फिफ्टी शेड्स आफ ग्रे / ई एल जेम्स

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फिफ्टी शेड्स आफ ग्रे- कामुकता की पराकाष्ठा का साहित्य
पुस्तक परिचय / समीक्षा:अरविन्द मिश्रा
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फिफ्टी शेड्स आफ ग्रे एक रत्यात्मकता (इरोटिक-हे मूढ़मने! इरोटिक बोले तो पोर्नोग्राफी नहीं ) से ओतप्रोत ई एल जेम्स रचित औपन्यासिक कृति है जो पिछले २०११ से,प्रकाशन वर्ष से ही चर्चा में है -बेस्टसेलर है . यह एक त्रिखंडी (ट्रायोलाजी) कृति है . उपन्यास में लोकेशन सिएटल है जहाँ एक कालेज छात्रा एनास्टासिया स्टीले और एक व्यवसायी टैक्यून क्रिस्चियन ग्रे का प्यार(?) पलता है.

उपन्यास भले ही अश्लीलता(पोर्नो )/घासलेटी साहित्य का लेबल लिए नहीं है मगर एक आम भारतीय पाठक/पाठिकाओं के लिए जो सेक्स को प्रत्यक्षतः एक निषिद्ध कर्म ही समझते हैं यह उसी कटेगरी की कृति है .उबकाऊ और किंचित घृणित भी . यह पुस्तक मूलतः पश्चिमी पाठकों के लिए है जो सेक्स को और सेक्सियर बनाने के तामझाम में लगे रहते हैं और रति क्रिया में नित नयी नूतनता / नवीनता देने में मानो हरवक्त तत्पर बने रहते हैं -वहां सेक्स एक सत चित आनंद है, एक उत्सव धर्मिता है - विपुल शेड्स लिए हुए हैं ....सहज सामान्य सेक्स भी और विकृत भी .....जहाँ अनेक सेक्स फंतासियों का दौरदौरा है ,समूह यौनिक आनंद का रिवाज है ,सी सी और मीठी/तीखी मार के बीच यौनिक आनंद का खेल है आदि आदि .....

मगर मैं यह सब क्यों लिख रहा हूँ -दरअसल हुआ यह कि विगत दिनों मुझे अपनी आधी दुनिया के एक मित्र का यह अनुरोध मिला कि मैं दो कृतियाँ पढूं और उन पर पोस्ट लिखूं और उन्होंने मुझे यह कहकर और भी उकसाया कि कई और श्रेष्ठ ब्लागरों ने कितनी सुन्दर और समग्र पुस्तक समीक्षायें अपने ब्लागों पर की हैं,एक ने तो अभी हाल में ही -तो फिर मैं क्यों नहीं ऐसा कुछ करता? अब आप सब यह जानते ही हैं कि ऐसे उदाहरण /उलाहने /ताने मेल इगो को कितना हर्ट करते हैं ...धर्मवीर भारती की आत्मकथात्मक गुनाहों का देवता एक बार पढ़ा था अब फिर पढने की चाह है यद्यपि उनकी पूर्व पत्नी सुश्री कांता भारती की कृति रेत की मछली भी उन लोगों द्वारा अनिवार्यतः पढी जानी चाहिए जो ' गुनाहों का देवता' को पढ़ते हैं क्योंकि यह ' गुनाहों का देवता' का ही दूसरा अविभाज्य पहलू है . फिलहाल इन कृतियों पर यहाँ लिखना मुल्तवी है मगर वो क्या कहते हैं न कि आशिक लिफाफा देखकर मजमून भांप जाते हैं तो किताबी कीड़े किताब का रिव्यू देख उसके बारे में काफी कुछ जान जाते हैं -तो मैंने शेड्स आफ ग्रे की कुछ समीक्षायें यहीं अंतर्जाल पर पढीं और फिर सोचा आपका श्रम बचाने को आपसे उन्हें शेयर कर ही लूं ...मित्र ने जो सन्देश भेजा तो मैंने समझा कि वे फिफ्टी शेड्स आफ गे जैसा कुछ कह रही हैं औरत मैं तुरंत ही विमुख हो गया था -क्योंकि मुझे इस शब्द से ही एलर्जी होती गयी है ..मगर बाद में लगा कि मुझे चीजों /शब्दों को ध्यान से देखना चाहिए -अब उम्र भी तो ऐसे बचकानी हडबडी / जल्दीबाजी की नहीं रही ....

हाँ तो मैं बात इस उपन्यास की कर रहा था ...यह यौनिक दृष्टान्तों -दृश्यों से भरपूर कृति है और इसलिए ख्यात कुख्यात भी ....मानो कामसूत्र के इक्कीसवी सदी के संस्करण का रुतबा पाने की होड़ में पुस्तक कितनी ही यौनिक पद्धतियों -आसनों का चित्रण करती चलती है जिसमें परपीड़क यौनिक आनंद (बाँडेज/डिसिप्लिन /सैडिज्म /मैसोकिज्म=बीडीएसएम् ) आदि के भी विवरण /दृश्य हैं . किताब की कई करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं और ३७ देशों को इसके प्रकाशन के अधिकार भी मिल चुके हैं . हेनरी पाटर के भी रिकार्ड ध्वस्त हुए ...

