बॉडी डबल: फिल्म और संसद में / जयप्रकाश चौकसे

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बॉडी डबल: फिल्म और संसद में
प्रकाशन तिथि : 05 जुलाई 2019


फिल्म के खतरनाक एक्शन दृश्य उनके 'बॉडी डबल' या डुप्लीकेट करते हैं। ये प्राय: लॉन्ग शॉट होते हैं और एक्शन पूरी होने पर कलाकार का क्लोजअप लिया जाता है ताकि दर्शक को यकीन हो जाए कि एक्शन कलाकार द्वारा अभिनीत पात्र ने ही किया है। सिनेमा को यकीन दिलाने की कला कहा जाता है। कभी-कभी बॉडी डबल कर रहा व्यक्ति शूटिंग करते समय मर भी जाता है। डुप्लीकेट को सुरक्षा दी जाती है, उसे पैड्स पहनाए जाते हैं। जैसे अस्पताल में शल्य क्रिया के पहले मरीज से दस्तावेज पर दस्तखत लेते हैं कि सारा उत्तरदायित्व उसका अपना है और सर्जन पर कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता, वैसे ही बॉडी डबल से करारनामा लिया जाता है। सिनेमा टेक्नोलॉजी में निरंतर विकास हो रहा है, जिस कारण खतरा लगभग समाप्त हो गया है। कुछ ट्रिक्स कैमरे के द्वारा शूटिंग के समय की जाती हैं और कुछ शूटिंग के बाद संपादन टेबल पर की जाती हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी आने के बाद यह काम आसान हो गया है।

महाभारत में नियोग द्वारा संतान प्राप्त करने के लिए रानियों के साथ वेदव्यास की अंतरंगता से संतान प्राप्त की गई। रानी अंबिका ने नियोग की दूसरी पारी में अपनी जगह अपनी दासी इंदू को भेज दिया, क्योंकि वेदव्यास की कुरूपता उन्हें भयभीत करती थी। वेदव्यास और इंदू का ही पुत्र विदुर न्यायप्रिय और विद्वान सिद्ध हुआ। विदुर का लालन-पालन तो राजपूतों के साथ किया गया परंतु इंदू दासी ही बनी रही। अगर जन्मांध धृतराष्ट्र के बदले विदुर को राजा बनाया जाता तो कुरुक्षेत्र के नरसंहार से बचा जा सकता था। ग्वालियर के कवि पवन करण ने गहन शोध करके नजरअंदाज किए गए पात्रों की पीड़ा का मार्मिक वर्णन किया है। 'इंदू' कविता की पंक्तियां- 'अपनी कोख से व्यास प्रज्ञा को विदुर विस्तार देने वाली, एक ऐसी दासी पौरुष रथ में, जिसका मानस नेह, हरण कर ले गया वह'। 'महाभारत' विश्व का एकमात्र महाकाव्य है, जिसका कवि ही उसका प्रमुख पात्र है और उसी का वंश आपसी युद्ध में समाप्त हुआ। बहरहाल, यह नियोग संतान भी एक तरह से बॉडी डबल ही है। ज्ञातव्य है कि बंगाल की महान कलाकार सुचित्रा सेन ने अभिनय जगत से संन्यास लेकर अपने आपको जनता व मीडिया से दूर कर लिया। कभी-कभी उनके बंगले से बुर्का पहने किसी स्त्री को निकलते देखा गया है। सुचित्रा सेन ने ग्रेटा गार्बो की तरह अपनी प्राइवेसी की रक्षा की। जब उन्हें दादा साहब फालके पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई तब खाकसार ने लिखा था कि वे पुरस्कार लेने दिल्ली नहीं आएंगी और ऐसा ही हुआ भी। उस समय एक कथा भी लिखी गई, जिसमें सुचित्रा सेन की जगह उनकी पुत्री जाकर पुरस्कार ग्रहण करती है। युवा पुत्री ने अपने बालों में थोड़ी सफेदी पोती और मां का भरम बनाया। काल्पनिक कथा में पुत्री का अपनी मां का यह 'डबल' भी कयामत बरपाता है कि एक युवा उससे प्रेम करने लगता है। वह प्रेम में छल नहीं करना चाहती परंतु सत्य प्रकट करते ही प्रेमी भाग जाता है। कभी-कभी यह छल ही सत्य मान लिया जाता है। एक अमेरिकन उपन्यास 'सेकंड लेडी' में अमेरिका के प्रेसिडेंट की पत्नी का अपहरण करके उसके बॉडी डबल को प्रेसिडेंट निवास में स्थापित कर दिया जाता है।

ताजा समाचार है कि सनी देओल चुनाव जीत चुके हैं और अब उन्होंने अपने एक प्रतिनिधि को अधिकार दिया है कि वह उनके चुनाव क्षेत्र में रहकर जनता से संपर्क बनाए रखे। लोकसभा में वे स्वयं उपस्थित रहेंगे। ज्ञातव्य है कि धर्मेंद्र और हेमा मालिनी भी सांसद रहे हैं। हेमा मालिनी तो ताजा चुनाव भी जीती हैं। अतः अब लोकसभा में माता और पुत्र मौजूद होंगे। यथार्थ जीवन में तो लंबे समय तक सनी देओल ने हेमा मालिनी को स्वीकार नहीं किया परंतु उनकी पुत्रियों की रक्षा के लिए वे हमेशा तत्पर रहते हैं। इस तरह सनी देओल ने अपने बॉडी डबल को ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में नियुक्त कर दिया। इस पर एतराज उठाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि अधिकांश नेता चुनाव जीतने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाते ही नहीं हैं। सांसद को बहुत सुविधाएं प्राप्त हैं और उसे अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए धन दिया जाता है। अगर सचमुच में यह धन विकास पर खर्च होता तो आज देश इतना पिछड़ा हुआ नहीं होता।

उदय प्रकाश के उपन्यास 'मोहनदास' पर फिल्म बन चुकी है। बॉडी डबल मोहनदास सारी सुख सुविधाएं प्राप्त करता है परंतु उसके अपराध का दंड असली मोहनदास को मिलता है। आम व्यक्ति को भी लगता है कि काश कुछ कार्यों के लिए उसके पास भी बॉडी डबल होता। काम पर बॉडी डबल जाता, वेतन लेने वह स्वयं चला जाता। वह भोजन करता और निवृत्त होने बॉडी डबल जाता। महाभारत में किसी को शाप दिया गया था कि भोजन भीम ग्रहण करेगा परंतु निवृत्त होने उसे जाना होगा। महिलाओं को बॉडी डबल सुविधा प्राप्त हो तो पुरुष शासित समाज कण-कण बिखर जाए।