बूढ़ा मछुआरा और गोवा यात्रा / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बूढ़ा मछुआरा और गोवा यात्रा
प्रकाशन तिथि :10 मार्च 2018


गोवा एअरपोर्ट पर बड़े अक्षरों में बिलबोर्ड पर लिखा है 'स्वागत है धरती के स्वर्ग में'। गोवा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय भाषण-माला में साहित्य और सिनेमा विषय पर परिचर्चा हुई। गोवा पहुंचते ही मुझे गुलज़ार की 'माचिस' के निर्माता बसंत रोड्रिग्ज़ पंडित की याद आई। उन्होंने बताया था कि दशकों पूर्व गोवा में एक शिव मंदिर का निर्माण हुआ। पूजा और हवन के लिए बनारस से ग्यारह पंडित आमंत्रित किए। उनमें से चार पंडित गोवा में ही बस गए। पोर्तगीज प्रभाव में उन्होंने अपने नाम में कुछ शब्द जोड़े। इस तरह बसंत रोड्रिग्ज़ पंडित कहलाए। विशाल भारद्वाज विज्ञापन फिल्म के लिए 'जिंगल' बनाते थे और पंडित ने ही उन्हें 'माचिस' में संगीत निर्देशन का अवसर दिया। एक दौर में अधिकांश वादक गोवा में जन्मे लोग थे और फिल्म के रिकॉर्डिंग कक्ष पर गोवा का ही आधिपत्य था। वॉन शिरले और सेविस्तान श्रेष्ठ वादक थे। संगीतकार प्यारेलाल के पिता भी एक वादक थे। उन्होंने मुंबई में संगीत पाठशाला खोली और वादकों को प्रशिक्षित किया। गोवा का अवाम फैनी पीता है और संगीत में रम जाता है। राज कपूर की फिल्म 'बॉबी' का गीत 'घे घे रे सायबां, प्यार में सौदा नहीं' पर गोवा का प्रभाव स्पष्ट ध्वनित होता है। गोवा में अनेक फिल्मों की शूटिंग हुई है। अल्प बजट की 'जौहर मेहमूद इन गोवा' से लेकर भव्य बजट की 'पुकार' तक जिसमें अमिताभ बच्चन, रणधीर कपूर, टीना मुनीम और जीनत अमान जैसे सितारों ने अभिनय किया है। 'पुकार' की कथा पूरी तरह काल्पनिक थी, क्योंकि गोवा में पुर्तगालियों से मुक्त होने के लिए कोई विशेष संघर्ष नहीं हुआ। वे परिस्थितियों से परिचित थे, इसलिए स्वयं ही गोवा छोड़कर पुर्तगाल चले गए। श्याम बेनेगल की 'त्रिकाल' की पृष्ठभूमि गोवा ही थी। अजय देवगन अभिनीत 'गोलमाल' शृंखला के कुछ भाग भी गोवा में शूट किए गए थे।

गोवा में कोकणी, मराठी, अंग्रेजी बोली जाती है और हिन्दी शब्दों का उच्चारण भी सही किया जाता है। भारतीय विविधता से देश का कोई भी भाग अछूता नहीं है, भले ही राजनीति के क्षेत्र में कुछ लोग विविधता को भंग करना चाहते हैं। किसी भी देश का मूल चरित्र नहीं बदलता और सतह पर चलती लहरों से अंदाजा नहीं लगता कि समुद्र गर्भ की अपनी धरोहर हमेशा कायम रहती है। शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफर कैन्डल को गोवा बहुत पसंद था और यहां उन्होंने एक घर भी बनाया था। उस घर में वास्तुकला से परहेज किया गया था। वह एक मछली पकड़ने वाले व्यक्ति का आशियाना लगता था। जेनिफर कैन्डल इंग्लैंड में जन्मी थीं परंतु शशि कपूर से विवाह के बाद वे इस कदर बदलीं कि उनकी अपनी इच्छा के अनुरूप लंदन में उनका दाह संस्कार किया गया। गोवा में ही फिल्मकार अजीज मिर्जा और उनके भाई सईद मिर्जा का घर भी है। गोवा का समुद्र तट सैलानियों को आकर्षित करता है। ज्ञातव्य है कि रूस के विघटन के बाद अनेक रूसी लोग गोवा आकर बस गए हैं और अपराध जगत के लोग भी यहां डेरा जमा चुके हैं।

गोवा समुद्र तट पर यह स्वाभाविक है कि अर्नेस्ट हेमिंग्वे का कालजयी उपन्यास 'द ओल्डमैन एंड द सी' की याद ताजा हो जाए। एक बूढ़ा मछली पकड़ने वाला समुद्र तट पर आकर देखता है कि आकाश में बादल छाए हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वह मछली पकड़ने जाता है। जाल में एक मछली फंसती है परंतु जाल खींचते ही बूढ़ा व्यक्ति समझ जाता है कि मछली बड़ी है। उसे तट तक खींचने में परिश्रम करना होगा और प्रबल संभावना है कि अन्य मछलियां जाल में फंसी मछली का मांस नोचकर खा जाए। बूढ़ा परिणाम जानते हुए भी पूरा दम लगाकर तट पर आता है। सारा मांस खाया जा चुका है परंतु उसके चेहरे पर मुस्कान है कि उसने अपना काम मेहनत और ईमानदारी से किया है। यह निष्काम कर्मयोग है। ज्ञान पर कभी किसी देश का एकाधिकार नहीं होता परंतु अपनी खिड़की से आकाश को नापना आज भी जारी है। हुक्मरान का भी यही शगल है।

यह वैज्ञानिक तथ्य है कि मछली खाने से स्मरण शक्ति तीव्र होती है परंतु स्वयं मछली की स्मरण शक्ति मात्र पांच सेकंड की होती है। यही कारण है कि वह आसानी से पकड़ी जाती है, आसानी से पकती है और शीघ्र ही पच भी जाती है। मछली और स्मरण खोने-पाने की बात दुष्यंत-शकुंतला प्रेम कहानी का भी हिस्सा है और उन्हीं का पुत्र था भरत। गोवा के कार्यक्रम में संयोजन किया प्रो. वृषाली मन्द्रेकर ने।