कहानी की शुरुआत कालेज छात्रा एनास्टासिया(अना) स्टीले से होती है जो अपने सबसे प्रिय मित्र कैथरीन कैवनाघ के साथ रहती है, जो कालेज पत्रिका के लिए नियमित कुछ लिखती रहती है . एक दिन जुकाम होने के कारण वह खुद न जाकर एनास्टासिया को सफलता के शिखर पर पहुंचे अमेरिकी व्यवसायी क्रिस्चियन ग्रे का इंटरव्यू करने को भेजती है . इंटरव्यू के समय ही ग्रे अना को भा जाते हैं मगर इंटरव्यू पूरा नहीं हो पाता...फिर अना उसकी मित्र कैथरीन तथा एक और फोटोग्राफर इंटरव्यू और फोटो सेशन के लिए ग्रे के पास फिर पहुंचते हैं .यहीं से अना और ग्रे की लव स्टोरी शुरू होती है मगर उनमें कई संवाद -अवरोध होते रहते हैं ...

अना को बार बार लगता है कि ग्रे " बस प्यार कर लिए जाने वाला छोकरा सरीखा नहीं है" अना का पहले भी जोस नामक व्यक्ति से अफेयर रह चुका है .. अना ग्रे को मन ही मन प्यार करने लगती है मगर ग्रे को तो बस अपनी यौन वासना की पूर्ति की भूख है उसे प्यार से कोई लेना देना नहीं है ..वह अपनी सेक्स -फंतासियों को अना के साथ चरितार्थ करना चाहता है ...इन्ही उधेडबुनों के बीच कहानी आगे बढ़ती है .......ग्रे की कामुक वृत्तियाँ असामान्य हैं -वह अना से कई तरह के वादे लेता है जैसे धनिष्ठ क्षणों में वह उसकी आँखों में नहीं देखेगी... स्वयं उसे स्पर्श नहीं करेगी. वह इस फंतासी को मूर्त रूप देना चाहता है कि जैसे उसका पहला संसर्ग अक्षत यौवना से हो रहा हो ....(कौन कहता है भारतीय ही पुरातन पंथी हैं ?) अना इन यौन अत्याचारों के बाद भी ग्रे से प्यार करती है . क्योकि स्वयं उसकी विर्जिनिटी एक ऐसी महिला ने भंग कर दी थी जो शादी शुदा थी .. और यही ग्रंथि उसके मन में घर कर गयी थी ...

अना और ग्रे का सम्बन्ध केवल कामुकता का सम्बन्ध है रोमांटिक नहीं ....ग्रे उसके साथ अजीबोगरीब यौन क्रियाओं का अनुबंध करता चलता है जिसमें एक यह भी कि यह सब वह गोपनीय रखेगी ....इस सम्बन्ध का शिखर बिंदु वह होता है जब अना कहती है कि जिस भी कामुक कृत्य की अति ग्रे चाहता है अपनी इच्छा पूरी कर ले ....यहाँ तक कि ग्रे को वह खुद अपने शरीर पर बेल्ट से मार खाने को उकसा कर कमोद्वेलित होती है ....मगर अना धीरे धीरे ऐसे सम्बन्ध से ऊबती,उकता जाती है और इस सम्बन्ध का अंत दोनों के स्थाई विछोह में होता है .

मुझे नहीं लगता भारतीय पाठक इस पुस्तक को पसंद करेगें ....आशीष श्रीवास्तव ने इसके बारे में फेसबुक पर लिखा "वेस्ट आफ टाईम एंड रिसोर्सेज.. " ..और मैं भी उनसे सहमत हूँ ....वासना का इतना भोंडा रूप हमारे मानस को तो रास नहीं आ सकता ..मगर यहाँ भी तो कान्वेंट संस्कृति ने ऐसे सांस्कृतिक आघात के द्वार खोल ही रखे हैं -हम छात्र जीवन में सही गलत बहुत कुछ ऐसी किताबों से सीखते हैं और चूंकि स्वभावतः मनुष्य जिज्ञासु और अन्वेषी होता है इसलिए इन्हें भी एक बार तो कम से कम आजमाना चाहता है .....और होता

अंततः वही है जो इस पुस्तक का अंत है -मोहभंग और स्थाई विछोह......आश्चर्य है उपन्यास पूरी दुनिया में कालेज छात्राओं और ३५ वर्ष से ऊपर की महिलाओं में खासकर लोकप्रिय हो रहा है .....शायद आधी दुनिया से मुझे इस पुस्तक की सिफारिश इसलिए ही प्राप्त हुयी हो ....आप से भी गुजारिश है कि बस इस उपन्यास के बारे में यह रिपोर्ट ही काफी होनी चाहिए ....डोंट वेस्ट योर टाईम एंड रिसोर्सेज ......!

अरविन्द मिश्रा जी के व्लाग क्वचिदन्यतोSपि.. से साभार उपन्यास पढें >>