेंट समझते थे, उन्हें खतरा लगा कि जो सराहना और नाम उन्हें मिलना चाहिए था वह यह अभिनेता छीन ले गया। सबने अभिनेता को प्रचार-प्रसार का भूखा कहा। आलेख की जमकर सराहना हुई।

उधर लेखक कई बड़े अखबारों में अपने आलेख को छपा पाकर खुशी से फूला ना समा रहा था और हर बार यह खुशखबरी अखबार की कटिंग के साथ फेसबुक पर अपने प्रशंसकों को बताना तो कतई ना भूलता।