बॉलीवुड डेज़ / सुकेश साहनी

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(शुचि की डायरी)

रविवार, 1 अक्टूबर 2006

आज सारा दिन बोर होते रहे-अपना टीवी जो खराब है। बिना टेलीविजन के घर कितना सूना-सूना लगता है। 'लक्स जी सिनेअवार्ड' भी नहीं देख पाए। जूही कह रही थी, 'सलमान हैजरॉक्ड द शो'। पता नहीं इसमें कितना सच है। जूही तो वैसे भी सलमान के पीछे पागल हुई रहती है।

सोमवार, 2 अक्टूबर 06

'तेरे बिनाऽऽऽ...यूं मैं कैसे जिया ऽऽ...तेरे बिन ऽऽऽ...' रेडियो मिर्ची पर यह गाना चौथी बार बज रहा है। थैंक्स टू रेडियो मिर्ची! उल्टापुल्टानितिन और दूसरे रेडियो जॉकी कितने लकी हैं, रोज ही किसी फिल्म स्टार से बातें करते हैं। आगे चलकर मैं रेडियो जॉकी बनूँगी।

मंगलार, 3 अक्टूबर 06

आज मम्मी के साथ मार्निंगवॉक पर गई थी। साथ में आनन्द आण्टी भी थी। आनन्द आण्टी मुझे अच्छी नहीं लगतीं। उनकी बातें बड़ी अजीब होती हैं। आण्टी के पूछने पर मम्मी ने अपना फेवरेट हीरो सनी देओल बताया। यह बात तो मुझे भी नहीं पता थी! फिर उन्होंने मम्मी ने पूछा था, "मान लो अभी सनी तुम्हारे सामने आ जाए और तुम्हें अपने साथ चलने को कहे तो तुम क्या करोगी?" ममा का चेहरा अजीब-सा हो गया था। वह देर तक खुले आसमान में उड़ते परिंदों को देखती रही थीं। मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा था। क्या जवाब होगा मम्मा का? लंबे पॉज के बाद मम्मी ने धीमे से कहा था, "मैं तो उसके साथ चल दूँगी" मैंने ध्यान से मम्मी की ओर देखा था। वह मजाक नहीं कर रही थीं। सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा था। पापा की शक्ल मेरी आँखों के आगे घूमने लगी थी। बेचारे पापा!

बुधवार, 4 अक्टूबर 06

आज नेहा से मेरा झगड़ा हो गया। वह कुछ ज्यादा ही बनती है। पिछले साल उसके कॉलेजवालों ने एनुअल फंक्शन पर नेहा धूपिया को बुलाया था। इसी बात को लेकर उसके पॉव जमीन पर नहीं पड़ते। जब तब हमारे स्कूल को घटिया बताती रहती है।

बृहस्पतिवार, 5 अक्टूबर 06

मैंने पीसी पर रितिक का वाल पेपर सेट किया था। कोचिंग से लौटी तो वही पुराना ऐश्वर्य का फोटो दिखा। पापा ने मुझसे पूछे बिना वाल पेपर बदल दिया था। घर में किसी को मेरी परवाह नहीं है।

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 06

इंग्लिश के नए सर आए हैं। उनकी शक्ल रितिक से काफी मिलती है। लेकिन पहले दिन ही बड़े अजीब लगे वो। चालीस मिनट के पीरियड में राखी और सुनन्दा की ओर देखकर पढ़ाते रहे। हमारी ओर तो एक बार भी नहीं देखा।

शनिवार, 7 अक्टूबर 06

मेरी सभी फ्रेन्ड्स ने 'लगे रहो मुन्ना भाई' देख ली है। हम अभी तक नहीं देख पाए।

रविवार, 8 अक्टूबर 06

आज ममा के साथ बाज़ार गए। मुझे दो कुर्तियाँ लेनी थीं-जैसा सोहा अली खान पहनती है 'रंग दे बसंती में'। मम्मी ने एक ही लेकर दी। मुझे बहुत बुरा लगा। मेरे पास कितने कम कपड़े हैं। नेहा तो दिन में चार कुर्तियाँ बदलती है।

सोमवार, 9 अक्टूबर 06

रोटरी क्लब साउथ का दीवाली मेला आने वाला है। बहुत-सी लड़कियाँ 'मेला क्वीन' की तैयारी कर रही हैं। इस बार मैं भी कप्टीशन में हिस्सा देखने नहीं जा पाए।

मंगलवार, 10अक्टूबर 06

आज अजीब बात हुई। लिखते हुए भी हँसी आ रही है। क्लास में शास्त्री सर ललित निबंध में प्रयुक्त कुछ खास शब्दों को डिक्टेट कराकर उनकी व्याख्या कर रहे थे। उन्होंने बोला, 'कजरारे' । मैंने कॉपी में लिखा-कजरारे-कजरारे तेरे कारे-कारे नैना। लिखने के बाद मेरा ध्यान इस ओर गया। पता नहीं यह कैसे हुआ! मुझे वह पन्ना फाड़ना पड़ा। जूही को बताया, तो कहने लगी कि यह किसी बीमारी की शुरूआत हो सकती है। दरअसल वह मुझसे जलती है। मेरे साथ कुछ अच्छा होते नहीं देख सकती। मुझे तो इस बारे में सोचकर रोमांच-सा होता है। पता है, स्कूल के दिनों में प्रियंका चोपड़ा के साथ अक्सर ऐसा ही होता था।