फिनिक्स, खण्ड-17 / मृदुला शुक्ला

Gadya Kosh से
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सीमा के भागलपुर में सोसरार छेलै। ओकरोॅ दुल्हा रेलवे में जमालपुर में छेलै। सीमा नें आपनोॅ ममेरोॅ देवर तपन सें गंगा के परेशानी बताय देलकी। बैंक के सहकर्मी सें गंगा नें यै लेली बात नै करलकी कि एक तेॅ ऊ सप्ताह भर में घोॅर खोजी केॅ देनें छेलै, दोसरोॅ ओकरा ई पचड़ा में पड़ाना ठीक नै होतियै। दू-चार रोज बाद सीमा आरू तपन गंगा के घोॅर ऐलै। ई सब्भे सें घोॅर थोड़ोॅ मनभावन लागेॅ लागलै। थोड़ोॅ गप्प-सप्प, थोड़ोॅ हँसी-मजाक आरू थोड़ोॅ भागलपुरोॅ के आपनोॅ ठेठ अन्दाज, ई सब्भे तपन में छेलै। सामाजिक गतिविधि सें जुड़लोॅ रहै के कारण होकरोॅ परिचितो के संख्या बहुत छेलै। तपन नें गंगा केॅ भरोसा दिलैलकै, "गंगा तोहें निश्चिंत रहोॅ, डरै के कोय ज़रूरत नै छै। मकान के किराया दै केॅ रही रहलोॅ छॉ तेॅ कोय अपराध तेॅ नहिंये करी रहलोॅ छौ। कोय एन्होॅ-होन्होॅ बात हुएॅ तेॅ हमरा खबर करी दिहौ।"

हौ दिन रात के नौ बजी गेलै तेॅ सीमा आरू गंगा नें मिली-जुली केॅ खाना बनैलकी। आय सब्भैं साथें खैवो करलकै। फेनू दू-चार रोज बादे सीमा आरू तपन बाज़ार ऐलोॅ रहै तेॅ गंगा के घोॅर आवी गेलै। दू-चार रोज बाद रधिया जेकरा आबेॅ गंगा नें राधा कहेॅ लागली छेलै आरू गामोॅ के लोगें नें राधा दी, वहो ऐली आरू रुकी गेली।

हेने दस दिन बीती गेलै आरू गंगां सोचलकी कि आबेॅ सब्भे ठीक-ठाक होय गेलै। मतरकि ऊ भरम में छेली। छेदी बाबु के बड़का लड़का गामोॅ सें ऐलै तेॅ गरजी-गरजी केॅ आपनोॅ ऐंगना सें माय-बेटा नें बोलना शुरू करी देलकै। तरह-तरह के गन्दा आरोप सें गंगा केॅ भरी देलकै आरू चुनी-चुनी केॅ गारी पढ़ेॅ लागलै। ई सब सें गंगा मुरूत बनली आपनोॅ घरोॅ में खाड़ी रहलै। दू-चार लोग ओकरा घरोॅ में की आवी गेलै, पड़ोसी नें ओकरा रण्डी-कस्बी सब्भे बनाय देलकै। अगल-बगल के लोगो सिनी बाहर निकली-निकली सुनी रहलोॅ छेलै आरू मुकुर-मुकुर तमाशा देखी रहलोॅ छेलै। गंगा लाज सें गड़ली जाय रहलोॅ छेली।

एतना दिन बाद आय महसूस होलै कि असकल्ली औरत के जीवन में कतना मुश्किल आरू परेशानी छै। पैसा कमैलो पर आरू पुरुषोॅ केॅ वैशाखी पर निर्भर होल्हौ पर औरतो तरफ सें औरत के की कम शोषण होय छै? मतरकि ई सुरक्षा-चक्र में जीवन बिताय लेली ऊ करेॅ की पारै छै। ई तेॅ नहिंये होतियै कि कोय एहलोॅ-बैहलोॅ रँ आदमी सें नाता जोड़ी लेतियै। रूपा दी के पति बहुत शिक्षित छेलै मतरकि रूपो दी तेॅ सुरक्षित नहिये रहेॅ पारलै, नै तेॅ जान सें, नै तेॅ स्वाभिमाने सें।