बराबर / शमशाद इलाही अंसारी

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब आठ महीनों की कड़ी दौड़ धूप के बाद भी पासवान की भारतीय डिग्रियाँ उसे कनाडा में उसे कोई नौकरी न दिला सकी, तो थक-हार कर वह सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए एक कम्पनी के दफ्तर अर्ज़ी देने पहुँच गया ! पासवान जब अपने कागज़ आफ़िस में बैठी महिला को दे रहा था तो उसी वक़्त एक गोरा-चिट्टा, मंहगा चश्मा लगाये और ब्रैंडिड कपडे पहने उम्मीदवार जो कि भारतीय ही लग रहा था अपने कागज़ लेकर वहाँ पहुँच गया ! सहसा पासवान की निगाह खुद-ब-खुद उस व्यक्ति के कागज़ों पर जा पडी जिस पर लिखा था, दिनेश शर्मा, एम टेक (सिविल), एम.बी.ए, तो उसके के मुँह से अचानक ही शब्द टपक पडे :

"नमस्कार पंडित जी"

पासवान के शिष्टाचार और उसके चेहरे पर खिली कुटिल मुस्कान पर वह भारतीय बिना कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किये, अपने कागजात उठा कर आफ़िस से बाहर निकल गया.

रचनाकाल: मई १६,२०१०