फिल्मकार शंकर, बच्चन और रोशन / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्मकार शंकर, बच्चन और रोशन
प्रकाशन तिथि : 08 नवम्बर 2014


दक्षिण भारतीय सिनेमा में जो स्थान रजनीकांत का है, वही स्थान फिल्मकार शंकर का है जिनकी फिल्मों का बजट और आय दोनों ही मुंबइया फिल्मों से अधिक होती है। अन्य राष्ट्रों की तरह भारत का कोई राष्ट्रीय सिनेमा नहीं है, हमारे यहां क्षेत्रीय सिनेमा है। दक्षिण की तरह बंगाल और पंजाब का सिनेमा भी अलग है। यह बात जरूर है कि कथा फिल्म के प्रारंभ के आरंभिक अठारह वर्षों में मूक फिल्में बनती थीं और ये संवादहीन फिल्में अखिल भारतीय दर्शकों को पसंद आती थी परंतु "आलमआरा' के साथ ध्वनि के आते ही राष्ट्रीय सिनेमा क्षेत्रीय सिनेमा में विभाजित हो गया। सत्यजीत राय ने कहा था कि कलकत्ता में जिस लहजे में बंगाली बोली जाती है, उससे अलग है ग्रामीण क्षेत्र में बोले जाने वाली भाषा। यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं है कि क्षेत्रीय भाषा में बनी फिल्में भी कई उपभोगों में बटी हैं। मसलन सार्थक मराठी फिल्मों का व्यवसाय मुंबई और पूना में अधिक होता है जबकि मसाला मराठी फिल्में कोल्हापुर-शोलापुर क्षेत्र में अधिक व्यवसाय करती है। भारत में सभी प्रकार के सिनेमा में समान बात यह है कि सितारे का जादू सर चढ़कर बोलता है। हमारी राजनीति भी सितारा नेता केंद्रित रही है और इस वैचारिक धारा का उद्गम हमारे अवतारवाद से होता है।

बहरहाल फिल्मकार आजकल मुंबई में हैं और वे अपनी अगली फिल्म में अमिताभ बच्चन और रितिक रोशन को लेना चाहते हैं तथा इस फिल्म को लिखा हनी इरानी ने है। ज्ञातव्य है कि हनी इरानी जावेद अख्तर की पहली पत्नी हैं और फरहान तथा जोया उसी की संतान हैं। अपने पति से अलग होने के बाद वे कई फिल्में लिख चुकी हैं। विगत अनेक वर्षों से वे दक्षिण के एक छोटे कस्बे में रह रही हैं और उनका मुंबई आना कम ही होता है। हनी इरानी ने स्पष्ट किया है कि शंकर की नई फिल्म उनकी रजनीकांत एवं ऐश्वर्य राय अभिनीत 'रोबोट' का अगला भाग होते हुए एक स्वतंत्र कथा है। ज्ञातव्य है कि एक दौर में मनमोहन शेट्टी रितिक और शंकर के साथ फिल्म बनाने वाले थे परंतु रितिक को शंकर की कथा अपनी कृष श्रंखला की तरह लगी, अत: बात नहीं बनी।

शंकर शाहरुख खान को मिले थे तो उन्होंने शंकर को मुंहमांगी रकम देकर 'रोबोट' स्वयं की संस्था के लिए बनाना चाही और उनके बीच सब कुछ तय हो चुका था परंतु बाधा यह थी कि शंकर फिल्म के विशेष प्रभाव वाले दृश्य, जिनमें एक वर्ष का समय लगने वाला था, दक्षिण भारत में करना चाहते थे जबकि शाहरुख उन्हें अपने स्टूडियो में करना चाहते थे। इस विवाद के परिणाम स्वरूप शंकर ने रोबोट रजनीकांत के साथ बनाई और शाहरुख खान ने 'रा. वन' का हादसा रच दिया। शंकर 'लार्जर दैन लाइफ' सिनेमा रचते हैं और हर चीज का अतिरेक उनकी फिल्म शैली का अविभाज्य हिस्सा है। उनका अपना जीवन भी वे इसी शैली में जीते हैं। यह तो तय है कि अमिताभ बच्चन सहर्ष ही यह प्रस्ताव स्वीकार कर लेंगे और रितिक के पास भी अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं है। फिलहाल रितिक रोशन ने आशुतोष गोवारिकर की 'मोहनजोदड़ो' की शूटिंग का पहला दौर स्थगित कर दिया है क्योंकि डॉक्टर ने उन्हें कुछ सप्ताह आराम की सलाह दी है और इस अस्वस्थता का कारण उनका सुजैन से तलाक है जिसे कानूनी मान्यता अभी मिली है परंतु अलगाव तो लंबे समय से चल रहा है।

एक सितारे की बीमारी से अनेक लोग इस तरह प्रभावित होते है कि स्थगित शूटिंग के कारण तकनीशियनों की आय भी स्थगित हो जाती है और उस पैसे के आधार पर बनाई योजना भी ठप्प हो जाती है। सच तो यह है कि मध्यम वर्ग निम्न वर्ग के परिवारों में एक सदस्य की बीमारी पूरे परिवार की दिनचर्या ही नहीं वरन् बजट भी नष्ट कर देती है। इस दौर में इलाज बहुत महंगा हो चुका है, दवाओं के दाम भी नियंत्रण में नहीं है। सरकारी अस्पतालों की बदइंतजामी, गंदगी और बिचौलिया कमीशन जानलेवा है। पांच सितारा अस्पताल में मरीज तो बच जाता है परंतु रिश्तेदारों की जेबें कट जाती है। महानगरों में शव की दाह क्रिया भी महंगी है। यह पूरा असमानता आधारित निजाम बादशाह अकबर की याद दिलाता है "अनारकली हम तुम्हें जीने नहीं देंगे और सलीम तुम्हें मरने नहीं देगा"।